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यूपी उपचुनाव में BJP ने छक्का जड़ दिया, सपा ने भी अपनी सीट बचा ली

यूपी में सात सीटों पर उपचुनाव हुए थे.

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सपा ने सात में से एक सीट जीती है. फोटो- PTI
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Varun Kumar
10 नवंबर 2020 (Updated: 11 नवंबर 2020, 08:57 AM IST) कॉमेंट्स
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बिहार चुनाव के नतीजों के साथ अलग-अलग राज्यों में हुए उपचुनाव के नतीजे भी सामने आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश की सात सीटों पर विधानसभा चुनाव हुए. इनमें से छह सीटें बीजेपी ने जीत ली हैं, वहीं एक सीट पर समाजवादी पार्टी ने कब्जा कर लिया है. चलिए एक-एक करके इन सातों सीटों के बारे में जानते हैं.
बांगरमऊ सीट
उन्नाव जिले की बांगरमऊ सीट से साल 2017 में बीजेपी के कुलदीप सिंह सेंगर ने जीत हासिल की थी. सेंगर पर नाबालिग से रेप का आरोप लगा था. अगस्त 2020 में सेंगर को रेप का दोषी पाया गया. इसके चलते ये सीट खाली हुई. इस बार इस सीट पर सेंगर की पत्नी टिकट चाहती थीं, लेकिन बीजेपी ने उनसे दूरी बनाना ठीक समझा. पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे श्रीकांत कटियार को टिकट दिया गया. उन्होंने 71,381 वोटों के साथ इस सीट पर जीत दर्ज की.
बुलंदशहर सीट पश्चिमी यूपी के बुलंदशहर जिले की सदर सीट. 2017 में बीजेपी नेता वीरेंद्र सिंह सिरोही यहां से जीते थे. उन्होंने लगातार दो बार विधायक रहे बीएसपी नेता हाजी अलीम को हराया था. मार्च 2020 में बीमारी के चलते वीरेंद्र सिंह का देहांत हो गया. बीजेपी ने उनकी पत्नी उषा सिरोही को पार्टी का उम्मीदवार बनाया. उन्होंने 88 हज़ार 645 वोटों के साथ इस सीट पर जीत दर्ज की है.
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फोटो साभार- इलेक्शन कमीशन

देवरिया सीट देवरिया विधानसभा सीट से साल 2017 में बीजेपी के टिकट पर जनमेजय सिंह जीते थे. दिल का दौरा पड़ने से उनका देहांत हो गया था. जनमेजय लगातार दो बार विधायक बने थे. 2012 में भी उन्होंने जीत हासिल की थी. उनसे पहले लगातार दो बार दीनानाथ कुशवाहा यहां से विधायक रहे थे. बीजेपी ने यहां से सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया. इस बात से नाराज होकर जनमेजय सिंह के बेटे अजय सिंह निर्दलीय ही मैदान में उतर गए. हालांकि, इस नाराज़गी का फायदा अजय सिंह के पक्ष में जाता नहीं दिखा. सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी उर्फ गुड्डू बाबू 68 हज़ार 732 वोटों के साथ ये चुनाव जीत गए.
घाटमपुर सीट
कानपुर जिले की घाटमपुर विधानसभा सीट से साल 2017 में बीजेपी की कमला रानी वरुण ने जीत दर्ज की थी. अगस्त 2020 में कोरोना वायरस के कारण उनका निधन हो गया. पार्टी ने उपचुनाव में उपेंद्र पासवान को टिकट दिया. हालांकि टिकट के लिए कमला रानी वरुण की बेटी स्वप्निल भी दावेदार थीं.उपेंद्र पासवान ने ये सीट 60 हज़ार 405 वोटों के साथ जीत ली है. इस सीट पर दिलचस्प ये रहा कि सपा, बसपा और कांग्रेस उम्मीदवारों को क्रमशः 22 हज़ार, 36 हज़ार और 36 हज़ार से अधिक वोट मिले.
मल्हानी सीट जौनपुर जिले की मल्हनी विधानसभा सीट. 2017 के चुनाव में मल्हनी से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार पारसनाथ यादव जीते थे. जून 2020 में लंबी बीमारी के बाद उनका देहांत हो गया. वो छह बार विधायक और दो बार सांसद रहे थे. इस उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने उनके बेटे लकी यादव को टिकट दिया. इस सीट पर लकी यादव ने 73 हज़ार 468 वोटों के साथ जीत दर्ज की है. ये इकलौती सीट है जिस पर बीजेपी के अलावा किसी और पार्टी ने कब्जा किया है.
नौगांवा सादात नौगांवा सादात विधानसभा सीट, अमरोहा जिले का हिस्सा है. 2017 में यहां से बीजेपी नेता चेतन चौहान ने जीत दर्ज की थी. उनसे पहले समाजवादी पार्टी के अश्फाक अलीखान यहां से विधायक रहे थे. अगस्त 2020 में कोरोना और अन्य बीमारियों के कारण चेतन चौहान का निधन हो गया. बीजेपी ने उनकी पत्नी संगीता चौहान को टिकट दिया. संगीता कुछ वक्त पहले ही सेंट्रल बैंक के महाप्रबंधक पद से रिटायर हुई थीं. अब वो विधायक बन गई हैं. उन्हें 86 हज़ार 692 वोट मिले हैं.
टूंडला सीट
टूंडला विधानसभा सीट, फिरोजाबाद जिले में पड़ती है. साल 2017 में यहां से बीजेपी उम्मीदवार एसपी सिंह बघेल जीते थे और योगी सरकार में मंत्री भी बने थे. 2019 में उन्होंने पार्टी के कहने पर आगरा से लोकसभा चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी. तभी से टूंडला सीट खाली थी. बीजेपी ने जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ब्रज क्षेत्र के क्षेत्रीय मंत्री प्रेम सिंह धनगर को मैदान में उतारा था, जो अब जीत गए हैं. उन्हें 72 हज़ार 950 वोट मिले हैं.

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