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एलन मस्क ने उड़ाया था मजाक, अब टेस्ला से भी बड़ी कंपनी बनी BYD, वजह एक अमेरिकी है

आज बात करेंगे BYD की जो बैटरी बनाने वाली कंपनी से दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी बन गई है. वो San Francisco शहर से भी बड़ा प्लांट लगाने वाली है. वो मस्क को उनके गेम में ही हरा रही है. वो भी एक अमेरिकी की मदद से.

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BYD का ड्रीम पूरा हो रहा

साल 2011 में Tesla के मालिक एलन मस्क एक इंटरव्यू दे रहे थे. इस बातचीत में जब मस्क से BYD की कारों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने तंजिया लहजे में कहा, “आपने उनकी कारों का डिजाइन देखा है!” माने मस्क ने BYD की इलेक्ट्रिक कारों को सिरे से ही नकार दिया था. मगर आज 14 साल बाद वही BYD दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी बन चुकी है. मस्क की कंपनी का गला मसकने को तैयार है. कंपनी चीनी, मालिक चीनी, मगर बैकअप एक अमेरिकी का.

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आज बात करेंगे कि कैसे बैटरी बनाने वाली ये कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कंपनी बन गई है. कैसे, कि अब वो San Francisco शहर से भी बड़ा प्लांट लगाने वाली है. कि वो मस्क को उनके ही गेम में हरा रही है, वो भी एक अमेरिकी की मदद से.

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BYD का मस्क को झटका

BYD यानी Build Your Dreams एक चाइनीज इलेक्ट्रिक कार कंपनी है. कंपनी कैसे बनी. किस अमेरिकी ने पैसा लगाया वो जानने से पहले वो बात जानते हैं जिसकी वजह से आजकल इसकी चर्चा है. साल 2023 की आखिरी तिमाही में इस कंपनी ने पहली बार टेस्ला से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें बेचीं. हालांकि 2024 की पहली तिमाही में टेस्ला फिर नंबर वन हो गई.

मगर जब साल 2024 खत्म हुआ तो BYD ने टेस्ला के मुकाबले 10 लाख ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें बेचीं, वो भी तब जब हाई टैरिफ की वजह से अभी भी कंपनी अमेरिकी मार्केट में नहीं आई है. जबकि टेस्ला के पास चीन में बड़ा मार्केट है. मतलब BYD बिक्री के मामले में असल में नंबर वन है. इसके साथ ही कंपनी ने पिछले हफ्ते 5 मिनट में कार बैटरी फुल चार्ज करने की तकनीक निकालकर टेस्ला को तगड़ा झटका दे दिया. ये सब एक साल या एक दशक में नहीं हुआ है.

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बैटरी कंपनी को लगे चक्के

साल 1995 में Wang Chuanfu ने चीन में बैटरी बनाने की कंपनी बनाई. साल 1966 में जन्मे वांग एक साधारण चीनी ग्रामीण परिवार से आते हैं. Beijing के Nonferrous Metals Research Institute से मास्टर डिग्री लेने वाले वांग को उनके कॉलेज ने एक बैटरी बनाने वाली कंपनी में भेज दिया. ये कंपनी उसी कॉलेज की थी. वांग को जल्द ही समझ आया कि ये तो बड़ा बिजनेस है. उन्होंने अपने भाई से 25 लाख युआन उधार लिए और 20 लोगों के साथ BYD की स्थापना कर डाली. Shenzhen में स्थित इस कंपनी ने जल्दी ही चीन का बड़ा मार्केट पकड़ लिया.

काम करते-करते वांग को समझ आया कि असल फ्यूचर तो इलेक्ट्रिक है. ये 2000 के आसपास का समय था और चीन में जापानी कार कंपनियों का बोलबाला था. इसी समय साल 2003 में सभी को अचरज में डालते हुए वांग ने एक बंद पड़ी चीनी कार कंपनी को करीब 27 करोड़ युआन ($38 मिलियन डॉलर) में खरीद लिया. उनके इस कदम से इन्वेस्टर्स डरे हुए थे, मगर वांग को इलेक्ट्रिक कारों में 'करंट' दिख रहा था.

वांग के पास बैटरी का अनुभव था, चीन की सस्ती लेबर भी उपलब्ध थी. बस एक मोटा इन्वेस्टर और चाहिए था. साल 2018 में वांग पर नजर पड़ी दुनिया के सबसे कामयाब इन्वेस्टर Warren Buffet की. उन्होंने $23 करोड़ डॉलर का इन्वेस्टमेंट BYD में कर दिया.

बफेट का नाम जुड़ते ही दुनिया की नजर BYD की कारों पर पड़ी. सस्ती मगर बढ़िया कारें बनाकर वांग ने आज की तारीख में चीन के बाजार का 32 फीसदी हिस्सा अपने नाम किया हुआ है. टेस्ला की कार जहां चीन में 27 लाख रुपये की है, वहीं BYD के लिए 9 लाख रुपये ही खर्च करने पड़ते हैं. कंपनी भारतीय बाजार में भी पिछले कई सालों से काम कर रही है. भारतीय मेट्रो शहरों में इसके शोरूम भी खुले हुए हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी तेलंगाना में 85 हजार करोड़ की लागत का प्लांट लगाने जा रही है. हाल ही में उसकी Zhengzhou फैक्ट्री का वीडियो खूब वायरल हुआ था जिसका आकार टेस्ला की Navada फैक्ट्री से 10 गुना बड़ा है. BYD वाकई अपने ड्रीम पूरे कर रही.

वैसे ड्रीम तो बफेट अंकल के भी खूब पूरे हो रहे. वो साल 2022 से लगातार BYD में अपनी हिस्सेदारी बेचकर मुनाफा कमा रहे. अभी भी उनके पास कंपनी की 5 फीसदी हिस्सेदारी है और कंपनी का मार्केट कैप 12.957 ट्रिलियन है. बफेट का कितना हुआ, आप खुद गुणा-गणित लगा लो. झटका लगेगा पक्के से.

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