सबसे पहले एक गफलत दूर करते हैं. सिक्योरिटी ऐप्स और एंटीवायरस ऐप्स दो अलग-अलग कैटेगरी हैं. सिक्योरिटी ऐप्स मूलतः पासवर्ड मैनेजमेंट से जुड़े ऐप्स होते हैं और एंटीवायरस ऐप्स सिस्टम में वायरस को स्कैन करने और उनकी गतिविधियों को रोकने (ऐसा वो कहते हैं) का काम करते हैं. हम इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि Google पर सिक्योरिटी ऐप्स सर्च करने पर कई सारे एंटीवायरस ऐप्स ओपन हो जाते हैं. वापस आते हैं एंटीवायरस ऐप्स और गूगल प्ले प्रोटेक्ट पर. क्या है Google Play Protect? गूगल प्ले प्रोटेक्ट एक नेटिव फीचर है जो किसी भी ऐप के स्मार्टफोन पर डाउनलोड होने से पहले सेफ़्टी चेक करता है. डिवाइस पर दूसरे सोर्स (apk, लिंक) से डाउनलोड किए ऐप्स को भी चेक करता है जो मालवेयर की शक्ल में हो सकते हैं. ये आपको नुकसान करने वाले ऐप्स की चेतावनी भी देता है और उनको रिमूव भी करता है. गलत जानकारी देने वाले या जानकारी छिपाने वाले ऐप्स के बारे में भी आपको आगाह करता है. आपकी निजी जानकारी एक्सेस करने वाले ऐप्स से संबंधित प्राइवेसी अलर्ट भी गूगल प्ले प्रोटेक्ट आपको भेजता है.
ये होता कैसे है वो भी जान लीजिए... 1. गूगल प्ले स्टोर ओपन कीजिए. 2. प्रोफाइल आइकन पर क्लिक कीजिए. 3. प्ले प्रोटेक्ट पर टाइप कीजिए. 4. Play protect certification के अंदर आपको पता चल जाएगा कि आपका डिवाइस play protect certified है या नहीं.
आप निश्चिंत रहिए, क्योंकि गूगल प्ले प्रोटेक्ट स्मार्टफोन में पहले से ऑन रहता है लेकिन आप चाहें तो ऑफ भी कर सकते हैं. यदि आपके अंदर तकनीक को लेकर कीड़ा है और आप अनजान सोर्स से ऐप्स डाउनलोड करते हैं तो आप इसकी जानकारी गूगल को जरूर दे सकते हैं. ऐसा करने से गूगल सेफ़्टी चेक करेगा और यदि ऐप हुआ खतरनाक तो आपको पता चल जाएगा. प्ले प्रोटेक्ट सेटिंग्स में improve harmful app detection को ऑन कर लीजिए.

Google Play Protect(image:android.com)
करता क्या है ये फीचर? यदि इसको लगता है कि ऐप में कोई झोल है तो हो सकता है आपको नोटिफिकेशन आए, नहीं भी आ सकता, क्योंकि आमतौर पर गूगल प्ले प्रोटेक्ट अपने आप ही ऐसे ऐप्स को डिलीट कर देता है. आपको बस ऐप के रिमूव होने का नोटिफिकेशन आएगा. वैसे यदि ऐप खतरनाक है और आपको नोटिफिकेशन आ गया तो आपको ऐप डिलीट करना ही पड़ेगा, क्योंकि प्ले प्रोटेक्ट उस ऐप को डिसेबल कर देगा.
अब आपको पता चल गया कि गूगल किस तरीके से ऐप्स की सेफ़्टी चेक करता है. अब बात एंटीवायरस ऐप्स की. जब इतना तगड़ा पहरा बिठा रखा है तो इनकी जरूरत क्यों है? क्या सच में ये काम करते हैं? अब हम ये पहले ही बता चुके हैं कि एंटीवायरस ऐप्स सिस्टम में आने वाले वायरस को स्कैन करते हैं, डिटेक्ट करते हैं और अपने आप डिलीट भी कर देते हैं. ये ऐप्स लगातार बैकग्राउंड में रन होते हैं.
सवाल आपके मन में आएगा कि वायरस आएगा कहां से? तो जनाब जैसा हमने पहले कहा कि यदि आपके अंदर का जिज्ञासु टेकजीवी गूगल प्ले स्टोर से अलग किसी दूसरे सोर्स से ऐप डाउनलोड करता है, ईमेल या एसएमएस पर आई अनजान लिंक को क्लिक करता है. अनजान सोर्स से ब्लूटूथ फ़ाइल ट्रांसफर करता है या फिर मुफ्त वाईफाई से इंटरनेट एक्सेस करता है, तो संभावना है कि वायरस आपके स्मार्टफोन में घुसने का रास्ता तलाश लें. जाहिर सी बात है यहां पर गूगल प्ले प्रोटेक्ट काम नहीं करने वाला. वायरस क्या गुल खिला सकता है वो बताने की जरूरत नहीं. ऐसे में काम आते हैं एंटीवायरस ऐप्स.
अब बात उनकी जिनको एंटीवायरस ऐप्स की जरूरत है. एक पुरानी रिपोर्ट से चौंकाने वाली बात सामने आई थी. इसमें दावा किया गया था कि अधिकतर एंटीवायरस ऐप्स कुछ नहीं करते या फिर अपना काम बहुत ही गंदे तरीके से करते हैं. av-comparatives ने 2017 अपनी इस रिपोर्ट में वायरस शील्ड नाम के एक एंटीवायरस ऐप के बारे में बताया था जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध था. आसान भाषा में कहें तो ये ऐप सिर्फ बेवकूफ बनाने का काम करता था. ऐप सिर्फ डिवाइस स्कैन करने का नाटक करता था और प्रोग्रेस बार पर शो करता था. एक बार नाटक खत्म हो जाने पर बाकायदा अनाउंसमेंट करते बताता कि कोई मालवेयर नहीं है. कई यूजर्स ने तो इसके लिए अपनी जेब भी ढीली की थी. आखिरकार गूगल ने ऐप को हटाया और यूजर्स के पैसे वापस किए.
इसी प्लेटफॉर्म ने 2021 में ऐसा ही एक टेस्ट किया और नतीजे पहले से बहुत अलग थे. 3568 मालवेयर टेस्ट करने पर ज्यादातर एंटीवायरस ऐप्स का प्रोटेक्शन रेट 81-100% के बीच रहा. कई ऐप्स तो 100% तक मोबाइल को प्रोटेक्ट करने में सक्षम रहे और फर्जी ऐप्स को सही तरीके से डिटेक्ट किया.
आपको लगेगा कि ऐसा क्या हो गया पांच साल में जो ये ऐप्स इतने सही तरीके से काम कर रहे थे. पहली बात जो भी ऐप्स ने सही से काम किया वो सभी जानी-मानी कंपनियों के थे. मतलब साफ है, जो एक्सपर्ट हैं और यूजर से धोखा नहीं करना चाहते वो बखूबी अपना काम करते हैं. दूसरा कारण ये भी है कि पहले के मुकाबले गूगल ऐसे फर्जी ऐप्स पर कड़ी नजर रखता है तो प्ले स्टोर पर होना मुश्किल हो जाता है. गूगल तो एंड्रॉयड 6 (मार्शमेलो) से ही परमिशन पर काम कर रहा था लेकिन एंड्रॉयड 10 के आने से इसमें बहुत सुधार हुआ. सितंबर 2020 में एंड्रॉयड 11 आने के बाद ऐप्स को परमिशन देने की प्रोसेस बदल दी गई. अब ऐप्स बैकग्राउंड में बिना यूजर की अनुमति के लोकेशन, कैमरा आदि एक्सेस नहीं कर सकते.
इतना सब पढ़ लेने के बाद भी आपको लगता है कि आपके फोन में एंटीवायरस ऐप्स होना चाहिए तो हमारी सलाह होगी कि सब देखभाल कर डाउनलोड कीजिए. हम किसी विशेष ऐप को डाउनलोड करने के लिए नहीं कह रहे लेकिन कई कंपनियां अच्छा काम करती हैं. आप गूगल प्ले स्टोर पर उनकी रेटिंग्स, रिव्यू, अपडेट फ्रिक्वेंसी देखकर डाउनलोड कर सकते हैं. एक बात और ध्यान रखिए. ये ऐप्स फ्री वर्जन में भी काफी कुछ सही काम करते हैं तो आपको सच में जरूरत नहीं हो तो पेड वर्जन का रुख नहीं करें.