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लोकसभा चुनाव: दूसरे फेज के मतदान के कई दिनों बाद बढ़ा वोटिंग परसेंटेज तो उठने लगे सवाल

Lok Sabha Election के लिए पहले और दूसरे चरण में कम वोटिंग परसेंटेज को लेकर सवाल उठ रहे थे. अब ECI ने फाइनल डेटा जारी किया है. इसमें वोटिंग परसेंटेज 5.75% तक बढ़ गया है. सवाल अब भी उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा हुआ कैसे और इसमें इतनी देरी क्यों हुई?

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Lok Sabha Election 2024
ECI ने वोटिंग परसेंटेज का फाइनल डेटा जारी किया है. (तस्वीर साभार: PTI)
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रवि सुमन
1 मई 2024 (Updated: 1 मई 2024, 08:24 AM IST) कॉमेंट्स
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दूसरे चरण के मतदान के कई दिनों बाद चुनाव आयोग (ECI) ने वोटिंग परसेंटेज (Voting Percentage) का फाइनल डेटा जारी किया. 102 लोकसभा सीटों के लिए 19 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग हुई थी. इसके बाद 88 सीटों पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोटिंग हुई थी. उस दिन ECI ने बताया था कि दूसरे फेज में देश भर में 60.96 परसेंट वोटिंग हुई है. इसके बाद 30 अप्रैल की शाम को ECI ने बताया कि दूसरे चरण में 66.71 परसेंट वोटिंग हुई है. यानी दूसरे चरण का मतदान होने के चौथे दिन ECI की जानकारी में 5.75 परसेंट का अंतर आया. सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कई दिनों के बाद मतदान प्रतिशत बढ़ कैसे गया? और इस डेटा को जारी करने में इतनी देरी क्यों हुई?

ECI की नई जानकारी के मुताबिक, पहले फेज में 66.14 परसेंट वोटिंग हुई तो वहीं दूसरे फेज में 66.71 परसेंट वोटिंग हुई है.

Voting Percentage
30 अप्रैल को ECI की तरफ से जारी की गई जानकारी.

ये भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान कम क्यों हुआ?

TMC नेता डेरेक ओ ब्रायन ने इस बारे में सोशल मीडिया X (ट्विटर) पर लिखा है,

“दूसरे चरण की वोटिंग के 4 दिनों के बाद जारी ECI के फाइनल डेटा में 5.57%  की बढ़ोतरी है. क्या ये नॉर्मल है? क्या कुछ ऐसा है जो मैं समझ नहीं पा रहा?”

योगेंद्र यादव ने भी इस नए डेटा पर ECI से जवाब मांगा है. उन्होंने X पर लिखा है,

“मैंने 35 सालों तक भारतीय चुनावों को देखा और उनका अध्ययन किया है. वोटिंग वाले दिन की शाम को जारी डेटा और फाइनल डेटा में 3 से 5% का अंतर आना कोई नई बात नहीं है. हमें फाइनल डेटा 24 घंटों के भीतर मिल जाता था. इस बार कुछ बातें असमान्य और चिंताजनक हैं. फाइनल डेटा पब्लिश होने में 11 दिनों की देरी (पहले चरण के लिए, दुसरे चरण के लिए 4 दिन) और प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र और उसके खंडों के लिए मतदाताओं और डाले गए वोटों की वास्तविक संख्या का खुलासा न करना.”

उन्होंने आगे लिखा,

"वोटिंग परसेंटेज इलेक्टोरल ऑडिट में मदद नहीं करते. ये जानकारी प्रत्येक बूथ के लिए फॉर्म 17 में दर्ज की जाती है और उम्मीदवार के एजेंट के पास उपलब्ध होती है. लेकिन डाले गए वोटों और गिने गए वोटों के बीच हेराफेरी की किसी भी संभावना को खत्म करने के लिए केवल ECI ही पूरा डेटा दे सकता है और देना ही चाहिए. इस अत्यधिक देरी और रिपोर्टिंग फॉर्मेट में अचानक बदलाव के लिए ECI को स्पष्टीकरण देना होगा."

ECI ने क्या कहा?

चुनाव आयोग में ऊंचे पदों पर बैठे सूत्रों ने इंडिया टुडे को इस बारे में जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि 26 अप्रैल की शाम को जब ये आंकड़े आए तब भी सैकड़ों मतदान केंद्रों पर कतारें लगी हुई थीं. मतदान समाप्त होने की समय सीमा के साथ ही मतदान केंद्रों के दरवाजे बंद कर दिए गए. कानून के मुताबिक उस समय तक जो मतदाता मतदान केंद्र में दाखिल हो गए, उनको मतदान करने का अवसर मिलता है.

उन्होंने आगे बताया कि दूर दराज या दुर्गम पर्वतीय इलाकों या फिर घनघोर जंगलों में स्थित गांवों के बूथों से मतदान कराने वाली टीम को EVM सेट के साथ मुख्यालय तक आने में लगभग उतना ही वक्त लगता है जितना जाने में लगा होता है. कहीं एक से दो दिन तो कुछ इलाकों में ढाई-तीन दिन बाद भी पोलिंग टीम स्ट्रॉन्ग रूम तक पहुंचती है. उनके आंकड़े अपडेट होते हैं. 

चुनाव आयोग के अनुसार, वेबसाइट पर आखिरी डेटा 26 अप्रैल की शाम 7 बजे तक का था. ये फाइनल आंकड़ा नहीं था. कुछ जगहों पर EVM में गड़बड़ी की वजह से मतदान का समय बढ़ाया गया था. फाइनल डेटा में नंबर्स का बढ़ना सामान्य है, ये तब होता है जब फाइलन आंकड़े की गणना की जाती है.

2019 में कितना मतदान हुआ?

पिछले लोकसभा चुनाव में पहले चरण में 91 सीटों पर 69.58 प्रतिशत मतदान हुआ था. दूसरे चरण में 95 लोकसभा सीटों के लिए 69.45 परसेंट वोटिंग हुई थी.

इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में पहले चरण में 91 सीटों पर 68.77 प्रतिशत मतदान हुआ था जबकि दूसरे चरण में 95 सीटों पर 69.62 परसेंट वोटिंग हुई थी.

वीडियो: नेता नगरी: PM मोदी को बीच चुनाव अपनी रणनीति क्यों बदलनी पड़ गई?

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