'किल-बिल' में उमा थरमन को पीली ड्रेस में देखा ही होगा. लड़की ने ऐसे ग़ज़ब के स्टंट किए थे मानो शॉवनिज़्म को हथेली दिखाकर कह रही हो, "टॉक टू माय हैंड".
बहरहाल 'किल बिल' के साथ भारत के दो कनेक्शन हैं. पहला तो मेरे शहर अल्मोड़ा से ही है, जहां पर उमा कुल जमा दो वर्ष तक रहीं. पहले एक की उम्र में फिर 11 की. और यहीं से नाम पड़ा उमा और करुणा. यानी पूरा नाम - उमा करुणा थरमन.
अब जिक्र करते हैं दूसरे कनेक्शन का जिसकी वजह से आज हम ये बात कर रहे हैं. 'किल-बिल' फ़िल्म के निर्देशक हैं - क्वेंटिन टैरेन्टीनो. यदि आपको फ़िल्मों का इत्ता सा भी शौक है तो ऐसा हो नहीं सकता कि आप टैरेन्टीनो को न जानें. वही टैरेन्टीनो जिनसे अपने अनुराग कश्यप हद्द इंस्पायर्ड हैं. मगर खुद टैरेन्टीनो अपने 'हिन्दुस्तानी' (पन इंटैन्डेड) बड्डे बॉय यानी कमल हसन से इंस्पायर्ड हैं. उन्हें 'किल-बिल' की प्रेरणा कमल की ही एक फिल्म से मिली थी.
#1. वो फिल्म जिसने टैरेन्टीनो को प्रेरित कर दिया
कमल की एक तमिल फिल्म है - 'आलावंधन' (2001). हिंदी में ये 'अभय' नाम से डब होकर आई थी. इसमें कमल के साथ रवीना टंडन और मनीषा कोइराला ने भी अभिनय किया था.
'आलावंधन' में कुछ एनिमेटेड सीन भी हैं. मसलन, जब मनीषा कोइराला, कमल हसन को बैल्ट से मार रही होती हैं और कमल टी.वी. देख रहे होते हैं तो दोनों के किरदार एनिमेटेड कैरेक्टर्स में बदल जाते हैं.
बाद में टैरेन्टीनो की फिल्म में भी कुछ ऐसा ही किया गया था. उसमें जब ओ-रेन इशी की कहानी का फ़्लैशबैक चलता है.
हम लोग जो ये मानते हैं कि हॉलीवुड मूवीज़ से भारतीय फ़िल्में ही इंस्पायर्ड होती आई हैं, तो उनके लिए ये लॉजिक प्रस्तुत है कि 'किल बिल' आई थी 2003 में और 'आलावंधन' 2001 में.
होने को ये केवल इत्तेफाक कहा जा सकता है, इंस्पिरेशन या रिप-ऑफ़ नहीं. लेकिन तब शक की कोई गुंजाइश नहीं रही जब टैरेन्टीनो ने अनुराग कश्यप से बातचीत के दौरान खुद स्वीकार किया कि, "हां मैंने इस भारतीय सीरियल-किलर मूवी (कमल की फिल्म 'आलावंधन/अभय') को देखा, जिसमें हिंसा को एनिमेटेड करके दिखाया गया है."
#2. जब आतंकवादी जैसे नाम के लिए उन्हें हिरासत में लिया गया
कमल को उनकी हर फिल्म में बदलते गेटअप और मेकअप के लिए भी बहुत ज्यादा जाना जाता है. जैसे - 'इंडियन', 'आलावंधन', 'चाची 420', 'अन्नाई वेलनकन्नी' (यीशू बने थे लेकिन क्रेडिट नहीं मिला था), 'दशावतारम्', 'अप्पू राजा', 'विश्वरूपम', 'हे राम.'
मेकअप को लेकर अपने इसी फितूर के चलते वो एक बार मुसीबत में फंस गए थे. लेकिन उन्होंने मजबूती से सामना किया.
हुआ ये कि 27 अप्रैल 2002 को टोरंटो एयरपोर्ट पर उन्हें डिटेन कर लिया गया था. कहा गया कि उनका नाम किसी आतंकवादी से मिलता है. जब वे टोरंटो से लॉस एंजेल्स की फ्लाइट लेने जा रहे थे तो कस्टम अधिकारियों ने कनाडा आने का कारण पूछा. कमल हसन ने कहा कि वे 'पंचाथंटिरम' की शूटिंग के लिए आए हैं.
जैसे-तैसे कस्टम वाले उनकी इस बात से कन्विंस हुए. लेकिन अगला प्रश्न पूछ लिया कि फिर लॉस एंजेल्स क्या करने जा रहे हो? कमल ने उत्तर दिया - "प्रॉस्थेटिक(?) मेकअप करने". अधिकारियों को न प्रॉस्थेटिक मेकअप की कला की जानकारी थी, न ही मेकअप को लेकर कमल के इस ज़ुनून के बारे में. इस वजह से उनसे और ज्यादा पूछताछ की गई और कमल बहुत परेशान हुए.
बाद में कस्टम अधिकारियों ने कमल पर इल्ज़ाम लगाया कि उन्होंने एयरपोर्ट में अशिष्ट बर्ताव किया तो उनका उत्तर सॉलिड था. कमल के मुताबिक, "मैं अशिष्ट नहीं था, वो अशिष्ट थे, 9/11 अशिष्ट था. ये सब काफी अपमानित करने वाला था, लेकिन फिर भी दक्षिण अफ़्रीका में गांधी जी को ट्रेन के बाहर फेंक दिए जाने जितना अपमानित करने वाला नहीं."
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