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लाल बहादुर शास्त्री का पोता, जिसका सियासी सफर नाना के नाम के भरोसे नहीं चला

प्रयागराज पश्चिम से फिर विधायकी का चुनाव लड़ने वाले हैं सिद्धार्थनाथ सिंह.

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मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह प्रयागराज पश्चिम से चुनाव मैदान में हैं.
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उदय भटनागर
4 फ़रवरी 2022 (Updated: 4 फ़रवरी 2022, 04:10 PM IST)
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यूपी के प्रयागराज में 12 विधानसभाएं हैं. फिलहाल इनमें से 9 पर भारतीय जनता पार्टी, 2 पर बहुजन समाज पार्टी और एक पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है. इन्हीं में से एक है प्रयागराज पश्चिम, जहां से मौजूदा विधायक हैं बीजेपी के सिद्धार्थनाथ सिंह. वो योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री भी हैं. साल 2017 में सिद्धार्थनाथ सिंह ने यहां से समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार रिचा सिंह को हराया था. इस समय वो उत्तर प्रदेश सरकार में खादी एवं ग्रामोद्योग हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग रेशम उद्योग विभाग के कैबिनेट मंत्री का पदभार संभाल रहे हैं. सिद्धार्थनाथ सिंह उत्तर प्रदेश सरकार के आधिकारिक प्रवक्ता भी हैं.

कम ही लोग जानते हैं कि सिद्धार्थनाथ सिंह पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती हैं. हालांकि अपने सियासी करियर के लिए उन्होंने कांग्रेस को नहीं, बीजेपी को चुना. पार्टी का चर्चित चेहरा बनने से पहले सिद्धार्थनाथ सिंह ने लंंबे समय तक संगठन का काम किया है. बीजेपी के अंदर उनको एक अच्छे संगठनकर्ता की तरह देखा जाता है. वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं.


एबीवीपी से हुई शुरुआत

1 अक्टूबर 1963 को जन्मे सिद्धार्थनाथ सिंह एक प्रत‍िष्‍ठ‍ित कायस्‍थ पर‍िवार से संबंध रखते हैं. उनके पिता का नाम विजय नाथ सिंह था. उनकी मां सुमन शास्त्री पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की सबसे छोटी बेटी थीं. सिद्धार्थनाथ सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है. उनकी पत्नी डॉक्टर नीता सिंह दिल्ली में डेंटिस्ट हैं. परिवार में दो बच्चे हैं. सिद्धांत और निशांत सिंह.


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सिद्धार्थनाथ सिंह और उनकी पत्नी डॉक्टर नीता सिंह अपने दोनों बच्चे सिद्धांत और निशांत सिंह के साथ. (तस्वीर -ट्विटर)

दिल्ली में पढ़ाई के दौरान सिद्धार्थनाथ सिंह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ गए थे. यहीं से उनका स‍ियासी सफर शुरू हुआ. स‍िद्धार्थनाथ स‍िंह के परिवार का यूपी की स‍ियासत में दबदबा रहा है. उनके चाचा नौनिहाल सिंह उत्तर प्रदेश की एनडी तिवारी और वीपी सिंह सरकार में कद्दावर मंत्री थे. लेकिन स‍िद्धार्थनाथ स‍िंह ने अपना सियासी सफर बीजेपी संगठन में बतौर कार्यकर्ता शुरू किया. 1998 में सिद्धार्थनाथ दिल्ली प्रदेश के बीजेपी युवा मोर्चा में राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य बनाए गए. 2000 में उन्‍हें इसका मीडिया सचिव बनाया गया.

टीवी9 हिंदी की एक रिपोर्ट
के अनुसार यूपी की स‍ियासत में आने से पहले स‍िद्धार्थनाथ स‍िंह कई राज्‍यों में बीजेपी के प्रभारी रहे. 2002 में उन्हें बीजेपी की केंद्रीय मीडिया सेल का सहसंयोजक बनाया गया. 2009 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय प्रवक्ता और लोकसभा चुनाव का समन्वयक बनाया गया. फिर 2010 में उन्होंने पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी के तौर पर काम क‍िया. वहीं 2012 में वो गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय समन्वयक बनाए गए थे. साथ ही उन्‍होंने आंध्र प्रदेश के प्रभारी तौर पर भी काम क‍िया.

2017 में यूपी विधानसभा चुनाव हुए. अब स‍िद्धार्थनाथ स‍िंह उत्तर भारत की राजनीति में एक जाना पहचाना नाम थे. प्रधानमंत्री मोदी और उस समय बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अमित शाह से करीबी होने के चलते उनका कद पार्टी में भी बढ़ा था. इसी को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें यूपी विधानसभा चुनाव में प्रयागराज पश्चिम विधानसभा सीट से मैदान में उतार दिया. यहां उन्होंने दो बार की बसपा विधायक पूजा पाल और सपा की प्रत्याशी रिचा सिंह को हराया. चुनाव में जीत के बाद बीजेपी की सरकार बनी तो उन्‍हें राज्य के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय का पदभार द‍िया गया.


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चुनाव प्रचार के दौरान BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ सिद्धार्थनाथ सिंह. (साभार-ट्विटर)

उसी साल बतौर स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के लिए बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज का मामला बड़ी मुसीबत बन कर आया. तब की मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक गोरखपुर स्थित इस अस्पताल में कथित रूप से मेडिकल ऑक्सीजन की कमी की वजह से दर्जनों बच्चों की मौत हो गई थी. इस मामले में उनकी और पूरी यूपी सरकार की काफी किरकिरी हुई थी. सिद्धार्थनाथ सिंह खास तौर पर आलोचना का शिकार हुए, क्योंकि वो सूबे के हेल्थ मिनिस्टर थे. उनके बयानों को लेकर तब काफी विवाद हुआ था. बाद में चलकर उनका विभाग बदल दिया गया.

हालांकि सिद्धार्थनाथ सिंह पर बीजेपी का भरोसा अब तक बना हुआ है. इसीलिए उन्हें एक बार फिर प्रयागराज पश्चिम से चुनाव टिकट दिया गया है. अपने नामांकन के समय दाखिल किए हलफनामे में मंत्री सिद्धार्थनाथ ने बताया कि उनके पास कुल 2 करोड़ 53 लाख रुपये की चल-अचल संपत्ति है. उनकी पत्नी के पास 2.80 करोड़ रुपये की संपत्ति है. जबकि बच्चों के पास 14.14 लाख रुपये की संपत्ति है. हलफनामे के मुताबिक 2017 से सिद्धार्थनाथ सिंह की संपत्ति में 6 लाख 20 हजार 427 रुपये का इजाफा हुआ है.

इस समय सिद्धार्थनाथ सिंह एक कथित हमले को लेकर चर्चा में है. कुछ मीडिया रिपोर्टों में बताया गया था कि 3 फरवरी को जब वो नामांकन के लिए जा रहे थे, तभी एक युवक ने उन पर हमला करने की कोशिश की थी. हालांकि प्रयागराज पुलिस ने इस दावे को झूठा करार दिया था. इसके बाद मामले पर मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह का कोई नया बयान नहीं आया है.

इस बार के चुनाव में सिद्धार्थनाथ खुद को 'बुलडोजर सीएम योगी आदित्यनाथ का एक्सपेरिमेंटल बॉय' बता प्रचार कर रहे हैं. उनके सामने सपा के अमरनाथ मौर्या चुनाव मैदान में हैं. देखना होगा वो फिर से कमल खिला पाते हैं या नहीं.


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