Accenture ने पिछले तीन महीनों में 11,000 से ज्यादा कर्मचारियों को कंपनी से निकाल (Accenture Lays Off 11,000 Staff) दिया है. आप कहो, उसके पहले हम ही आपको बता देते हैं कि ये बासी खबर है. प्रोफेशनल सर्विस देने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी इसके आगे भी छंटनी जारी रखने वाली है. ये भी कोई नई खबर नहीं. कंपनी हजारों कर्मचारियों को निकालकर 1 बिलियन डॉलर लगभग 8 हजार 9 सौ करोड़ रुपये बचाने वाली है. ये भी सभी को पता है. फिर कहना क्या चाहते हैं हम.
Accenture ने की 11,000 छंटनी, 8900 करोड़ बचाने थे, मगर खर्च हो गए 19000 करोड़
Accenture को अपने कर्मचारियों की छटनी महंगी (Accenture Lays Off 11,000 Staff) पड़ रही है. महंगी मतलब दोगुनी महंगी. पिछले तीन साल में कर्मचारियों को निकालने पर कंपनी के 2 बिलियन डॉलर माने 19 हजार करोड़ फूंक गए हैं.


अजी हम तो ये बताने जा रहे हैं कि Accenture को अपने कर्मचारियों की छटनी महंगी पड़ रही है. महंगी मतलब दोगुनी महंगी. पिछले तीन साल में कर्मचारियों को निकालने पर कंपनी के 2 बिलियन डॉलर माने 19 हजार करोड़ फुक गए हैं.
जितने के ढोल नहीं उतने के नगाड़े फूट रहेएक्सेंचर के लिए कर्मचारियों को निकालने का फैसला सही साबित होता नहीं लग रहा है. भविष्य में भले इस फैसले की वजह से कंपनी को मुनाफा हो लेकिन फिलहाल तो ये सिर्फ बड़े खर्च की तकनीक लग रही है. निकाले गए कर्मचारियों की severance costs हजारों करोड़ों में पहुंच गई है. severance costs मतलब वो पैसा जो कंपनियों को कर्मचारियों को नौकरी से अचानक निकालने पर देना पड़ता है.
उदाहरण के लिए तीन या छह महीने का वेतन, मेडीक्लेम या दूसरे भत्ते. कई बार इस पैसे में बोनस और शेयर भी शामिल होते हैं. अमेरिका और युरोपियन देशों में इसको लेकर कड़े कानून हैं. इसलिए कई बार रकम बहुत ज्यादा हो जाती है. एक्सेंचर पिछले तीन साल से छटनी कर रहा है और अब ये रकम 19 हजार करोड़ तक पहुंच गई है.
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पिछली तिमाही में ये खर्च 5400 करोड़ रुपये था तो इस तिमाही में 2200 करोड़ रुपये. कुल जमा बात ये कि 7600 करोड़ रुपये की रीस्ट्रक्चरिंग योजना अभी तो फायदे का सौदा नहीं लग रही है. छटनी और नई भर्ती वाला गणित भी कोई सही नहीं बैठ रहा है. 11 हजार लोग निकालने के बाद अगस्त के आखिर तक कंपनी में 779,000 से ज्यादा लोग कार्यरत थे. लेकिन पिछले 3 महीने में 5 हजार से ज्यादा नए लोग भी जॉइन हुए हैं. ये वो नई भर्ती है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में एक्सपर्ट है.
हालांकि सब बुरा-बुरा है ऐसा भी नहीं है. कंपनी ने पिछले वित्तीय वर्ष में 45 हजार करोड़ के generative AI प्रोजेक्ट उठाए हैं जो उसके पिछले साल के मुकाबले 20 हजार करोड़ ज्यादा हैं. लेकिन कर्मचारियों वाला गणित जरा ठीक नहीं बैठा. इत्ती बड़ी कंपनी. एक अच्छा सॉफ्टवेयर इसके लिए भी बना लेती. छटनी का दौर भारतीय कंपनियों में भी जारी है. Tata Consultancy Services (TCS) भी 12 हजार कर्मचारियों को निकालने वाली है.
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