प्रेग्नेंसी में ज्यादा स्ट्रेस का असर बच्चे पर पड़ा तो कई समस्याएं होंगी, डॉक्टर ने सब बताया
अगर मां प्रेग्नेंसी के दौरान स्ट्रेस में रहे, तो गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी असर पड़ता है. ये असर सिर्फ 9 महीनों तक नहीं बल्कि पूरी ज़िंदगी रहता है.
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‘अरे, तुम मां बनने वाली हो. इतना टेंशन मत लिया करो. बच्चे पर असर पड़ेगा.’ प्रेग्नेंट महिलाओं को ये लाइंस खूब सुननी पड़ती हैं. पर वो भी क्या करें. उनके लिए भी तो सब नया है. स्ट्रेस तो होगा ही. उस पर अगर ऑफिस या घर की कोई टेंशन गले पड़ जाए, तो ये स्ट्रेस और बढ़ जाता है. इस स्ट्रेस का असर सिर्फ होने वाली मां पर ही नहीं पड़ता. गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है. और, ये असर सिर्फ 9 महीनों तक नहीं रहता. पूरी ज़िंदगी रहता है. यानी मां को प्रेग्नेंसी के दौरान हुए स्ट्रेस का असर इंसान को जिंदगीभर भोगना पड़ता है.
लिहाज़ा डॉक्टर से जानिए कि अगर प्रेग्नेंसी के दौरान मां स्ट्रेस में रहे, तो गर्भ में पल रहे बच्चे पर क्या असर पड़ता है. प्रेग्नेंसी में स्ट्रेस से मां पर कैसा असर पड़ता है. और, स्ट्रेस घटाने के लिए मांएं क्या करें.
स्ट्रेस से गर्भ में पल रहे बच्चे पर क्या असर पड़ता है?ये हमें बताया डॉक्टर रोहन चौगुले ने.

अगर प्रेग्नेंसी के दौरान मां स्ट्रेस में रहे, तो बच्चे पर कई तरह से असर पड़ सकता है. सबसे पहला असर शारीरिक विकास पर पड़ता है. बच्चे का वज़न कम हो सकता है. समय से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है. उसका इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो सकता है. इससे बच्चे को इंफेक्शन और एलर्जी होने का रिस्क बढ़ जाता है.
दूसरा असर मानसिक और इमोशनल विकास पर पड़ता है. प्रेग्नेंसी के दौरान अगर मां स्ट्रेस में रहती है, तो बच्चे के दिमाग के विकास पर असर पड़ सकता है. इससे बच्चे को सीखने, कुछ याद रखने और ध्यान लगाने में दिक्कत हो सकती है. रिसर्च से पता चला है कि ऐसे बच्चों में बड़े होकर एंग्ज़ायटी, डिप्रेशन, अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) और व्यवहार से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. यानी उनके व्यवहार और मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है.
तीसरा असर हॉर्मोन्स से जुड़ा है. जब मां स्ट्रेस में रहती है, तो उसके शरीर में स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल ज़्यादा बनता है. ये हॉर्मोन प्लेसेंटा के ज़रिए बच्चे तक पहुंच सकते हैं. प्लेसेंटा प्रेग्नेंट महिला में बनने वाला एक अस्थाई अंग है. ये गर्भनाल के ज़रिए बच्चे को ऑक्सीजन और दूसरे ज़रूरी पोषक तत्व पहुंचाता है. इससे बच्चे के स्ट्रेस से निपटने वाले सिस्टम पर असर पड़ सकता है.
चौथा असर बॉन्डिंग पर पड़ता है. स्ट्रेस की वजह से मां और बच्चे के बीच बॉन्डिंग में दिक्कत आ सकती है. इससे बच्चे का इमोशनल डेवलपमेंट रुक सकता है. बच्चा भावनात्मक रूप से कट भी सकता है.
प्रेग्नेंसी में स्ट्रेस से मां पर कैसा असर पड़ता है?सबसे ज़रूरी बात ये है कि प्रेग्नेंसी में स्ट्रेस का असर हर महिला पर अलग-अलग होता है. ये इस बात पर निर्भर करता है कि स्ट्रेस कितने समय तक रहा, कितना गंभीर था. महिला की जेनेटिक बनावट कैसी है और उसके आसपास का माहौल कैसा है. अगर मां बहुत ज़्यादा स्ट्रेस में रहती है, तो उसे नींद न आने की दिक्कत हो सकती है. भूख कम या ज़्यादा लग सकती है. सिरदर्द हो सकता है. ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है. समय से पहले डिलीवरी हो सकती है. मिसकैरेज का ख़तरा भी बढ़ सकता है.

- स्ट्रेस मैनेज करने के लिए बैलेंस्ड डाइट लें.
- भरपूर आराम करें.
- अच्छी नींद लें.
- शांत माहौल में रहें.
- रोज़ टहलने जाएं.
- योग, ध्यान और एक्सरसाइज़ करें.
- इससे स्ट्रेस काफी हद तक कम हो सकता है.
- परिवार और दोस्तों के साथ अपना स्ट्रेस शेयर करें.
- उनके साथ समय बिताएं, इससे मन हल्का होता है.
- अगर बहुत ज़्यादा स्ट्रेस है तो प्रोफेशनल मदद लें.
- किसी काउंसलर या थेरेपिस्ट से मिल सकते हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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