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AICTE सर्वे के ये आंकड़े जान इंजीनियरिंग से भरोसा उठ जाएगा.

इसमें AICTE के अंतर्गत आने वाले 2003 इंस्टिट्यूट ने भाग लिया था जो कि भारत में टेक्निकल एजुकेशन के क्षेत्र में काम कर रहे है.

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AICTE के सर्वे में दूसरे वर्ष के  छात्रों ने सबसे अच्छा परफॉर्म किया(सोर्स-इंडिया टुडे)
AICTE के सर्वे में दूसरे वर्ष के छात्रों ने सबसे अच्छा परफॉर्म किया(सोर्स-इंडिया टुडे)
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प्रशांत सिंह
14 जून 2022 (Updated: 14 जून 2022, 01:13 AM IST) कॉमेंट्स
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AICTE यानी ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन. ये देश में इंजीनियरिंग की पढ़ाई-लिखाई को रेगुलेट करने वाली संस्था है. जैसे 10-12वीं के लिए CBSE या स्टेट बोर्ड होते हैं वैसे ही इंजीनियरिंग के लिए AICTE है.  तो हुआ ये है कि AICTE ने एक सर्वे किया. इंजीनियरिंग कोर्सेज और टेक्निकल एजुकेशन में क्वालिटी चेक करने के लिए. इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स से सवाल पूछे गए. और फिर जो रिजल्ट आया वो बहुत चौंकाने वाला था. कैसे, आइए बताते हैं. 

इंजीनियरिंग छात्रों पर AICTE के सर्वे में क्या पता चला? 

सबसे पहले बात फर्स्ट ईय़र की. AICTE के सर्वे में इंजीनियरिंग फर्स्ट ईयर के कुल 22,725 छात्रों को फिजिक्स, कैमिस्ट्री और मैथ्स जैसे फंडामेंटल सब्जेक्ट्स में परखा गया. जिसमें ये पता चला कि तीनों सब्जेक्ट्स में से मैथ्स एक ऐसा सबजेक्ट है जिसमें सबसे ज्यादा छात्र कमजोर हैं. वहीं अगर स्ट्रीम के हिसाब से देखा जाए तो सिविल इंजीनियरिंग के छात्र तीनों सब्जेक्ट्स में सबसे ज्यादा कमजोर पाए गए. सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों ने मैथ्स में औसतन 37.48% स्कोर किया. वहीं इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग(ECE)के छात्रों ने मैथ्स में औसत 38.9% स्कोर किया. इसके अलावा कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग(ECE) के छात्रों ने 40.12% का स्कोर किया.

फिजिक्स में भी सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों ने सबसे खराब स्कोर(48.5%) किया. मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्रों ने फिजिक्स में 50% का स्कोर किया और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्रों ने 52.5% का स्कोर किया. इसके अलावा अगर बात कैमिस्ट्री कि की जाए तो सिविल इंजीनियरिंग पढ़ने वालों ने 51.3% स्कोर किए, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्रों ने 53.1% का स्कोर किया और मैके निकल  इंजीनियरिंग के छात्रों ने 50.7% स्कोर किया.

 

2nd ईयर के छात्र सबसे आगे रहे.

AICTE के इस सर्वे में दूसरे वर्ष के छात्रों ने सबसे अच्छा परफॉर्म किया. वहीं तीसरे और चौथे वर्ष के छात्रों के लर्निंग स्कोर में गिरावट देखी गई. जैसे, अगर सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों का औसत स्कोर देखा जाए तो पहले वर्ष 53.9% से गिरकर चौथे वर्ष ये 50.36% हो जाता है. इसके अलावा कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के छात्रों का स्कोर 54.78% से गिरकर 50.83% पर आ गया. सर्वे में बताया गया कि तीसरे-चौथे वर्ष के छात्रों के बीच इमर्जिंग करियर के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT), डाटा साइंस व रोबोटिक्स जैसे फील्ड की खूब चर्चा है.

कितने लोगों का हुआ प्लेसमेंट?

सर्वे के मुताबिक साल 2019-20 में ग्रेजुएट हुए 5.8 लाख स्टूडेंट्स में से सिर्फ 3.96 लाख को ही कैंपस प्लेसमेंट मिला था. इसके अलावा सर्वे में ये बात भी मानी गई कि इंजीनियरिंग एजुकेशन में क्वालिटी गिरने की एक मुख्य वजह कॉलेजों में खाली पड़ी सीट भी है. ये छात्रों के ग्रेड और नौकरी मिलने के स्कोप को भी कम करता है. AICTE के इस सर्वे में कुल 1 लाख 29 हजार लोगों ने भाग लिया था. इसमें AICTE के अंतर्गत आने वाले 2003 इंस्टिट्यूट्स शामिल थे. ये सर्वे साल 2021 के सितम्बर महीने से 2022 के जून महीने के बीच किया गया था. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक AICTE का ये सर्वे PARAKH नाम के टेस्ट के जरिए किया गया था. यहां PARAKH का मतलब है Performance Assessment, Review, and Analysis of Knowledge for Holistic Development. इस टेस्ट के अलावा पहले वर्ष के छात्रों को फिजिक्स, कैमिस्ट्री और मैथ्स जैसे सबजेक्ट्स में भी परखा गया था. वहीं जो छात्र इंजीनियरिंग के दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष में थे उन्हें अपने चुने हुए सबजेक्ट्स में परखा गया. इसके अलावा तीसरे और चौथे वर्ष के छात्रों को इमर्जिंग फील्ड जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(AI)व इंटरनेट ऑफ थिंग्स(IOT) में भी परखा गया.

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