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ऑनलाइन फ्रॉड हो जाए तो RBI का ये नियम आपकी चवन्नी भी नहीं जाने देगा, बस एक शर्त है

हम आपको बताएंगे RBI का वो नियम जो फ्रॉड के केस में आपकी Liability को एकदम जीरो या उसके आसपास तक पहुंचा सकता है. कहने का मतलब अगर आपके साथ फ्रॉड हुआ और अगर आप RBI के इस नियम के दायरे में आते हैं तो देनदारी आपकी नहीं बल्कि संबंधित संस्थान की होगी.

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फ्रॉड के केस में आरबीआई का काम का नियम.

फाइनेंशियल फ्रॉड, साइबर क्राइम, ऑनलाइन ठगी, नाम भले कम पड़ जाएं मगर तरीके कम नहीं होते. एक पर नजर पड़ती है और उस पर खबर होते-होते दूसरा तरीका बिलबिलाने लगता है. मुआ क्राइम नहीं ममी फिल्म के बिच्छू हो रहे. खत्म ही नहीं होते. मुमकिन है इतना पढ़कर शायद आपको लगेगा कि हम फिर कोई नया फ्रॉड का किस्सा बताने वाले हैं. लेकिन नहीं जनाब, आज कोई किस्सा नहीं, बल्कि एक तरीका बताने वाले हैं जो ऐसे अपराध में आपके पैसे वापस दिला सकता है. मौका लगा तो पूरे, आधा मौका लगा तो आधे, मगर बचा जरूर लेगा.

हम आपको बताएंगे RBI का वो नियम जो फ्रॉड के केस में आपकी Liability को एकदम जीरो या उसके आसपास तक पहुंचा सकता है. कैसे होता है ये सब उसके पहले जरा Liability शब्द को समझ लेते हैं. Liability मतलब देनदारी या कहें आर्थिक जिम्मेदारी. कहने का मतलब अगर आपके साथ फ्रॉड हुआ और आप RBI के इस नियम के दायरे में आते हैं तो देनदारी आपकी नहीं बल्कि संबंधित संस्थान की होगी.

एक चवन्नी भी नहीं देनी होगी

RBI के नियम के मुताबिक अगर आपके साथ किसी भी किस्म का इलेक्ट्रॉनिक फ्रॉड होता है, मसलन क्रेडिट कार्ड और अगर आप 3 दिन के अंदर इसकी शिकायत संबंधित बैंक से करते हैं तो आपको कोई नुकसान नहीं होगा. जो आप 4 से 7 दिन में शिकायत करते हैं तो आपसदारी वाला मामला बनेगा. मतलब नुकसान का छोटा हिस्सा आप भरोगे और बड़ा हिस्सा संस्थान के मत्थे. 

उदाहरण के लिए, अगर क्रेडिट कार्ड की लिमिट 5 लाख रुपये है तो आपकी देनदारी अधिकतम 10 हजार होगी भले गड़बड़ झाला कितने का हुआ हो. लिमिट अगर 5 लाख से ऊपर हो तो आपके हिस्से 25 हजार का भार आएगा. हां, सात दिन के बाद शिकायत की तो फिर कछु नहीं होगा. मतलब वो बैंक के निर्णय पर निर्भर करेगा. तगड़ा नियम है मगर एक ‘मगर’ के साथ आता है.

ये वाला नियम सिर्फ उस तरीके के फर्जी लेनदेन में लागू होगा जिसमें ओटीपी शेयर नहीं किया गया हो. जो आपको लगे कि भला ऐसे कैसे होता है. होता है बंधु. विशेषकर क्रेडिट कार्ड से जुड़े इंटरनेशनल लेनदेन में. बिना ओटीपी के सिर्फ कार्ड नंबर और CVV की मदद से खेला होता है. पिछले दिनों भी ऐक्सिस बैंक के कई क्रेडिट कार्ड धारकों के साथ ऐसा हुआ है. हम भी इसलिए आपको इस नियम के बारे में बता दिए.

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चलिए वापस आते हैं प्रोसेस पर. RBI का ये नियम साल 2017 से ही लागू है, लेकिन अक्सर हम इसका इस्तेमाल नहीं करते. क्योंकि ऐसा मान लिया जाता है कि पैसा गया मतलब गया. मगर अब से इस नियम का इस्तेमाल कीजिए. फ्रॉड होने के बाद जितनी जल्दी हो सके. और जो संस्थान कोई आनाकानी करे तो इनके चचा मतलब Ombudsman से शिकायत कर डालिए. अपनी शिकायत आप ईमेल से लेकर कस्टमर केयर पर कर सकते हैं. हां इसकी लिखित में रसीद लेना मत भूलना.

और जो ओटीपी वाला फ्रॉड हो जाये तो 1930 पर कॉल कर लेना. साइबर पुलिस का टॉल फ्री नंबर. 

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