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लोन चुकाने के बाद ये काम कर लीजिए नहीं तो काटने पड़ेंगे बैंकों के चक्कर!

अगर आपने लोन बंद करने से जुड़ी प्रक्रिया पूरी नहीं की तो बाद में कानूनी या वित्तीय झमेले में फंस सकते हैं.

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Don't forget to take NOC from bank after repaying of the loan.
बैंक से लोन वापस भरने के बाद NOC लेना ना भूलें.
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उपासना
15 जून 2023 (Updated: 16 जून 2023, 12:00 PM IST) कॉमेंट्स
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कई बार जरूरत पड़ने पर लोन अप्रूव कराने में पसीने छूट जाते हैं. लेकिन लोन को बंद कराना भी उतना ही जरूरी काम है. ईएमआई भरकर लोन चुका देने भर से आपकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती. अगर तय प्रक्रिया के हिसाब से लोन को बंद नहीं किया गया तो आप वित्तीय या कानूनी पचड़े में फंस सकते हैं. लोन बंद करने का काम बैंक के दिशानिर्देशों के हिसाब से करना चाहिए. आइए जानते हैं इसकी सही प्रक्रिया क्या है.

पेनाल्टी माफ करने की जिद न करें

ज्यादातर बैंक या एनबीएफसी समय से पहले लोन चुकाने पर कुछ पेनाल्टी लगाते हैं. होम लोन के मामले में ग्राहकों को राहत है. समय से पहले होम लोन भर रहे हैं तो कोई प्री क्लोजर चार्ज नहीं लगता है. घर बैठे लोन दिलाने में मदद करनी वाली एनबीएफसी कंपनी पेमी (Payme) के फाउंडर और सीईओ महेश शुक्ला ने दी लल्लनटॉप को बताया कि पर्सनल लोन पहले भरने पर पेनाल्टी लगती है. यह 2 से 6 फीसदी तक हो सकती है. समय से पहले लोन की पूरी रकम देते हुए अक्सर लोग पेनाल्टी माफ करने की जिद करते हैं. इससे बचना चाहिए. बैंक मान तो जाते हैं लेकिन आपके लोन खाते को बंद दिखाने की बजाय उसे सेटल्ड दिखाया जाता है. अगली बार लोन लेने में सेटल्ड का टैग आपके लिए परेशानी की वजह बन सकता है.  

NOC होना है जरूरी

नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी NOC इस बात का सबूत होता है कि आपका कोई बकाया नहीं है. लोन के लिए बैंक के पास प्रॉपर्टी के कागज या जो भी चीज रखी गई है उस पर बैंक का कोई कानूनी हक नहीं है. एनओसी सर्टिफिकेट भविष्य में कर्ज देने वाली कंपनी के साथ कोई मतभेद होने से बचाता है. इसलिए एनओसी फॉर्म लेना न भूलें. इसमें नाम, पता, लोन अकाउंट नंबर, लोन बंद होने की सारी डिटेल होनी चाहिए. महेश ने कहा कि लोन बंद होने के बाद जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी NOC ले लेनी चाहिए. कायदे से NOC पहुंचाना बैंक की जिम्मेदारी होती है. अगर आपके पास 45 दिनों में एनओसी नहीं आया तो एक बार बैंक को याद दिला दें. ज्यादा देर होने पर NOC बैंक के डेटाबेस से आर्काइव में चला जाता है. उसे आर्काइव से निकलवाने में काफी समय लग सकता है.

सारे जरूरी कागज वापस ले लें

बैंक लोन देते समय सेल डीड या कन्वेएंस डीड (मालिकाना हक और उससे जुड़े सभी डॉक्यूमेंट्स) अपने पास जमा कराते हैं. पावर ऑफ अटॉर्नी, कैंसिल्ड चेक भी बैंकों के पास होते हैं. लोन बंद करते समय बैंक से सभी कागज वापस जरूर ले लें.

संपत्ति दोबारा बेचने पर रोक तो नहीं है

कई बार कर्ज के बदले ग्राहक अपनी प्रॉपर्टी के कागज बैंक के पास रख देते हैं. इस दौरान कर्ज लेने वाला आदमी कहीं प्रॉपर्टी किसी और बेच न दे इसलिए बैंक प्रॉपर्टी पर एक तरह का स्टे लगा देते हैं. इसे तकनीकी भाषा में लिएन कहते हैं. इसलिए लोन की रकम पूरी भरने के बाद बैंक अधिकारी के साथ रजिस्ट्रार ऑफिस जाकर प्रॉपर्टी से लिएन हटवा लें. गाड़ी लोन लिया है तो आरटीओ ऑफिसर के पास जाकर आरसी से स्टे हटवा लें. तकनीकी भाषा में इसे हाईपोथीकेशन कहते हैं.

सिबिल रिपोर्ट भी अपडेट करानी जरूरी

अगर आपने लोन भर दिया है तो कर्ज देने वाले संस्थान की जिम्मेदारी इसे सिबिल डेटाबेस में अपडेट करने की होती है. कई बार बैंक सिबिल डेटाबेस में अपडेट करने में समय लगाते हैं. इसलिए कर्ज भरने के बाद भी कई बार खाते में बकाया दिखता रहता है. ऐसे में नया लोन मिलने में दिक्कत आ सकती है. इसलिए लोन भरते ही सिबिल रिपोर्ट चेक करते रहें. अगर लोन बकाया दिखा रहा तो बैंक से कहकर उसे जल्द से जल्द अपडेट करा लें.
 

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