पंकज त्रिपाठी ने बताया, 'न्यूटन' की एंडिंग बदलने के पीछे क्या कहानी थी?
'न्यूटन' में पहले पंकज त्रिपाठी के किरदार को अलग ढंग से लिखा गया था. फिर उन्होंने डायरेक्टर अमित मसूरकर से कहा कि मुझे मज़े-मज़े में किरदार पर काम करने दो.

Pankaj Tripathi और Rajkummar Rao की एक कमाल की फिल्म है Newton. इंडिया की तरफ से उसे ऑफिशियल ऑस्कर एंट्री बनाकर भी भेजा गया था. फिल्म में राजकुमार न्यूटन नाम के एक इलेक्शन ऑफिसर बने हैं जिसे नक्सली इलाके में जाकर चुनाव करवाने हैं. पंकज त्रिपाठी ने एक CRPF ऑफिसर का रोल किया. उसका काम था न्यूटन को ठीक से काम नहीं करने देने का. बस जल्दी से चुनाव लपेटो और निकलो. उसे उसका ईनाम भी मिलता है, ऑलिव ऑइल का डिब्बा. पंकज त्रिपाठी ने ‘गेस्ट इन द न्यूज़रूम’ के एपिसोड में बताया कि ‘न्यूटन’ की ओरिजनल एंडिंग कुछ और थी. उसे बाद में बदला गया था. उन्होंने कहा,
‘न्यूटन’ करते हुए मुझे बहुत मज़ा आया था. मेरे लिए ‘न्यूटन’ का क्लाइमैक्स कुछ और था. फिल्म खत्म होती है और वो (आत्मा सिंह) अपने परिवार के साथ सुपरमार्केट में महंगी चीज़ें खरीद रहा है. बेटी बोलती है कि ऑलिव ऑइल इतने का है. पहले ये सीन नहीं था. कुछ और था. दो-तीन दिन बाद मैंने अमित मसूरकर को बोला कि तुमने ऐरोगेंट, सिनिकल लिखा है पर मुझे ऐसा नहीं लग रहा. मुझे न्यूटन से क्यों बदला लेना है. सुबह आठ बजे उससे मिले हैं. मुझे पता है कि शाम पांच बजे के बाद उस इंसान से नहीं मिलूंगा. वो मेरी बात नहीं मान रहा. इस सीन को छोड़ दो. शूटिंग के दौरान मुझे एक-दो दिन मज़े लेने दो.
पंकज बताते हैं कि उन्होंने अपने ढंग से किरदार को अप्रोच करना शुरू किया. अमित को परिणाम अच्छा लगा. उन्होंने कहा कि आप ऐसे ही कीजिए. पंकज बताते हैं कि ‘न्यूटन’ की स्क्रिप्ट के पहले ड्राफ्ट में एंडिंग कुछ और थी. लिखा गया था कि नक्सली इलाके में शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव करवाने के लिए पंकज के किरदार आत्मा सिंह को सम्मानित किया जाता है. लेकिन शूट करते-करते उसे बदल दिया गया. अंत में हम देखते हैं कि आत्मा सिंह अब महंगे दाम वाला ऑलिव ऑइल बड़ी आसानी से खरीद पा रहा है. पैसा कहां से आया, ये बताना जनता की समझ पर सवाल करने जैसा होगा.