पड़ताल: क्या कनाडा के प्रधानमंत्री भारतीय किसानों के समर्थन में चल रहे धरने में शामिल हुए?
वायरल तस्वीर के साथ किए जा रहे दावे का सच क्या है?
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वायरल तस्वीर और दावे की पूरी सच्चाई जान लीजिए.
दावा
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. इस तस्वीर में ट्रूडो भारतीयों के साथ ज़मीन पर बैठे दिख रहे हैं. कई यूजर्स का दावा है कि ये तस्वीर किसान आंदोलन से जुड़े प्रोटेस्ट की है. दावा किया जा रहा है कि ट्रूडो किसानों के धरने में शामिल हुए.फ़ेसबुक यूजर मोहम्मद मकदूम ने पोस्ट
किया,

सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट.
(आर्काइव लिंक)
एक अन्य फ़ेसबुक यूजर
ने लिखा,
क्या नजारा है!कनाडा का प्रधानमंत्री किसानों के साथ धरने पर बैठा है और भारत का प्रधानमंत्री अंबानी के साथ बैठा साजिश रच रहा है!
क्या नजारा है! कनाडा का प्रधानमंत्री किसानों के साथ धरने पर बैठा है और भारत का प्रधानमंत्री अंबानी के साथ बैठा साजिश रच रहा है!
Posted by डॉ चतुरानन ओझा.
on Friday, 4 December 2020
यही तस्वीर ऐसे ही दावे के साथ ट्विटर
पर भी शेयर हो रही है.
(आर्काइव लिंक)अब किसानों के धरने पर बैठे कनाडा के प्रधानमंत्री...! pic.twitter.com/doakUGsDd2
— 🌸Abul Fajal Laskar🌺🇮🇳 (@AbulFajalLaska1) December 2, 2020
और भी कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इसी तरह के दावे किए हैं.
पड़ताल
'दी लल्लनटॉप' ने इस दावे की विस्तार से पड़ताल की. हमारी पड़ताल में ये दावा ग़लत निकला. वायरल तस्वीर पांच साल पुरानी है. इसका किसानों के प्रोटेस्ट से कोई संबंध नहीं है.रिवर्स इमेज से सर्च करने पर हमें ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट
मिली. ये रिपोर्ट 12 नवंबर, 2015 को पब्लिश हुई थी. इस रिपोर्ट में हमें वो तस्वीर मिल गई, जो अभी के किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल की जा रही है. (आर्काइव लिंक)
ट्रिब्यून की रिपोर्ट का टाइटल है,
Canadian PM Trudeau celebrates Diwali in Ottawa
(कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने ओटावा में दिवाली मनाई)

ट्रिब्यून की रिपोर्ट.
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री ट्रूडो भारतीय समुदाय के लोगों के साथ दिवाली मनाने मंदिर और गुरूद्वारे गए थे. उस वक़्त कनाडा में भारत के उच्चायुक्त विष्णु प्रकाश ने उनका स्वागत भी किया था. विष्णु प्रकाश मार्च, 2015 से अक्टूबर, 2016
तक कनाडा में भारत के उच्चायुक्त थे.
हमने ट्विटर पर कीवर्ड्स की मदद से सर्च किया. हमें विष्णु प्रकाश का ट्वीट मिल गया. उन्होंने उसी समारोह की तस्वीर 12 नवंबर, 2015 को ट्वीट
की थी.
(आर्काइव लिंक)With PM @JustinTrudeau
— Ambassador Vishnu Prakash (@AmbVPrakash) November 12, 2015
at Gurdwara in Ottawa today on occasion of Diwali celebrations pic.twitter.com/6V8HiKiVX0
हमें ये तस्वीर, फ़ोटो स्टॉक एजेंसी Alamy
पर भी मिली. तस्वीर के कैप्शन में लिखा है,
Canadian Prime Minister Justin Trudeau listens to speeches at the Gurdwara Sahib Ottawa Sikh Society in Ottawa, Canadaइस तस्वीर के साथ 11 नवंबर, 2015 की तारीख़ का टैग लगा है.
(ओट्टावा के गुरूद्वारा साहिब में स्पीच सुनते कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो)

Alamy पर भी मौजूद है ये तस्वीर.
हमें इंटरनेट पर इस आयोजन की कई प्रामाणिक मीडिया रिपोर्ट्स
भी मिलीं. साफ़ है कि जिस तस्वीर को हालिया किसान आंदोलन से जोड़ा जा रहा है, वो 2015 में दिवाली के आयोजन से जुड़ी है. ट्रूडो 4 नवंबर, 2015 को कनाडा के प्रधानमंत्री बने थे. इसके एक हफ्ते बाद दिवाली थी. और, वो भारतीय समुदाय के साथ दिवाली मनाने पहुंचे थे.
नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ किसान दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनको कनाडा में भी सपोर्ट मिल रहा है. 5 दिसंबर को कनाडा में रह रहे प्रवासी भारतीयों ने इंडियन कॉन्स्युलेट के बाहर प्रोटेस्ट
किया. (आर्काइव लिंक)

किसानों के समर्थन में कनाडा में चल रहा है प्रोटेस्ट.
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दो मौकों पर किसानों के शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट का समर्थन किया था. हालांकि, वो ऐसी किसी रैली में शामिल नहीं हुए हैं.
(आर्काइव लिंक)We welcome the support of @JustinTrudeau
— Sukhpal Singh Khaira (@SukhpalKhaira) December 1, 2020
Pm Canada for the farmers agitation and urge Bjp govt to accept the legitimate demands of farmers who have contributed to the inclusive development of India and are themselves under a colossal debt leading to widespread suicides-khaira pic.twitter.com/T7WqMvWx51
भारत सरकार ने ट्रूडो के इस बयान की निंदा
की थी. और कहा था कि ये भारत का आंतरिक मामला है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्रूडो के बयान पर आपत्ति जताई थी.
नतीजा
किसानों के धरने में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के शामिल होने का दावा ग़लत है. वायरल तस्वीर नवंबर, 2015 की है. तब ट्रूडो एक दिवाली कार्यक्रम में हिस्सा लेने ओट्टावा के गुरुद्वारे में पहुंचे थे. जस्टिन ट्रूडो ने किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन का समर्थन ज़रूर किया है. लेकिन वो ऐसे किसी धरने में शामिल नहीं हुए हैं.पड़ताल अब वॉट्सऐप पर. वॉट्सऐप हेल्पलाइन से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक
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