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जयसूर्या ने मनोज प्रभाकर का करियर कैसे खत्म कर दिया?

प्रभाकर के आखिरी मैच में ना तो उनकी कला काम आई और ना ही एटिट्यूड.

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ये किस्सा साल 1996 का है. श्रीलंका पहली बार विश्व विजेता बना. श्रीलंका के इस जीत से एशियन क्रिकेट का चेहरा बदलने वाला था. लेकिन इससे पहले इस जीत ने वनडे को बदल दिया. वनडे क्रिकेट एक नई दुनिया में प्रवेश कर रहा था. और इस यात्रा के सारथी थे सनथ जयसूर्या और रोमेश कालूविथरना. साल 1996 में बनी इस जोड़ी ने तमाम बोलर्स का वो हश्र किया कि वे लाइन-लेंथ छोड़िए, अपनी बोलिंग स्टाइल तक भूल गए. क्रिकेट के क़िस्सों में आज बात होगी ऐसे ही एक अभागे बोलर की. नाम मनोज प्रभाकर.

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