जिस रैंकिंग में IISc ने टॉप किया, उसको IITs ने क्यों बायकॉट कर दिया?
टाइम्स हायर एजुकेशन ग्रुप ने दुनियाभर के शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग जारी की है.

टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) रैंकिंग 2023 की लिस्ट जारी कर दी गई है. इंडियन इंस्टीट्यू ऑफ साइंस (IISc) बेंगलुरु ने भारतीय इंस्टीट्यूट्स की लिस्ट में टॉप किया है. वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड को लगातार सातवें साल दुनिया में टॉप इंस्टीट्यूट घोषित किया गया है. 104 देशों की 1799 यूनिवर्सिटीज की इस रैंकिंग को भारत के ज्यादातर IITs ने बॉयकॉट किया है.
हिमाचल की शूलिनी यूनिवर्सिटी दूसरे स्थान परइस साल की THE रैंकिंग में भारत के कुल 75 इंस्टीट्यूट्स ने जगह बनाई है. ये संख्या पिछले साल 71 थी. THE रैंकिंग में IISc को 251-300 रैंकिंग के बैंड में रखा गया है. यानी दुनिया के टॉप इंस्टीट्यूट्स में IISc इस रैंक पर आता है. वहीं भारत से दूसरे स्थान पर शूलिनी यूनिवर्सिटी ऑफ बायोटेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट साइंसेज है. इस इंस्टीट्यूट को दुनिया के इंस्टीट्यूट की रैंकिंग में 351-400 के बैंड में रखा गया है. हिमाचल प्रदेश स्थित इस यूनिवर्सिटी को पहली बार रैंकिंग में जगह दी गई है. नेशनल इंस्टिट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2022 रैंकिंग में शूलनी यूनिवर्सिटी को 96वां स्थान मिला था.
THE रैंकिंग में कर्नाटक का JSS एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, शूलिनी यूनिवर्सिटी के साथ अपना स्थान साझा कर रहा है. वहीं तमिलनाडु की अलगप्पा यूनिवर्सिटी भारतीय इंस्टीट्यूट में तीसरे नंबर पर है. अलगप्पा यूनिवर्सिटी को दुनिया के इंस्टीट्यूट्स में 401-500 रैंक के बैंड में रखा गया है. भारतीय इंस्टीट्यूट की बात करे तो रैंकिंग में पिछले साल दूसरा स्थान IIT रोपड़ को मिला था. इस साल IIT रोपड़ छठवें स्थान पर खिसक गया है. दुनिया के इंस्टीट्यूट्स में इसे 501-600 के बैंड में रखा गया है.
भारत से जिन IITs ने इस रैंकिंग में हिस्सा लिया था, उनमें IIT इंदौर को 601-800 के बैंड में जगह मिली है. IIT पटना और IIT गांधीनगर को 801-1000 के रैंकिंग बैंड में स्थान दिया गया है. THE रैंकिंग में इस साल भारत से 8 IITs ने जगह बनाई है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि रैंकिंग में कितने IITs ने हिस्सा लिया था.
IITs ने क्यों किया बॉयकॉट?भारत के जाने माने IITs ने इस रैंकिंग को बॉयकॉट किया है. इसपर THE रैंकिंग जारी करने वाली संस्था के अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,
हमने इस मामले में IITs और बाकी इंस्टीट्यूट्स से बात की है और किसी भी मतभेद को दूर करने के लिए हम उनके साथ चर्चा करने को तैयार हैं. हमने उनके इनपुट को सुना है और हमारी रैंकिंग के तरीके का पूरा विवरण दिया गया है. अगले साल की रैंकिंग में हम उनके सुझावों को शामिल करेंगे.
लेकिन IIT बॉम्बे और IIT दिल्ली ने कहा है कि रैंकिंग में पारदर्शिता की कमी है. IIT बॉम्बे के डायरेक्टर प्रोफेसर सुभासिस चौधरी ने कहा,
रैंकिंग की पारदर्शिता में कोई बदलाव नहीं हुआ है. इंस्टीट्यूट्स को सीधे ही रैंक दे दी जाती है. हमें रैंकिंग की प्रक्रिया के बारे में पता होना चाहिए. रैंकिंग के बारे में जाने बिना उसमें हिस्सा लेने का कोई मतलब नहीं है.
वहीं IIT दिल्ली के डायरेक्टर रंगन बनर्जी ने बताया,
अभी तक हमारा रुख यही है कि पारदर्शिता न होने के कारण हम रैंकिंग में भाग नहीं ले रहे हैं.
एक IIT के डायरेक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया,
कई रिसर्च पेपर ऐसे होते हैं, जहां विदेशी इंस्टीट्यूट एक साथ समझौता कर उन्हें पब्लिश करते हैं. इन रिसर्च पेपर से दुनिया भर के लेखक जुड़े होते हैं, जिनकी वजह से इनकी साइटेशन बहुत ज्यादा होती है. जो संस्था ऐसे रिसर्च प्रोजेक्ट्स के साथ जुड़ी होती हैं, उनके पास अतिरिक्त लाभ होता है. जो सही नहीं है.
THE रैंकिंग के 2019 संस्करण में भारत के मुख्य IITs ने हिस्सा लिया था. ये रैंकिंग साल 2020 में जारी की गई थी. इस रैंकिंग में IIT दिल्ली और IIT बॉम्बे को 401-500 बैंड में रखा गया था. दोनों इंस्टीट्यूट IIT रोपड़ और IIT इंदौर से पीछे थे.
THE रैंकिंग इन पैरामीटर्स पर होती हैTHE रैंकिंग के कुछ पैरामीटर्स होते हैं. इन पैरामीटर्स के आधार पर ही दुनिया भर के संस्थानों को रैंक किया जाता है. रैंकिंग के पैरामीटर्स हैं-
-टीचिंग (30 प्रतिशत),
-रिसर्च (30 प्रतिशत),
-साइटेशन (30 प्रतिशत),
-इंटरनेशनल आउटलुक (7.5 प्रतिशत)
-इंडस्ट्री आउटकम (2.5 प्रतिशत).
टीचिंग और रिसर्च के पैरामीटर्स में 15-15 प्रतिशत हिस्सा संस्थान की प्रतिष्ठा के आधार पर दिया जाता है.
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