झोपड़पट्टी में रहने वाले दो बच्चों की ज़िद, मेहनत और जुझारूपन की कहानी
क्यों एक मासूम ख्वाहिश के बीच पॉलिटिक्स और मीडिया घुस आती है?
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मराठी सिनेमा को समर्पित सीरीज़ ‘चला चित्रपट बघू या’ (चलो फ़िल्में देखें). इस बार की फिल्म हाफ टिकट. ‘हाफ तिकिट’ 2015 में आई तमिल फिल्म ‘काका मुट्टई’ का ऑफिशियल रीमेक है. और क्या शानदार रीमेक है. झोपड़पट्टी के सामने पिज्जा वाली दुकान खुल गई है. लेकिन पिज़्ज़ा आता है 300 रुपयों का. रोज़ाना कोयला बेचकर 10 रुपए कमाने वाले इन बच्चों के लिए 300 रुपए जुटाना बहुत बड़ा टास्क है.
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