The Lallantop
X
Advertisement

मसूड़ों की हेल्थ पर ध्यान नहीं देते? ये पढ़ने के बाद जरूर देंगे

मसूड़ों में सूजन आना, दर्द होना और उनसे खून निकलना बहुत आम हो गया है. ऐसा क्यों होता है, इलाज क्या है, सब जान लीजिए.

Advertisement
all you need to know about gum problems know how to  treat swollen and bleeding gums
मसूड़े हेल्दी तो दांत भी हेल्दी
11 अक्तूबर 2024 (Published: 20:29 IST)
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

मसूड़े. शरीर के इस अहम हिस्सा को कई लोग नज़रअंदाज़ करते हैं. आप इस पर तब तक ध्यान नहीं देते जब तक कोई बड़ी दिक्कत न आ जाए. यही वजह है कि आजकल मसूड़ों में सूजन आना, उनमें दर्द होना, खून आना जैसी समस्याएं बहुत आम हैं. अगर आपने समय रहते अपने मसूड़ों का ध्यान नहीं रखा, लक्षणों पर ध्यान नहीं दिया तो कई दिक्कतें हो सकती है. इसलिए, आज हम विस्तार से मसूड़ों पर ही बात करेंगे. मसूड़ों की हर परेशानी की वजह जानेंगे और इलाज तलाशेंगे.

मसूड़ों में सूजन, दर्द का कारण और इलाज क्या है?

ये हमें बताया डॉक्टर नरपत सिंह राजपूत ने.

DR
डॉ. नरपत सिंह राजपूत, पेरियोडोंटिस्ट एंड ओरल इंप्लांटोलॉजिस्ट, खुशी डेंटल केयर, मुंबई

कई बार लोगों को मसूड़ों में सूजन, खून आने की दिक्कत होती है. हमारे दांत ओरल कैविटी का एक हिस्सा हैं. मुंह में लार होती है और इस लार में बहुत सारे बैक्टीरिया पनपते हैं. अगर दांतों की सफाई नहीं होगी तो बैक्टीरिया की वजह से दांतों में टार्टर (Tartar on Teeth) जमा होने लगेगा. टार्टर सीमेंट जैसी परत होती है, जो दांतों के पीछे या उनके बीच में जमा होती है. फिर टार्टर की वजह से ही हमारे मसूड़ों में सूजन आती है, उनसे खून निकलने लगता है. अगर टार्टर को समय पर साफ नहीं कराया जाए तो हल्का-सा ब्रश छूने पर तुरंत खून निकलने लगता है. कई बार मरीज़ को सुबह उठने के बाद तकिए पर भी थोड़े खून के धब्बे दिखते हैं. ये सारी चीज़ें टार्टर को नज़रअंदाज़ करने की वजह से ही होती हैं.

मसूड़ों से खून आता है तो क्या करें?

मसूड़ों से जुड़ी बीमारी को जिंजिवाइटिस (Gingivitis) और पेरियोडोंटाइटिस (Pyria) कहते हैं. जिंजिवाइटिस, मसूड़ों की बीमारी का हल्का रूप है. जब ये बढ़ता है तो पेरियोडोंटाइटिस बन जाता है. यानी पेरियोडोंटाइटिस एक गंभीर समस्या है. इसमें हमारे दांत धीरे-धीरे हिलने शुरू हो जाते हैं. दांतों के नीचे की हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं. फिर मसूड़े पीछे खिसकना शुरू हो जाते हैं. ये सारी दिक्कतें न आएं इसलिए हर 6 महीने में डेंटल क्लीनिंग कराना ज़रूरी है.

Receding Gums का कारण क्या है?

मसूड़े हमारी हड्डियों के ऊपर होते हैं. दांतों के नीचे मौजूद हड्डी पर मसूड़ों की एक परत होती है. जब हमारे मसूड़े कमज़ोर होते हैं यानी हमें पेरियोडोंटाइटिस या पायरिया होता है. तब पेरियोडोंटाइटिस होने पर हमारी हड्डी कमज़ोर होने लगती है. इस वजह से वो नीचे जाना शुरू हो जाती है. अब जैसे-जैसे हड्डी नीचे जाएगी, वैसे-वैसे मसूड़े पीछे खिसक जाते हैं.

कई बार हमारा ब्रश बहुत सख्त होता है और हम उसका इस्तेमाल भी गलत तरीके से करते हैं. ऐसा लगता है कि हम दांत नहीं बल्कि बर्तन साफ कर रहे हैं. इस वजह से भी हमारे मसूड़े पीछे जाने लगते हैं. इसलिए, हमें सही तरीके से ब्रश करना चाहिए. 

coral pink gums
ऐसे दिखते हैं कोरल पिंक मसूड़े
मसूड़ों का रंग बदलना नॉर्मल है?

मसूड़ों का रंग मेलानिन की वजह से बदल सकता है. बहुत सारे एशियन मरीज़ों में मेलानिन पिगमेंटेशन की वजह से मसूड़े काले होते हैं. यूरोपियन मरीज़ों के मसूड़े कोरल पिंक होते हैं. कोरल पिंक मसूड़े होना नॉर्मल है. अगर मेलानिन पिगमेंटेशन की वजह से मसूड़े काले हैं, तो वो भी नॉर्मल है. लेकिन, अगर मसूड़े बहुत ही ज़्यादा काले हैं तो लेज़र थेरेपी की मदद से इन्हें कोरल पिंक किया जा सकता है.

क्यों करवानी चाहिए डेंटल क्लीनिंग?

हम अक्सर अपने दांतों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं. ये सोचकर कि हम दिन में एक-दो बार ब्रश कर रहे हैं. ब्रश और टूथपेस्ट दांतों को साफ करने के माध्यम हैं. लेकिन, दांतों के बीच में मौजूद टार्टर उन्हें कमज़ोर बनाता है. अगर दांतों के बीच टार्टर है तो उसे निकालना बहुत ज़रूरी है. इसके लिए हमें हर 6 महीने में डेंटिस्ट के पास जाना चाहिए. फिर अपना चेकअप कराकर डेंटल क्लीनिंग करानी चाहिए. अगर आपके दांतों में 6 महीने में टार्टर जमा नहीं हो रहा तो आपको साल में एक बार डेंटल क्लीनिंग करानी चाहिए. क्लीनिंग के ज़रिए ही दांतों के बीच से टार्टर को निकाला जाता है. 

कई मरीज़ों को लगता है कि दांतों की सफाई करने पर दांत हिलने लगेंगे, वो कमज़ोर हो जाएंगे. ये एक मिथक है. दांत साफ कराने से वो कमज़ोर नहीं होते और न ही हिलते हैं. हमारा पीरियोडोन्टियम (periodontium) दांतों को हड्डियों के साथ जोड़कर रखता है. जब हम क्लीनिंग कराते हैं तो थोड़े समय के लिए पीरियोडोन्टियम कमज़ोर और डिअटैच हो जाता है. लेकिन, 7 से 15 के भीतर वो वापस अटैच हो जाता है. यानी क्लीनिंग के बाद हमारे दांत और मसूड़े दोनों ही हेल्दी हो जाते हैं.

कई बार हम ब्रश करने के तरीके पर ध्यान नहीं देते. हमें शीशे में देखकर ब्रश करना चाहिए ताकि दांतों की सफाई पीछे तक हो सके. लेकिन, हम ऐसा करते नहीं और फिर दांतों पर एक पतली बायोफिल्म (बैक्टीरिया का एक समूह) बनने लगती है. उसके ऊपर सीमेंटेशन होने लगता है. आम भाषा में कहें, तो जैसे किडनी में स्टोन होता है. वैसे ही दांतों के बीच स्टोन की एक परत बनने लगती है. इसी को टार्टर कहते हैं. टार्टर जमा होने के बाद जब दांत की सफाई होती है. तब मरीज़ को लगता है कि उसके दांत पीछे से खाली हो गए हैं. असलियत में दांत खाली नहीं होता बल्कि टार्टर की परत निकल जाती है. 

brush your teeth
मसूड़े हेल्दी रखने हैं तो दांतों को अच्छे से ब्रश करें
मसूड़ों को हेल्दी रखने के टिप्स

दांतों को अच्छे से ब्रश करें. दिन में दो बार ब्रश करें. खाना खाने के तुरंत बाद ब्रश न करें क्योंकि उस वक्त हमारे मुंह में एसिड ज़्यादा होता है. इसलिए या तो खाने से पहले ब्रश करें या खाने के एक-दो घंटे बाद. कई तरह के गम पेंट्स आते हैं, आप उनका इस्तेमाल कर सकते हैं. नमक वाले पानी से गरारा कर सकते हैं. नारियल तेल से मसूड़ों के ऊपर मसाज कर सकते हैं. बहुत सारे वॉटर फ्लॉसर भी आते हैं जिनसे दांतों और मसूड़ों के बीच टार्टर वाली जगह को साफ किया जा सकता है.

हेल्दी मसूड़ों के लिए क्या खाएं-पिएं?

मसूड़ों को हेल्दी रखने के लिए विटामिन सी से भरपूर चीज़ें खाएं. विटामिन बी 12 और विटामिन बी से जुड़ी चीज़ें भी खाएं. मसूड़ों को हेल्दी रखने में ये दोनों भी बहुत अहम भूमिका निभाते हैं. शरीर में कैल्शियम की कमी न होने दें. थायरॉइड की जांच कराते रहें. अगर कोई भी दिक्कत आती है तो डॉक्टर से मिलें. 

डायबिटीज़ भी हमारी ओरल कैविटी पर असर डालती है. अगर डायबिटीज़ अनकंट्रोल्ड है तो मसूड़ों में सूजन आएगी. मसूड़ों से खून आने लगेगा. ऐसे में ओरल कैविटी का ध्यान रखने से डायबिटीज़ भी कंट्रोल में रहती है. कई स्टडीज़ में ऐसा देखा गया है. एक्सरसाइज़ करने और फिट रहने के बावजूद बहुत बार युवाओं को हार्ट अटैक आ जाता है. ऐसा ओरल कैविटी का चेकअप न कराने की वजह से भी होता है.

आप खूब फल खाएं. विटामिन सी के लिए नींबू और संतरे का जूस पिएं. मार्केट में कई तरह के सप्लीमेंट्स भी आते हैं. डॉक्टर की सलाह पर आप ये सप्लीमेंट्स ले सकते हैं. नुकीली चीज़ें, जैसे चकली या चिक्की को संभलकर खाएं. ये मसूड़ों को नुकसान पहुंचाती हैं.

tounge cleaners
जीभ को साफ करने के लिए टंग क्लीनर्स का इस्तेमाल करें
स्वस्थ मसूड़ों के लिए क्या इस्तेमाल करें?

डेंटल चेकअप कराना बहुत ज़रूरी है. रोज़ ब्रश करें. सोने से पहले कम से कम एक बार नॉन ऐल्कोहॉलिक माउथवॉश का इस्तेमाल करें. इससे दांत के बीच मौजूद कचरा साफ हो जाता है. मार्केट में बहुत सारे गम पेंट्स भी आते हैं. इनसे आप मसूड़ों के ऊपर मसाज कर सकते हैं.

साथ ही, अपनी जीभ को साफ रखें. बहुत सारे बैक्टीरिया जीभ पर जमा होते हैं इसलिए टंग क्लीनर्स से अपनी जीभ साफ रखें. वॉटर फ्लॉसर का इस्तेमाल करें. इससे मसूड़ों और दांतों के बीच गैप साफ रहता है.

तंबाकू से मसूड़ों को क्या नुकसान पहुंचता है?

सिगरेट और तंबाकू धीरे-धीरे हमारे मसूड़ों को कमज़ोर करती है. कई मरीज़ शिकायत करते हैं कि जीभ पर सफेद धब्बे पड़ गए हैं या उनका मुंह नहीं खुल रहा. तंबाकू जैसी चीज़ें कुछ समय के लिए मज़ा देती हैं लेकिन ज़िंदगीभर की सज़ा बन जाती हैं. जब तंबाकू का सेवन करते हैं, तब हमारे मसूड़ों के अंदर खून का फ्लो कम हो जाता है. खून का फ्लो कम होने से वहां ऑक्सीज़न नहीं पहुंचता. फिर हमारे टिशूज़ मरने लगते हैं और वहां कैंसर हो सकता है. जहां ऑक्सीज़न होगा, वहां कैंसर नहीं होगा. लेकिन, जहां ऑक्सीजन नहीं होगा, वहां कैंसर होना तय है. लिहाज़ा जितना मुमकिन हो, शराब और सिगरेट से परहेज़ करें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहतः जब आप फ़ास्टिंग करते हैं तो शरीर में क्या होता है?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement