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क्या बढ़िया नींद के लिए मैग्नीशियम की गोली खानी चाहिए? डॉक्टर से जाने इसकी पूरी कहानी

आजकल कई लोग नींद लाने के लिए मैग्नीशियम की गोली खा रहे हैं. कुछ इसे नींद की दवाओं का बेहतर विकल्प बता रहे हैं.

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मैग्नीशियम सप्लीमेंट से नींद लाने में मदद मिलती है
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अदिति अग्निहोत्री
26 जून 2025 (Published: 03:21 PM IST) कॉमेंट्स
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आप रात में बिस्तर पर लेटे हैं. लाइट भी बंद है. फोन भी नहीं चला रहे. पर कमबख्त नींद है कि आने का नाम नहीं ले रही. अब ऐसे में क्या किया जाए? जगते रहें? नहीं नहीं, सुबह काम पर भी तो जाना है. तो नींद की दवा ले लें? पर कहीं इसकी लत तो नहीं लग जाएगी. अरे भई, तब क्या किया जाए? हम बताते हैं. आजकल कई लोग नींद लाने के लिए मैग्नीशियम की गोलियां खा रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि मैग्नीशियम नींद लाने में मदद करता है. ऐसे में इसकी गोलियां खाने से रात में बढ़िया नींद आती है. आप चैन से सोते हैं.

देखिए, अव्वल तो हमारा मानना है कि नींद नेचुरली आनी चाहिए. कोई दवा लेने की ज़रूरत ही न पड़े. पर जिन्हें किसी वजह से रात में नींद नहीं आती. वो डॉक्टर की सलाह पर मैग्नीशियम की गोलियां आजमाकर देख सकते हैं. पर आखिर मैग्नीशियम का गोली नींद लाती कैसे है? चलिए समझते हैं.

क्या मैग्नीशियम की गोलियां लेने से नींद आ जाती है?

ये हमें बताया डॉक्टर प्रसून चटर्जी ने.

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डॉ. प्रसून चटर्जी, चीफ, जेरियाट्रिक मेडिसिन, आर्टेमिस हॉस्पिटल्स

हां, मैग्नीशियम की गोली लेने से नींद आ सकती है. खासकर तब, जब आपके शरीर में मैग्नीशियम की कमी हो. मैग्नीशियम एक तरह का मिनरल है. बाकी मिनरल्स की तरह शरीर को इसकी ज़रूरत भी होती है. ये दिमाग में कुछ खास न्यूरोट्रांसमिटर्स और हॉर्मोन्स को एक्टिव बनाता है. न्यूरोट्रांसमिटर्स एक तरह के केमिकल मैसेंजर्स होते हैं. इस तरह मैग्नीशियम नींद लाने में मदद करता है.

ये उनके लिए ज़्यादा फायदेमंद है, जिन्हें बिस्तर पर जाने के बाद जल्दी नींद नहीं आती. जिनकी नींद का समय रोज़ कम होता जा रहा है. जैसे वो लोग जो 7-8 घंटे के बजाय सिर्फ 5-6 घंटे ही सोते हैं. मैग्नीशियम सप्लीमेंट लेने से उनकी नींद का समय बढ़ सकता है.

मैग्नीशियम नींद लाने में कैसे मदद करता है?  

मैग्नीशियम सप्लीमेंट, खासकर मैग्नीशियम ग्लाइसीनेट को नींद लाने में फायदेमंद माना जाता है. ये दिमाग में मौजूद एक खास न्यूरोट्रांसमीटर GABA को एक्टिव करता है. GABA का काम है नींद लाने में मदद करना. मैग्नीशियम शरीर में मेलाटोनिन का बैलेंस बनाने में भी मदद करता है. मेलाटोनिन एक स्लीप हॉर्मोन है. साथ ही, ये स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल को भी बैलेंस करता है. यानी मैग्नीशियम कोर्टिसोल और मेलाटोनिन हॉर्मोन के बीच बैलेंस बनाता है. इससे स्ट्रेस कम होता है और नींद जल्दी आती है. लिहाज़ा, जिन्हें नींद आने में दिक्कत होती है, उन्हें मैग्नीशियम सप्लीमेंट फायदा दे सकता है.

क्या मैग्नीशियम की गोलियां लेना, नींद की दवाइयां लेने से बेहतर है?

नींद न आने के कई कारण हो सकते हैं. इसलिए, ज़रूरी नहीं है कि हर किसी को मैग्नीशियम की गोली से फायदा मिले. हालांकि, जिनके शरीर में मैग्नीशियम की कमी है. जो बहुत ज़्यादा स्ट्रेस में है, या बहुत ज़्यादा सोचते हैं. वो मैग्नीशियम की गोली खाकर देख सकते हैं.

आमतौर पर, डॉक्टर मैग्नीशियम ग्लाइसीनेट की 250mg से 500mg तक की डोज़ लेने को कहते हैं. मगर इसे लेने से पहले खून और पेशाब में मैग्नीशियम का लेवल चेक करना ज़रूरी है. आपके लिए मैग्नीशियम की गोली, नींद की गोली से बेहतर है या नहीं, ये डॉक्टर बताएंगे.

मैग्नीशियम की गोली को बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए. पहले डॉक्टर से मिलें, उन्हें अपनी नींद से जुड़ी परेशानी बताएंगे. वो नींद न आने का कारण पता करेंगे. इसके बाद तय होगा कि आपको मैग्नीशियम की गोली दी जाए या नहीं.

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आप डॉक्टर की सलाह पर मैग्नीशियम सप्लीमेंट ले सकते हैं
एक दिन में कितना मैग्नीशियम लेना चाहिए?

कोशिश करें कि मैग्नीशियम आपको खाने की चीज़ों से मिले. इसके लिए साबुत अनाज, हरी सब्ज़ियां, फल, केला, बादाम और नट्स खा सकते हैं. पहले खानपान ठीक करके मैग्नीशियम की कमी पूरी करें. अगर फिर भी शरीर में मैग्नीशियम की कमी रहती है, तो मैग्नीशियम ग्लाइसीनेट की 250mg से 500mg तक डोज़ ले सकते हैं. मगर ध्यान रखें कि कोई भी सप्लीमेंट डॉक्टर से बिना पूछे ना लें. मैग्नीशियम की ज़रूरत से ज़्यादा मात्रा लेने पर टॉक्सिसिटी हो सकती है.

क्या लंबे वक्त तक मैग्नीशियम की गोलियां लेने से कुछ नुकसान भी होता है?

दूसरे मिनरल्स की तरह मैग्नीशियम की भी एक तय मात्रा ज़रूरी होती है. कोई भी चीज़ अगर ज़रूरत से ज़्यादा ली जाए, तो वो नुकसान पहुंचा सकती है. लंबे समय तक मैग्नीशियम की गोली लेने से किडनी को नुकसान पहुंच सकता है. दिल पर दबाव पड़ सकता है. पल्मोनरी एडिमा हो सकता है. इसमें फेफड़ों में फ्लूइड भर जाता है. चेहरा अचानक गर्म और लाल हो सकता है, इसे फ्लशिंग कहते हैं. किसी-किसी को डायरिया हो सकता है. यानी डायरिया होना, किडनी को नुकसान पहुंचना और हार्ट फ़ेल होना, ये सारे मैग्नीशियम टॉक्सिसिटी के लक्षण हैं.

कोई भी चीज़ ज़्यादा मात्रा में लेना सही नहीं है. रिसर्च के मुताबिक, नींद के लिए मैग्नीशियम ग्लाइसीनेट को 3 से 6 महीने तक लिया जा सकता है. इसके बाद अपने खून और पेशाब में मैग्नीशियम का लेवल ज़रूर चेक कराना चाहिए. फिर डॉक्टर से सलाह लेकर ये तय करना चाहिए कि इसे लेना है या नहीं. ध्यान रखिए कि मैग्नीशियम कैप्सूल को नींद के लिए ज़िंदगीभर नहीं लिया जा सकता.

देखिए, नींद के लिए किसी दवाई पर निर्भर न रहें. अगर बहुत टेंशन में रहते हैं, तो पहले उसे कम करें. साथ ही, सोने से पहले अपने कमरे की लाइट बंद कर दें. बत्ती जलती रहती है तो नींद आने में परेशानी होती है. अगर फिर भी आप ठीक से नहीं सो पा रहे. और, ऐसा काफी वक्त से हो रहा है. तो एक बार डॉक्टर से मिल लें. क्या पता, नींद न आने की वजह कुछ और हो. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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