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बहनजी के भाईजी ने कमाया 18000 परसेंट का मुनाफा!

यूपी इलेक्शन से पहले बड़ा बम फूटा, दामाद जी के बाद अब 'भाई जी'!

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कुलदीप
10 जनवरी 2017 (Updated: 10 जनवरी 2017, 07:39 AM IST) कॉमेंट्स
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उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले बड़ा धमाका! अब देखिएगा, 'दामादजी' के साथ साथ 'भाईजी' का मुद्दा भी उठेगा! खबर ये है कि एक रिपोर्ट आई है. जिसमें कहा गया है कि 7 साल में बसपा सुप्रीमो मायावती के भाई आनंद कुमार ने 18000 परसेंट का 'असामान्य मुनाफा' कमाया है. 18000 परसेंट का मतलब? अगर धंधे में 1 लाख रुपये लगाए जाएं और 7 साल में 1.81 करोड़ का मुनाफा बना लें. धांसू! जिन सात सालों में आनंद कुमार की संपत्ति कई गुना बढ़ने की बात कही जा रही है, उनमें से 5 सालों तक (2007 से 2012) प्रदेश में 'बहन' मायावती की सरकार थी. टीवी चैनल 'टाइम्स नाऊ' ने सोमवार शाम खबर दी कि कुमार का 'अद्भुत, अविश्वसनीय और अकल्पनीय' मुनाफा अब इनकम टैक्स जांच के दायरे में आ गया है.
खबर है कि कुमार की 1316 करोड़ की दौलत की जांच की जा रही है. इसे नए साल अब तक का सबसे बड़ा पॉलिटिकल स्कैंडल बताते हुए 'टाइम्स नाऊ' ने रिपोर्ट किया, 'कुमार कम से कम 12 कंपनियों के मालिक हैं. उनकी कुल दौलत में 440 करोड़ कैश और 870 करोड़ बाकी संपत्ति है.'
रिपोर्ट के मुताबिक, आनंद कुमार ने कई फर्जी कंपनियां भी बनाई हैं. इनकी कंपनी दिया रियलटर्स प्राइवेट लिमिटेड ने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 7 साल में 45257 परसेंट का मुनाफा कमाया है. https://twitter.com/TimesNow/status/818460947761209345 26 दिसंबर को ही एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) की तरफ से पता चला था कि दो बैंक खातों में 104 करोड़ रुपये जमा किए गए थे, जिनमें से एक बसपा का था और एक आनंद कुमार का. इनमें से आनंद के यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया खाते में 1.43 करोड़ रुपये जमा कराए गए थे. https://twitter.com/TimesNow/status/818457881078923264 ईडी अपने रुटीन सर्वे के तहत संदिग्ध ट्रांजेक्शन पर नजर रखता है. इसी के तहत अधिकारी यूबीआई बैंक की करोल बाग ब्रांच में पहुंचे और पाया कि नोटबंदी के बाद दो बैंक खातों में काफी पैसा जमा किया गया है. जब मामला खुला तो मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसे साजिश बताया था. डायरेक्ट अटैक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किया. कहा कि हमारी पार्टी नोटबंदी के खिलाफ जोर-शोर से बोल रही है, इसलिए राजनीतिक दुश्मनी के तहत उनके भाई को बदनाम करने की कोशिश हो रही है. मायावती के भाई के खिलाफ चुनाव से पहले बड़े आरोप सामने आए हैं. पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ रही है. बहुत जल्द आप भाजपा प्रवक्ताओं को रॉबर्ट वाड्रा के 'असामान्य' मुनाफे की याद दिलाते हुए आनंद कुमार के कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए भी देखेंगे. अभी तो पार्टी शुरू हुई है.

कौन हैं आनंद कुमार

मायावती के छोटे भाई एक समय नोएडा में क्लर्क हुआ करते थे. मायावती जब यूपी की पॉलिटिक्स में चमकीं, तब से आनंद कुमार भी चमक गए. उन्होंने अपने हाथ-पैर मारे और रातों-रात जमकर पैसे बनाए. मायावती के दाहिने हाथ सतीश मिश्रा के बेटे कपिल मिश्रा ने भी दिल खोलकर उनका साथ दिया. नेताओं, उनके रिश्तेदारों और बिल्डरों के बीच का मेल-जोल पुराना रहा है. इन्हीं के साथ मिलकर आनंद कुमार ने कई कंपनी खोलीं. मायावती जब सूबे की मुख्यमंत्री हुआ करती थीं तो इनकी कंपनियों की संख्या में वैसे ही जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया, जैसे सेंसेक्स में किया जाता है. इससे पहले 2013 में इंडियन एक्सप्रेस ने इनके पूरे साम्राज्य का खुलासा किया था.

2007 के बाद

2007 में मायावती के सत्ता में आने के बाद आनंद कुमार ने 49 कंपनियां खोलीं. रियल स्टेट बिजनेस के धुरंधर जेपी, यूनिटेक, DLF के साथ मिलकर 2012 तक 760 करोड़ तक का बिजनेस किया. जैसा कि होता है इनमें से ज्यादातर कंपनी सिर्फ शेयर के नाम पर पैसे बटोरने के लिए खोली गई थीं. ज्यादातर फर्जी थीं. इन्हें एडवांस पेमेंट और इन्वेस्टमेंट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था.

होटल लाइब्रेरी क्लब प्राइवेट लिमिटेड

2007 से पहले एक कंपनी थी – होटल लाइब्रेरी क्लब प्राइवेट लिमिटेड. इसका हेडक्वॉर्टर मसूरी में था. वहां इसका ही एक होटल शिल्टन भी है. आनंद कुमार इसके मैनेजिंग डायरेक्टर हुआ करते थे. खुद ही 1.2 करोड़ सालाना की सैलरी भी लेते थे. डायरेक्टर थे दीपक बंसल. ये कंपनी अपने आप में एक नदी थी, जिससे दूसरी कई नदियां निकली हुई थीं. मार्च 2012 तक इस कंपनी का बैंक बैलेंस 320 करोड़ रुपए था. इस कंपनी की तीन और फर्म थीं. इसकी तीन फर्म में एक थी रेवोल्यूशनरी रियल्टर्स (Revolutionary Realtors). नाम के हिसाब से ही क्रांति करते हुए इसने 2011-12 में 60 करोड़ कमाए. इस क्रांति का जरिया था सट्टेबाजी. मार्च 2012 तक इस फर्म का बैंक बैलेंस था 54 करोड़ रुपए. रेवोल्यूशनरी रियल्टर्स से भी एक ब्रांच निकली हुई थी. तमन्ना डेवलपर्स. तमन्ना डेवलपर्स का डेवलपमेंट मार्च 2012 तक 160 करोड़ रुपए था. होटल लाइब्रेरी के पास 31 मार्च 2008 तक सिर्फ 43 करोड़ रुपए थे.

कर्नाउस्टी मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड (Carnoustie Management Pvt Ltd-CMPL)

2007-08 में कुमार के बिजनेस पार्टनर और उनकी एक फर्म एक दूसरे बिजनेस ग्रुप से जुड़े. इस ग्रुप का नाम है, कर्नाउस्टी मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड (Carnoustie Management Pvt Ltd). इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन दिल्ली के जनकपुरी इलाके में सितंबर 2006 में हुआ था. CMPL रियल स्टेट के अलावा स्पोर्ट मैनेजमेंट, सिक्योरिटी, हॉस्पिटैलिटी के बिजनेस में भी है. मार्च 2012 तक इसका बिजनेस 620 करोड़ तक था. CMPL की कुल 14 ब्रांच हैं, जो 2007 के बाद शुरू हुईं. 2010 से 2012 के बीच DLF ने 6 करोड़ और यूनिटेक ने 335 करोड़ रूपए CMPL में लगाए. DLF और यूनिटेक ने तब कहा था कि ये सामान्य ट्रांजेक्शन थे. CMPL ने एक रियल स्टेट फर्म को खरीदा. SDS ग्रुप की SDS Developers. ये ग्रुप दीपक बंसल का है. 2010 में आनंद कुमार की होटल लाइब्रेरी क्लब प्राइवेट लिमिटेड ने भी इसी ग्रुप के SDS Infrastructure को खरीदा था. दीपक बंसल इसके डायरेक्टर थे. बाद में दीपक होटल लाइब्रेरी क्लब और आनंद कुमार की ही एक और फर्म DKB इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर बनाए गए. बंसल के SDS ग्रुप की एक फर्म ने इसी दौरान नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 2,500 अपार्टमेंट बनवाए थे. आनंद कुमार और कई दूसरे रियल स्टेट के लोगों ने CMPL में इन्वेस्ट किया. बंसल इस इन्वेस्टमेंट में लिंक का काम कर रहे थे. CMPL और आनंद कुमार के बीच एक और लिंक हैं शुभेंदु तिवारी. ये शुरू में आनंद कुमार की ही फर्म Revolutionary Realtors और Shivanand Real Estate Pvt Ltd. के डायरेक्टर थे. CMPL की 2011-12 की रिपोर्ट आनंद कुमार से जुड़े प्रशांत कुमार ने तैयार की थी. इस रिपोर्ट में UK की एक फर्म Ibonshourne Limited को भी इसकी एसोसिएट फर्म बताया गया. Ibonshourne का रजिस्ट्रेशन लंदन में है. इसके बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में एक हैं समीर गौर. समीर गौर ने जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड के जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर रहते हुए यमुना एक्सप्रेसवे बनवाया. इसके अलावा हाईवे के कई प्रोजेक्ट भी उनके नाम हैं.

सतीश मिश्रा के बेटे से कनेक्शन

आनंद कुमार की एक और कंपनी है दिया रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड. सतीश चंद्र मिश्रा के बेटे कपिल मिश्रा दिया रियल्टर्स में आनंद कुमार के पार्टनर थे. दिया की 2012 तक लगभग 78.868 करोड़ की संपत्ति थी. इसके अलावा सतीश मिश्रा के बेटे की दो फर्म संकल्प एडवाइजरी सर्विसेज और यमुनोत्री इंफ्रास्ट्रक्चर में भी आनंद की फर्म का पैसा लगा हुआ है. कपिल मिश्रा की संकल्प फर्म दिल्ली के बंगाली मार्किट में है. इसके सामने ही एक होटल है. Check Inn. इसके मालिक भी मिश्रा ही हैं.

आनंद कुमार की दूसरी फर्म

आनंद कुमार की एक और फर्म है एक्सपीरियंस प्रोजेक्ट. इसने आनंद कुमार की ही दिया रियल्टर्स में ही 1.5 करोड़ रुपए लगा रखे हैं. इसके अलावा उनकी दूसरी फर्म विंडसर कम्प्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड ने भी दिया रियल्टर्स के 8,62,500 शेयर खरीद रखे हैं. जब ये बातें सामने आई थीं तब मायावती ने कहा था कि मेरे भाई का इन सबसे कोई लेना देना नहीं है. ये सारे आरोप गलत हैं. सतीश मिश्रा ने कहा था कि लीगल रूप से मेरे बेटे को बिजनेस करने का पूरा हक़ है. CMPL ने कहा था कि बसपा सरकार ने हमारी कोई मदद नहीं की है. SDS Developers Pvt Ltd कंपनी हमने खरीदी थी लेकिन SDS ग्रुप के किसी बिजनेस से हमारा कोई लेना-देना नहीं है. इन सबके अलावा खुद की बनाई दूसरी कंपनियों में आनंद कुमार का कितना शेयर है, ये सब झोल है और अब तक सामने नहीं आया है. मायावती के भाई का ट्रैक-रिकॉर्ड बहुत पेचीदा रहा है. कुल मिलाकर आनंद कुमार ज़मीनों के मामलों में घाघ हैं. इसी के चलते अप्रैल 2015 में भी फाइनेंस मिनिस्ट्री ने इनका गला पकड़ा था. Financial Investigation Unit (FIU) ने उल्टे-सीधे ट्रांजेक्शन की एक रिपोर्ट तैयार की थी. फाइनेंस मिनिस्ट्री ने तब ED को 2176.08 करोड़ रुपयों के इस ट्रांजेक्शन की जांच के आदेश दिए थे. यूपी चुनाव नजदीक हैं. जाहिर है मायावती फिर से अपने भाई का बचाव करेंगी. आज की अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने ऐसा दिखाया कि वो इन सब बातों का कोई लोड नहीं ले रही हैं. लगता नहीं कि इन सबसे यूपी के लोगों को कोई ख़ास फर्क पड़ता है. उनके लिए नैतिकता के मायने कुछ दूसरे हैं. उनके अपने मापदंड हैं, जिन पर वो वोट करते हैं. इसीलिए शायद अब तक मायावती के भाई पर कुछ ख़ास नहीं हुआ. देखते हैं, इस मामले में कुछ होता है या ये सिर्फ चुनावी लक्षण बनकर रह जाता है, जिसकी चर्चा ऊपर हुई थी.

आपको छोड़ जाते हैं अवधी कवि प्रदीप शुक्ल की इस कविता के साथ

ई चुनाव के झंझट मा खौख्याय लिहिन तौ का होईगा दुई जने जो याक दूसरे का फिरि नीच कहिन तौ का होईगा !! जिउ गर्मी मा बिल्लाय रहा कोउ बेमतलब बौराय रहा बहन भाइयों, बहन भाइयों दिन भर कोउ चिल्लाय रहा अब कोहू की जबान फिसली पागल कहि दिहिन तौ का होईगा! दुई जने जो याक दूसरे का फिरि नीच कहिन तौ का होईगा!!

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