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Garuda Aerospace: बंद होने वाली थी, एमएस धोनी के आने के बाद 'हेलीकॉप्टर' हो गई?

हम बात कर रहे हैं MS Dhoni के इनवेस्टमेंट वाली Garuda Aerospace की जिसे हाल ही में 100 करोड़ की फंडिंग मिली है. ड्रोन के कारोबार में आसमान छूती इस कंपनी का कारोबार साल 24 के 109 करोड़ के मुकाबले 123 करोड़ हो गया है. सब अच्छा दिख रहा मगर यही कंपनी 5 साल पहले बंद होने वाली थी. फिर धोनी आ गए.

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Garuda Aerospace में धोनी का इनवेस्टमेंट है

महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) क्रिकेट के मैदान पर क्या कर सकते हैं, अगर इस पर बात करने चले तो दो बातें होंगी. पहला आप बोर हो जाएंगे क्योंकि आपको सब पता ही होगा. दूसरा हम थक जाएंगे मगर बता नहीं पाएंगे. इसलिए आज उनके उस कारनामे की बात करते हैं जो उन्होंने मैदान के बाहर किया है. यहां भी उन्होंने क्रिकेट जैसी ऊंची उड़ान भरी. एक स्टार्टअप (Drone startup Garuda Aerospace, backed by Mahendra Singh Dhoni) जो बंद होने की कगार पर था, उसमें निवेश किया और आज वो महज 5 सालों में 2000 करोड़ की कंपनी बन गई है. वैसे धोनी शायद इस बात को नहीं मानें मगर सच यही है.

हम बात कर रहे हैं देसी स्टार्टअप Garuda Aerospace की जिसे हाल ही में 100 करोड़ की फंडिंग मिली है. ड्रोन के कारोबार में आसमान छूती इस कंपनी का कारोबार साल 2024 के 109 करोड़ के मुकाबले 2025 में 123 करोड़ हो गया है. अभी सब अच्छा दिख रहा, मगर यही कंपनी 5 साल पहले बंद होने वाली थी. फिर क्या हुआ? धोनी कहां से आए?

Covid बना वरदान

Garuda Aerospace के सीईओ Agnishwar Jayaprakash अपने चार साल पुराने स्टार्टअप को बंद करने का मन बना चुके थे. Harvard Business School से पढ़े और स्विमिंग में Asian Gold जीतने वाले अग्निश्वर का ड्रोन स्टार्टअप उड़ने का तो दूर चलने का भी नाम नहीं ले रहा था. उनकी कंपनी दिवालिया होने की कगार पर थी मगर तभी कोविड आ गया. सारे बिजनेस तकरीबन बंद हुए तो उनका काम भी बंद हो गया. ड्रोन तो वैसे भी एक आउटडोर प्रोडक्ट है तो कौन ही पूछ रहा था.

Garuda Aerospace
Garuda Aerospace 

मगर जब लॉकडाउन खुला तो मानो गरुड़ एयरोस्पेस की किस्मत का ताला भी खुल गया. देश और दुनिया हर तरीके सैनेटाइज रहने का विकल्प तलाश रही थी. ऐसे में अग्निश्वर को अपने खेती वाले ड्रोन से बड़ी इमारतों को सैनेटाइज करने का आइडिया आया. उन्होंने Tamil Nadu सरकार के सामने इसका एक डेमो दिया. हालांकि उनके इस प्रयोग से सरकार से तो कोई ऑर्डर नहीं मिला मगर मीडिया से जबरदस्त कवरेज मिला. खेती वाले ड्रोन से कीटनाशकों के छिड़काव का आइडिया उन्हें उस टीवी शो के कारण आया जिसे उन्होंने पहले प्रोड्यूस किया था. अग्निश्वर के मुताबिक,

"हमने अपने रियलिटी शो के प्रतिभागियों पर चॉकलेट बरसाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया था. उस समय ड्रोन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर वीडियोग्राफी के लिए ही किया जाता था."

मीडिया कवरेज का असर हुआ और जल्द ही गरुड़ एयरोस्पेस को विभिन्न राज्य सरकारों से अपने शहरों में सरकारी इमारतों को सैनेटाइज़ करने के ऑर्डर मिलने लगे. उनके ड्रोन की डिमांड ऐसी बढ़ी कि एक बार एयर इंडिया, जो उस समय भारत सरकार के स्वामित्व में थी, उसने चंडीगढ़ और वाराणसी में सैनेटाइजेशन ऑपरेशन करने के लिए अपने कार्गो विमान में उनके दो ड्रोन और पायलटों को एयरलिफ्ट किया था. 

2020 में, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में टिड्डियों के हमले ने गरुड़ के लिए एक और बिजनेस का दरवाजा खोल दिया. अग्निश्वर की किस्मत भी थोड़ी-थोड़ी उड़ रही थी. उनके एक ट्वीट को एलन मस्क ने लाइक किया और वो UK बेस्ड इन्वेस्टर Silver Swan Investments की नजरों में आ गए. नतीजा 1 मिलियन कि फंडिंग. साल 2022 में कंपनी ने 15 करोड़ का रेविन्यू भी जनरेट किया. मगर उड़ान उतनी ऊंची नहीं थी जितनी होनी चाहिए. तभी…

धोनी आ गए ‘कीपिंग’ करने

साल 2022 में धोनी ने कंपनी में इनवेस्टमेंट भी किया और ब्रांड एम्बेसडर भी बन गए. Agnishwar Jayaprakash ने कोविड से पहले भी धोनी को अपने साथ लाना चाहा था मगर तब बात नहीं बनी थी. लेकिन 2022 में धोनी के कंपनी का फेस बनते ही फायदा मिलना स्टार्ट हो गया. 2023 में कंपनी की वैल्यूएशन ‘हेलीकाप्टर’ हो गई. 800 करोड़ पर 20 करोड़ की फंडिंग मिली और कारोबार 47 करोड़ पहुंचा. अब तो कंपनी ने Narotam Sekhsaria Family Office से 100 करोड़ रुपये जुटाए हैं. वैल्यूएशन 2000 करोड़ पहुंच गई है.

कंपनी पिछले 4 साल से मुनाफे में है. Lockheed Martin Canada CDL Systems, Elbit Systems, Thales, HAL (Hindustan Aeronautics Limited) और BEML उनके ग्राहक हैं. कंपनी आईपीओ लाने की तैयारी में है. ड्रोन उड़ रहा है.

मैंने मेडिकल सीट (खेल कोटा) को अस्वीकार कर दिया और तैराकी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए इंजीनियरिंग का विकल्प चुना. अपने पिता (आर.एन.जयप्रकाश, अग्नि समूह के प्रमोटर) के व्यवसाय में शामिल होने के बजाय मैं खुद का व्यवसाय करना चाहता था. 

Agnishwar Jayaprakash के शब्द जो उन्होंने The Weekend Leader से बातचीत में कहे थे.

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