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स्मार्टफोन की बैटरी फटने की वजह ये तो नहीं...

स्मार्टफोन की बैटरी फटने की खबरें इन दिनों आम हो चली हैं.

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स्मार्टफोन की बैटरी फटने के बारे में जरूरी बातें
हाल के दिनों में स्मार्टफोन की बैटरी फटने की खबरें कई बार सुनने को मिली हैं. ये खबरें हमारे और आपके लिए डरावनी तो हैं ही, साथ में इनके बारे में विस्तार से जानना भी ज़रूरी है. एक जमाना था जब फोन चार्ज करना एक अलग काम की तरह होता था, मतलब ये कि जैसे और काम होते हैं, वैसे ही एक काम होता था मोबाइल चार्ज करने के लिए टाइम निकालना. घरों में लोग कहते मिल जाते थे कि भैया मोबाइल चार्ज कर लेना. फिर तकनीक उन्नत हो गई, फास्ट चार्जर आ गए. सुपर फास्ट चार्जर कोई नई बात नहीं रह गई. फास्ट चार्जिंग और बड़ी Batteries अब मोबाइल का हिस्सा हैं, लेकिन इसके साथ ही मोबाइल बैटरी का फटना भी एक सच्चाई बनती जा रही है. क्या बैटरी फटने में सिर्फ फास्ट चार्जिंग का ही रोल है या फिर वजहें कुछ और भी हैं... जब भी किसी कंपनी का फोन फटता है तो हमेशा कंपनी की तरफ से यही बयान आता है कि हम जांच कर रहे हैं और कारणों का पता लगाया जाएगा. इस तरह के बयान एकदम दोहराए से लगते है क्यूंकि कंपनी कोई भी हो बोलना उनको यही है. एक बात ये भी तय है कि कंपनी कभी नहीं मानने वाली की गलती उनकी है. यहां एक बात आपको ध्यान रखना चाहिए कि भले कंपनी न माने की गलती उनकी है लेकिन ऐसे केस भी सामने आए हैं जब कंपनी ने नया फोन देकर मामला ठंडा किया हो. कंपनी का काम कंपनी जाने लेकिन आज हम ये जानने की कोशिश करेगें कि फोन कि बैटरी आखिरकार क्यूं फट जाती है. कारण क्या है? इसके पीछे नई तकनीक में कोई झोल है या फिर चार्जिंग के हमारे तरीके सही नहीं हैं. स्मार्टफोन में लीथियम इयॉन (Li-ion) बैटरी लगी होती है जिसके अपने फायदे हैं जैसे कि ये बड़ी मात्रा में करंट प्रवाहित कर सकती है. लोअर मैंटेनेंस इसकी खासियत है. साथ में इसकी सेल्फ डिस्चार्ज साइकल भी कम है, सिर्फ 1.5-2 प्रतिशत प्रति महीने. वजन में हल्का होना भी इनको किसी भी जगह आसानी से उपयोग में लाने लायक बना देता है. ऐसा नहीं है कि इनके कोई नुकसान नहीं हैं और उसमें सबसे पहले आता है ओवरहीट होना, यानी ज़रूरत से ज़्यादा गर्म हो जाना. इस वजह से ये हाई वोल्टेज पर डैमेज हो सकती हैं. लीथियम इयॉन (Li-ion) बैटरी के फायदे और नुकसान के बारे में आपने जान लिया, अब जानते है कि एक बैटरी के फटने के लिए क्या कारक जिम्मेदार हो सकते हैं. मिस हैंडलिंग मिस हैंडलिंग से मतलब आपके फोन को यूज करने के तरीके से है, जैसे कि फोन का गिर जाना. आपके हाथ से फोन गिर गया, लेकिन आपको लगा कि कुछ नहीं हुआ. क्योंकि बाहर से सब कुछ ठीक-ठाक है. फोन भले गिरने के बाद भी सही चल रहा हो लेकिन पूरे चांस हैं कि बैटरी पर असर पड़ा हो. मैक्निकल और कैमिकल स्ट्रक्चर में बदलाव आ सकता है. फिर हो सकती है शॉर्ट सर्किट और ओवरहीटिंग की प्रोब्लम. ये खतरे को बुलावा है. फोन पर पानी गिरना IP67-68 रेटिंग आने के बाद हम अपने आपको सूरमा और फोन को अमर समझने लगे हैं. हमें लगता है कि अब तो कुछ नहीं होगा लेकिन एक बात जानिए कि IP67-68 रेटिंग एक आम प्रोटेक्शन है जो आइडियल कंडीशन में काम करता है. आपका फोन देर तक पानी में रहा या कोई और तरल पदार्थ उस पर गिरा है तो बैटरी पर असर पड़ने के पूरे चांस हैं. ये तो हुई महंगे हैंडसेट की बात. सस्ते स्मार्टफोन्स में पानी के छींटों से तो प्रोटेक्शन होती है, लेकिन बैटरी अगर पानी के संपर्क में आ गई तो आपका फोन भी खबरों का हिस्सा बन सकता है. रात भर चार्ज करना इस पर बहस हो सकती है कि फोन तो स्मार्ट हो गए हैं और पूरा चार्ज होने पर अपने आप करंट लेना बंद कर देते हैं, तो पूरी रात चार्ज करने से क्या खतरा. लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि अभी ऐसा सभी फोन में नहीं होता. ज़्यादातर किफायती स्मार्टफोन इस फीचर से दूर हैं. फास्ट चार्जिंग के दौर में रात भर फोन को चार्ज में लगाने से ओवरचार्जिंग, ज़रूरत से ज़्यादा गर्म होने, शॉर्ट-सर्किट और कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं. तो अब से ये गलती करना बंद करें. गलत चार्जर का इस्तेमाल एक बात आमतौर पर कही जाती है कि फोन को सिर्फ कंपनी के साथ आए चार्जर से चार्ज कीजिए. ये बात भी पूरी सही नहीं है, आप दूसरे चार्जर से भी फोन चार्ज कर सकते हैं, बशर्ते वो एक ब्रांडेड कंपनी का हो. किसी भी लोकल कंपनी का चार्जर या कोई पुराना चार्जर आपके फोन की बैटरी को हानि पहुंचाएगा ये एकदम तय है. जब भी आपको अपने फोन के साथ आए चार्जर के अलावा किसी और चार्जर की जरूरत पड़े तो या तो उसी कंपनी से अपने लिए दूसरा चार्जर खरीदें या फिर किसी एक्सपर्ट कंपनी का. मौसम फोन की बैटरी और मौसम का सीधा संबंध है. हाड़ कपकपाती ठंड और रेगिस्तान जैसी गर्मी, दोनों ही बैटरी के दुश्मन हैं. आपने कई बार देखा होगा कि फोन चार्ज में लगा है और अचानक स्क्रीन पर एक मैसेज आया. ओवरहीटिंग के कारण फोन ने चार्ज होना बंद कर दिया है. इस मैसेज का सबसे अहम पार्ट है ज़रूरत से ज़्यादा गर्म होना. कई बार हमलोग जाने-अनजाने में फोन को कार की डैशबोर्ड पर छोड़ देते हैं. और धूप अपना काम कर देती है. ज़्यादा तापमान के कारण बैटरी थोड़ा अनस्टेबल हो जाती है. टेक्निकल भाषा में कहें तो एक्सोथर्मिक ब्रेकडाउन हो जाता है और यह ऑक्सीजन और कार्बन डायऑक्साइड जैसे गैस प्रोड्यूस करने लगता है. इन गैस के कारण बैटरी मोटी होने की शिकायत देखने को मिलती है और फिर हो जाता है उसकी स्ट्रक्चर के साथ समझौता. फिर वही होता है जिसकी चर्चा में हम काफी देर से कर रहे हैं. मैन्युफैक्चरिंग डिफ़ेक्ट आपको लग रहा होगा कि इस प्वाइंट को सबसे आखिर में क्यूं बताया तो एक बात समझिए कि स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग एक तय प्रोसेस है. फोन आप तक पहुंचे, उसके पहले बहुत से टेस्ट और मानकों से गुजरता है और ये हर कंपनी के लिए एक होते हैं. बड़ी कंपनी हो या छोटी, सबको इससे गुजरना पड़ता है. लेकिन गलती हर किसी से हो सकती है. और अभी तक जो बातें सामने आईं हैं या दावे किए जा रहे हैं उससे लगता है कि यही मुख्य वजह है बैटरी फटने की. एक गलत कंपोनेंट या एसेंबली लाइन में एक गलती, बैटरी की मौत का कारण बनती है. तकनीक का एक सबसे बड़ा पहलू है कि वो बदलती रहती है. आमतौर पर अच्छे के लिए और कभी-कभार कुछ गलत के लिए और जब ये गलत हमारे साथ होता है तो हम एक-दूसरे पर दोष मढ़ने लगते हैं. बैटरी फट गई तो हम कंपनी को दोष देते हैं और कंपनी और हमारे बीच में बहस चलती रहती है. हमारा आपको सुझाव है कि सावधानी रखिए और सुरक्षित रहिए. स्मार्टफोन को स्मार्टली यूज करिए और नजर बनाए रखिए फोन के नेचर पर, कुछ भी अलग लगे तो सर्विस सेंटर का रुख कीजिए.

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