डार्क अंडरआर्म्स, कोहनी, गर्दन की वजह ये बीमारी हो सकती है, दिक्कत इग्नोर न करें
बगलों के डार्क होने को लोग अक्सर एक कॉस्मेटिक दिक्कत समझते हैं. पर इसकी वजह अक्सर एकैंथोसिस निग्रीकांस नाम की स्किन कंडीशन होती है.
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डार्क अंडरआर्म्स. यानी बगलों का डार्क हो जाना. कुछ ऐसा दिखना. लोग अक्सर इसे एक कॉस्मेटिक दिक्कत समझते हैं. यानी दिखावटी और खूबसूरती से जुड़ी.
पर क्या आपको पता है? अंडरआर्म्स के डार्क होने की वजह अक्सर एक स्किन कंडीशन होती है. इस कंडीशन का नाम है एकैंथोसिस निग्रीकांस. इसके बारे में हमें और जानकारी दी डॉक्टर मनीष जांगड़ा ने.

डॉक्टर मनीष बताते हैं कि शरीर के कई हिस्सों की स्किन थोड़ी डार्क होती है. जैसे बगलों की. जांघों के बीच के हिस्से की. गर्दन के पीछे की. कभी-कभी कोहनी, घुटने और उंगलियों के जोड़ भी डार्क होते हैं. ऐसा एकैंथोसिस निग्रीकांस की वजह से हो सकता है. इसी कंडीशन के चलते इन हिस्सों की स्किन थोड़ी मोटी हो जाती है. इनका रंग भी डार्क पड़ जाता है.
अगर आपके घर-परिवार में किसी को एकैंथोसिस निग्रीकांस है तो ये आपको भी हो सकता है. अक्सर ये कंडीशन इंसुलिन रेज़िस्टेंस के चलते होती है.
क्या है इंसुलिन रेज़िस्टेंस? देखिए, आप जो खाना खाते हैं. वो शरीर में जाकर ग्लूकोज़ में बदलता है. फिर ये टूटकर खून में मिल जाता है. आपके शरीर में इंसुलिन हॉर्मोन रिलीज़ होता है. ये सेल्स की मदद करता है. ताकि वो खाने से मिले ग्लूकोज़ को एनर्जी में बदल सके. इस एनर्जी का इस्तेमाल शरीर अलग-अलग कामों के लिए करता है. पर जब शरीर के सेल्स खाने को ठीक तरह ग्लूकोज़ में नहीं बदल पाते. इंसुलिन हॉर्मोन का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते. तब शरीर में इंसुलिन रेज़िस्टेंस होने लगता है. ऐसा होने पर खून में शुगर का लेवल बढ़ जाता है.
कुछ और वजहों से भी एकैंथोसिस निग्रीकांस कंडीशन हो सकती है. जैसे मोटापा. टाइप-2 डायबिटीज़. हॉर्मोन्स से जुड़ी बीमारियां, जैसे PCOS यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या हाइपोथायरॉइडिज़्म. कुछ खास दवाएं और कैंसर भी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं.

अब एकैंथोसिस निग्रीकांस सुनने में बहुत डरावना लगता है. पर इसका पता लगाना बहुत आसान है. आमतौर पर, डॉक्टर इसकी देखकर जांच करते हैं. यानी व्यक्ति को देखकर पता लगाते हैं कि उसे ये कंडीशन हो सकती है या नहीं. व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री भी पूछी जाती है. जिससे पता चल सके कि कहीं उसे कोई दूसरी बीमारी तो नहीं है. आमतौर पर, इतने से एकैंथोसिस निग्रीकांस का पता चल जाता है. अगर ज़रूरत पड़ती है, तो ब्लड टेस्ट या स्किन बायोप्सी की जा सकती है.
देखिए, ये कंडीशन खुद से नहीं ठीक होती. इसका इलाज कराना पड़ता है. कैसे होगा इलाज? उस वजह को दूर करके, जिसके चलते ये कंडीशन हुई है. यानी अगर मोटापा है, तो वज़न कम करना होगा. अपने शुगर लेवल ठीक करने होंगे. PCOS, हाइपोथायरॉइडिज़्म को कंट्रोल करना होगा. किसी दवाई की वजह से दिक्कत है, तो वो दवा बदलनी होगी. माने मोटा-माटी आपको अपना लाइफस्टाइल सुधारना पड़ेगा.
जहां तक बात डार्क अंडरआर्म्स या दूसरे हिस्सों की है. तो डॉक्टर की सलाह पर आप कोई क्रीम लगा सकते हैं. ज़रूरत पड़ने पर लेज़र ट्रीटमेंट या केमिकल पील्स करवा सकते हैं. केमिकल पील्स में स्किन पर हल्के केमिकल्स लगाए जाते हैं. इससे स्किन की ऊपरी परत धीरे-धीरे हटती है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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