The Lallantop
Advertisement

अमीर इंडिया छोड़कर क्यों भाग रहे हैं?

हेनली ऐंड पार्टनर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में टैक्स को लेकर सख्त कानूनों और ताकतवर पासपोर्ट पाने की लालसा के चलते देश के ये रईस भारत से विदेशों का रुख करेंगे

Advertisement
airport
एयरपोर्ट (फाइल फोटो)
pic
प्रदीप यादव
16 जून 2022 (Updated: 20 जून 2022, 08:29 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

इस साल 8000 से ज्यादा हाई नेटवर्थ इंडीविजल्स यानी HNI भारत छोड़कर विदेशों में बस जाएंगे. दुनियाभर के अमीरों को विदेशों का वीजा दिलाने में मदद करने वाली कंपनी हेनली ऐंड पार्टनर्स की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में टैक्स को लेकर सख्त कानूनों और ताकतवर पासपोर्ट पाने की लालसा के चलते देश के ये रईस भारत से विदेशों का रुख करेंगे. रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से कई युवा उद्यमियों को लगता है कि दुनियाभर में अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें भारत छोड़ना ठीक फैसला है. हालांकि, रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि भारत में अगले दस सालों में तेजी से अमीरों की तादाद में इजाफा होगा यानी देश में डॉलर मिलिनेयर्स और बिलिनेयर्स की संख्या अगले 10 सालों में 80 फीसदी बढ़ जाएगी. 

भारत में HNIs की क्या परिभाषा है?

आगे बढ़ने से पहले यह समझते हैं कि एचएनआई या डॉलर मिलिनेयर्स क्या होते हैं. भारत में एचएनआई उन्हें कहते है जिन लोगों के पास निवेश के लायक कम से कम 5 करोड़ रुपये की धनराशि है यानी ऐसे लोग जिनका पैसा शेयर बाजार, बांड आदि में लगा है कि जिनके डीमैट अकाउंट या बैंक खाते में कुल मिलाकर 5 करोड़ से ज्यादा रकम है. कुछ मामलों में 7 करोड़ से भी ज्यादा. इस पैसे में घर और कार वगैरह को शामिल नहीं किया जाता है. मसलन अगर किसी के गाड़ी, बंगला और फार्म हाउस आदि है इनकी कीमत 10 करोड़ भी है लेकिन निवेश करने के लिए 5 करोड़ से कम रुपये हैं तो उसे एचएनआई की कैटेगरी नहीं गिना जायेगा.

इन वजहों से देश छोड़ रहे करोड़पति भारतीय

अब समझते हैं कि आखिर भारत के अमीर देश छोड़ने पर आमादा क्यों हैं. वैसे तो देश में पुराने उद्योगपतियों का जलवा बरकरार है लेकिन टेक उद्यमियों की एक नई पीढ़ी भी उनके साथ कदमताल करती नजर आ रही है. अमीर टेक उद्यमियों की यह फौज अपने बिजनेस को दूसरे देशों में फैलाने के लिए उत्साहित नजर आ रहे हैं और अपनी पूंजी को ऐसे देशों में लगाना चाहते हैं जहां कम से कम टैक्स चुकाना पड़े. इसके अलावा देश के ये नई रईस ऐसे देश में बसना चाहते हैं कि जहां  लिविंग स्टैंडर्ड ऊंचा हो. न सिर्फ रहने के मामले में ये देश अच्छे हों बल्कि वहां बच्चों की एजुकेशन, बढि़या हेल्थ सुविधाएं भी हों. खेतान एंड कंपनी में पार्टनर बिजल अजिंकी का कहना है कि भारत में कड़े होते टैक्स से जुड़े कायदे कानून, अमीरों को टैक्स में छूट न मिलने और वीजा फ्री टैवल की इच्छा के चलते बड़ी तादाद में अमीर भारत छोड़ रहे हैं.
 

माल्टा, मॉरीशस और मोनैको में बसने की दौड़

अब जानते हैं कि अमीरों की यह टोली किन देशों का रुख कर रही है. रिपोर्ट कहती है कि अमीरों के पारंपरिक ठिकाने रहे ब्रिटेन और अमेरिका अब इन रइसों की पसंदीदा देशों की सूची से बाहर हो चुके हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इन अमीरों के सबसे पसंदीदा यूरोपीय यूनियन देश हैं. इसके अलावा दुबई और सिंगापुर भी भारतीय रईसों का खूब भा रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक तीन देश ऐसे हैं जिनमें अमीरों ने विशेष दिलचस्पी दिखाई है. वे हैं माल्टा, मॉरिशस और मोनैको. वहीं, डिजीटल उद्यमी सिंगापुर को अपना 'स्वर्ग' मानते हुए वहां शिफ्ट कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि सिंगापुर में परिवार के रहने की बुनियादी सुख सुविधाओं के अलावा वहां का लीगल सिस्टम बढ़िया है.  दुनियाभर के फाइनेंशियल एडवाइजरों के वहां रहने से होने से उन्हें लगता है कि यह डिजीटल उद्यमों के लिए सबसे मुफीद जगह है. इसके अलावा दुबई गोल्डन वीज़ा भी भारत छोड़ने वाले अमीरों की पसंदीदा वीजा है क्योंकि दुबई में किसी कंपनी को अधिग्रहण करना काफी आसान है.  आपको बता दें कि हेनली वेल्थ माइग्रेशन डैशबोर्ड के अनुसार इस साल संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में सबसे ज्यादा (कम से कम 4000) अमीर लोग वहां जाकर बस सकते हैं. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में  3,500 जबकि सिंगापुर में 2,800 भारतीय रईसों के बसने का अनुमान है. इसके के अलावा इजराइल में 2,500, स्विट्ज़रलैंड में 2,200 और अमेरिका में 1,500 लोगों के जाने का अनुमान है.

सितंबर 2021 तक करीब 9 लाख लोगों ने छोड़ा देश 

दिसंबर 2021 में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि 1 जनवरी 2015 से 21 सितंबर 2021 के बीच 8 लाख 81 हजार 254 लोगों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी थी. राय ने संसद को बताया था कि विदेश मंत्रालय (MEA) के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 1 करोड़ 33 लाख 83 हजार 718 भारतीय विदेशों में रह रहे हैं. ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि ब्रेन ड्रेन के बाद तो भारत की बड़ी समस्या वेल्थ माइग्रेशन या वेल्थ ड्रेन बनने जा रही है. इसका असर भारत की तरक्की पर पड़ेगा. उनका कहना है कि जब अमीर भारत छोड़कर विदेशों में बसेंगे तो वहां फैक्टरी लगाएंगे, नया निवेश करेंगे. इससे भारत की जगह वे विदेशों में रोजगार देंगे. यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीं हैं. हालांकि, यह भारत के लिए बहुत बड़ी चिंता की बात नहीं है क्योंकि इससे कहीं अधिक करोड़पति भारत में उभर रहे हैं.  भारत में अगले 10 साल में अमीरों की तादाद 80 फीसदी बढ़ेगी. भारत में दुनिया के 2% करोड़पति और दुनिया के 5% अरबपति रहते हैं.  हारुन वेल्थ इंडिया की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 4.12 लाख करोड़पति हैं. देश में मुंबई सबसे अधिक करोड़पतियों की संख्या वाला शहर है. जबकि करोड़पतियों की संख्या के मामले में देश की राजधानी दिल्ली दूसरे स्थान पर है. 

वीडियो: भारत के 8000 अमीर लोग इस साल देश छोड़ देंगे, किस बात का डर है?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement