इसके बाद आप किसी फ़ास्ट फूड चेन में बर्गर वग़ैरह खाने जाते हैं. अपना ऑर्डर बताते हैं, काउन्टर पर बैठा शख्स आपको पैसे बताता है और अपनी कार्ड लगाने वाली POS मशीन सामने कर देता है. आप अपना “कॉन्टैक्ट-लेस” क्रेडिट या डेबिट कार्ड निकालकर इस मशीन पर छुआ देते हैं. बिना पिन-विन डाले झट से पेमेंट हो जाता है.

मेट्रो के AFC गेट जिनपर मेट्रो कार्ड लगाकर आपको एंट्री मिलती है.
इन सभी सूरत में आपके कार्ड और कार्ड रीड करने वाली मशीनों के बीच में बातचीत हुई और आखिरी वाले केस में तो पेमेंट भी. इस काम को करने में NFC या नियर फील्ड कम्यूनिकेशन टेक्नॉलजी का हाथ है. मगर हर जगह की कम्यूनिकेशन के लिए आपको एक अलग कार्ड की जरूरत पड़ती है. क्या हो अगर इतने सारे कार्ड रखने की बजाय आपका मोबाइल फ़ोन या आपकी स्मार्टवॉच ही इन सब चीजों का काम कर डाले? ये कोरी कल्पना नहीं बल्कि हक़ीक़त है. और ये आज से नहीं बहुत लंबे टाइम से चल रही है.
मगर स्मार्टफ़ोन या स्मार्टवॉच को बैंक कार्ड या मेट्रो कार्ड में बदल देने वाली NFC टेक्नॉलजी क्या है? ये काम कैसे करती है? यहां पर हम यही बताएंगे. NFC क्या है और कैसे काम करता है? फ़ास्टैग तो आपको पता ही होगा. वही स्टिकर जो कार के सामने वाले शीशे पर लगा होता है. कार बस टोल गेट से निकल जाती है और टोल का पैसा अपने आप कट जाता है. पैसे या दूसरी जानकारी का आदान-प्रदान करनी वाली ये टेक्नॉलजी है radio-frequency identification या RFID है. इसी टेक्नॉलजी की छोटी बहन है Near-field communication या NFC. दोनों में फ़र्क बस इतना है कि RFID दूर से भी काम कर जाती है, जबकि NFC को काम करने के लिए दो डिवाइसेज़ का एक-दूसरे को छूना या एक दूसरे के 3-4 इंच के दायरे में होना ज़रूरी है.
NFC टेक्नॉलजी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडियो फील्ड की मदद से डेटा का आदान-प्रदान करती है. बहुत ज़्यादा टेक्निकल डीटेल में जाए बिना इसे ऐसे समझिए कि दो NFC डिवाइस एक दूसरे की रेंज में आते ही दूसरे को पहचान लेते हैं. इसके बाद ये आपस में बातचीत करते हैं और ज़रूरी डेटा या पेमेंट वग़ैरह का निबटारा करते हैं.

ऐपल आईफोन पर ऐपल पे NFC से पेमेंट करता है. (फ़ोटो: ऐपल)
इसमें ये भी ज़रूरी नहीं कि दोनों NFC डिवाइस बिजली या बैटरी पर काम कर रहे हों. आपका मेट्रो कार्ड या बैंक कार्ड में कोई बैटरी नहीं होती, मगर जब ये मेट्रो गेट या POS मशीन के पास आते हैं, तो जाग जाते हैं. NFC दो डिवाइस के बीच पेमेंट की जानकारी के साथ-साथ दूसरे टाइप का डेटा जैसे वीडियो, कॉन्टैक्ट और फ़ोटो वग़ैरह भी ट्रांसफ़र कर सकता है. इसे काम करने के लिए ब्लूटूथ की तरह पहले पेयर नहीं करना पड़ता. अपने गैजेट में NFC कैसे इस्तेमाल करना है? डेटा शेयरिंग: अगर आपके एंड्रॉयड फ़ोन में NFC है, तो आप Android Beam की मदद से दूसरे NFC वाले फ़ोन के साथ आराम से डेटा शेयर कर सकते हैं. इसके अलावा और भी ऐप हैं जो NFC का इस्तेमाल करके दो फ़ोन के बीच में डेटा ट्रांसफ़र करने में मदद करते हैं.
पेमेंट: अपने NFC वाले स्मार्टफ़ोन से पेमेंट करने के लिए पहले आपको एक NFC वाला पेमेंट ऐप चाहिए होगा और एक बैंक कार्ड. आईफोन 6 से लेकर सारे लेटेस्ट आईफोन NFC की मदद से पेमेंट कर सकते हैं. बस आपको ऐपल पे में अपने बैंक के कार्ड की डीटेल जोड़नी हैं. सैमसंग के NFC वाले फ़ोन में सैमसंग पे की मदद से यही काम किया जा सकता है.

NFC वाली स्मार्टवॉच भी पेमेंट कर सकती हैं. (फ़ोटो: ऐमज़ॉन)
बाकी के एंड्रॉयड डिवाइस गूगल पे या जी-पे ऐप में कार्ड जोड़कर NFC वाले पेमेंट कर सकते हैं. NFC वाले पेमेंट के जरिए आप एक बार में 2,000 रुपए से ज़्यादा का भुगतान नहीं कर सकते. ये लिमिट भारतीय रिजर्व बैंक ने लोगों की सेफ़्टी के लिए लगाई है. पेमेंट पर यही लिमिट आपके NFC वाले स्मार्टफ़ोन पर भी लागू होती है. कुछ NFC वाली स्मार्टवॉच और फ़िटनेस ट्रैकर भी पेमेंट सपोर्ट करते हैं. इनमें भी आपको अपना कार्ड जोड़ना होता है और पेमेंट मशीन पर कार्ड की जगह घड़ी छुआ देनी है.

NFC वाले फ़िटनेस बैंड भी मेट्रो गेट खोल सकते हैं. (फ़ोटो: Xiaomi)
टिकट और अटेंडेंस: स्मार्टफ़ोन, स्मार्टवॉच और फ़िटनेस बैंड के NFC का इस्तेमाल मेट्रो के गेट खोलने और ऑफिस में एंट्री के लिए भी किया जा सकता है. हमारे देश में बहुत सारे NFC स्मार्टफ़ोन, स्मार्टवॉच और फ़िटनेस ट्रैकर मौजूद हैं मगर इनकी मदद से एंट्री-एग्जिट वाला ये सिस्टम अभी चालू नहीं हुआ है. मगर ऐसे कई मुल्क हैं जहां पर लोग 36 तरह के कार्ड लेकर घूमने के बजाय अपने NFC वाले गैजेट को ही इस्तेमाल करते हैं. बस हर काम के लिए अलग से ऐप लगता है.