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गाड़ी में पेट्रोल के साथ सल्फर नहीं डाला तो इंजन खराब? अब कोई ये ज्ञान दे तो ये स्टोरी दिखा देना

सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हैं जिनमें गाड़ी में डीजल और पेट्रोल के साथ अलग से सल्फर मिलाने का ज्ञान दिया जा रहा है. ज्ञान नई गाड़ियों के लिए नहीं बल्कि BS-IV इंजन और उससे पुरानी वाली गाड़ियों के लिए दिया जा रहा है?

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गाड़ी में सल्फर मिलाने का बेतुका ज्ञान

अपना माल बेचने के लिए कंपनियों से लेकर सेल्स पर्सन कई सारी जुगत भिड़ाते हैं. कोई तगड़ा प्रमोशन करता है तो कोई बड़े-बड़े  डिस्काउंट बांटता है. कोई अच्छी सर्विस का वादा करता है तो कोई ज्यादा वारंटी देने का दावा करता है. कहने का मतलब हर कोई अपने हिसाब से अपना प्रोडक्ट बेचने की कोशिश करता है. लेकिन क्या कोई बेवकूफ या कहें बहाना बनाकर अपना माल बेचता है? बहाना भी ऐसा जो आज से 14 साल पहले खत्म हो चुका. सरकार भी मना कर चुकी लेकिन कुछ शरारती तत्व इसका फायदा उठा रहे.

बात हो रही है गाड़ी में सल्फर डालने की. सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हैं जिनमें गाड़ी में डीजल और पेट्रोल के साथ अलग से सल्फर मिलाने का ज्ञान दिया जा रहा है. ज्ञान नई गाड़ियों के लिए नहीं बल्कि BS-IV इंजन और उससे पुरानी वाली गाड़ियों के लिए दिया जा रहा है. क्यों भई, अचानक से क्या हो गया? जवाब तलाशते हैं.

सल्फर का काम क्या है?

आज तक पता चले 118 रासायनिक तत्वों में 16वां नंबर है इसका. सल्फर से नाम मिला ‘S’ तो केमेस्ट्री में इसी नाम से जाना जाता है. वैसे डीजल और पेट्रोल में सल्फर मिलाया नहीं जाता बल्कि हटाया जाता है. कच्चे तेल में सल्फर एक प्राकृतिक घटक है जो गैसोलीन और डीजल में तब तक मौजूद रहता है जब तक उसे हटाया न जाए. ईंधन में सल्फर लुब्रिकेंट (Lubricant) की तरह काम करता है. बोले तो चिकनाई पैदा करता है.

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पढ़कर लगेगा बड़ा भला प्रोडक्ट है भाई. नहीं ना. वही तो लोचा है, क्योंकि सल्फर भारी वाला प्रदूषण करता है. गाड़ियों के चलने से बनती है Sulphur Dioxide (SO₂) जो सीधे इंसान के फेफड़ों पर असर डालती है. इससे चिंतित 

ज्यादा डिटेल में इसलिए नहीं बता रहे क्योंकि दुनिया जहान की सरकारों ने इस पर खूब काम किया है.

सांकेतिक इमेज
हम तो BS-VI फ्यूल पर बैठे हैं?

साल 2017 में हमने BS-IV ईंधन अपनाया और BS-VI आया अप्रैल 2020 में. BS-IV में सल्फर की मात्रा 50 ppm थी तो BS-VI में 10. पीपीएम (पार्ट्स प्रति मिलियन) या आसान भाषा में कहें तो हर दस लाख में कितने कण. तो आजकल के ईंधन में सिर्फ 10 हैं और उसके पहले 50. हां, साल 2010 से 2017 तक इनकी मात्रा 350 थी, जो वाकई में बहुत ज्यादा थी. हमने पहले इसे 50 पर गिराया और फिर सीधे 10 पर. इसके लिए सरकार ने BS-V को भी बायपास किया था.

एक लाइन में कहें तो BS-IV वाली गाड़ियों में जितनी जरूरत है उतना सल्फर है. अलग से मिलाने की कोई जरूरत ही नहीं. जो आपको कोई ऐसा करने को कहे तो उसको कहना… ये चूना अपने चचा को लगाओ!

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