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फेडरर की ये स्पीच सुन लीजिए, करियर काउंसलिंग की कभी जरूरत नहीं पड़ेगी!

Roger Federer ने कहा कि जीवन एक रोलर कोस्टर है, जिसमें कई उतार-चढ़ाव आते हैं. आप भी जानिए रॉजर फेडरर के वायरल स्पीच की मुख्य बातें.

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अमेरिका के डार्टमाउथ कॉलेज में रॉजर फेडरर (फोटो: फेसबुक)

दिग्गज टेनिस खिलाड़ी रॉजर फेडरर (Roger Federer) की एक स्पीच सोशल मीडिया पर वायरल है. फेडरर ने ये स्पीच रविवार, 9 जून को अमेरिका के डार्टमाउथ कॉलेज (Dartmouth College) में दी. यहां उन्हें मानद डॉक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया गया. कॉलेज के स्टूडेंट के बीच पहुंचे रॉजर फेडरर ने कहा कि वो कभी कॉलेज नहीं गए, लेकिन वो टेनिस में ग्रेजुएट हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि टेनिस से 'रिटायर या संन्यास' लेना कहना अच्छा नहीं लगता. उन्होंने कहा कि कोई कॉलेज से निकलता है, तो क्या उसे कॉलेज से ‘रिटायर’ कहा जाता है.

इस दौरान रॉजर फेडरर ने अपने टेनिस करियर का उदाहरण देते हुए जिंदगी के कई अहम सबक पर बात की, जिसे काफी पसंद किया जा रहा है. रॉजर फेडरर ने अपनी स्पीच में क्या सलाह दी, उसकी मुख्य बातें यहां पेश है.

पहला सबक- “Effortless”… is a myth 

(बिना कोशिश या मेहनत के कुछ नहीं मिलता)

रॉजर फेडरर कहते हैं कि टेनिस के मैच में उन्हें मिली जो जीत देखने वालों को आसान लगती थी, वो असल में कभी भी आसान नहीं थी. उन्होंने कहा,

“लोग कहते थे कि मैं बड़ी आसानी से खेल जीत गया. ये बात ज्यादातर तारीफ के तौर पर कही जाती थी…लेकिन सच्चाई ये है कि उस खेल को आसान बनाने के लिए मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ी. टूर्नामेंट में मेरा वॉर्म-अप इतना सहज था कि लोगों को ये नहीं लगता था कि मैं कड़ी मेहनत कर रहा हूं, लेकिन मैं कड़ी मेहनत कर रहा था... टूर्नामेंट से पहले, जब कोई नहीं देख रहा होता था.”

रॉजर फेडरर ने कहा कि उन्हें खुद पर भरोसा था, लेकिन खुद पर भरोसा हासिल करना पड़ता है. वो बोले,

“ऐसे दिन भी आते हैं. जब आप बस टूटा हुआ महसूस करते हैं...लेकिन फिर भी आप जीतने का कोई रास्ता खोज लेते हैं...और ये वो जीत होती है, जिस पर हमें सबसे ज्यादा गर्व हो सकता है.”

रॉजर के मुताबिक खुद पर भरोसा करना एक प्रतिभा है. अपनी जिंदगी को मैनेज करना, खुद को मैनेज करना, इसे भी एक प्रतिभा के तौर पर गिना जा सकता है.

दूसरा सबक- It’s only a point

रॉजर फेडरर ने कहा कि कई बार आप बहुत मेहनत करने के बाद भी हार सकते हैं. उन्होंने कहा,

“हर टूर्नामेंट एक ही तरह से खत्म नहीं होता है... एक खिलाड़ी को ट्रॉफी मिलती है... दूसरा खिलाड़ी सोचता है... ‘आखिर मैं वो शॉट कैसे चूक गया?’ मैंने भी हार से बचने की कोशिश की. लेकिन फिर भी मैं हारा... कभी-कभी बहुत बड़ी हार हुई…लेकिन मुझे पता था कि मुझे क्या करना है... काम करते रहना है और प्रतिस्पर्धा करते रहना है.”

रॉजर फेडरर ने आगे बोले,

"सच तो ये है कि जीवन में आप चाहे कोई भी खेल खेलें... कभी-कभी आप हार जाते हैं. एक अंक, एक मैच, एक सीजन, एक नौकरी... ये एक रोलर कोस्टर है, जिसमें कई उतार-चढ़ाव आते हैं...जब आप निराश होते हैं, तो ये स्वाभाविक है कि आप खुद पर संदेह करें…लेकिन नकारात्मक ऊर्जा व्यर्थ ऊर्जा है."

टेनिस के इस दिग्गज ने कहा कि उनके हिसाब से चैंपियन वो है, जो कठिन क्षणों पर काबू पाने में माहिर बनना चाहता है. उन्होंने कहा,

“दुनिया में जो बेस्ट हैं, वो इसलिए बेस्ट नहीं है क्योंकि वो हर बार जीत हासिल करते हैं...बल्कि वो जानते हैं कि वो हारेंगे...बार-बार हारेंगे...और उन्होंने इससे निपटना सीख लिया है.”

इसलिए आगे बढ़ते रहिए, अधिक मेहनत करिए और समझदारी से काम लीजिए.

तीसरा सबक- Life is bigger than the court

(जिंदगी बहुत बड़ी है)

रॉजर फेडरर ने टेनिस कोर्ट में बिताए पल और उससे इतर अपनी दुनिया की भी चर्चा की. उन्होंने कहा,

"मैंने बहुत काम किया, बहुत कुछ सीखा और उस छोटी सी जगह (टेनिस कोर्ट) में मैं कई मील दौड़ा... लेकिन दुनिया इससे कहीं बड़ी है. यहां तक कि जब मैंने शुरुआत की थी, तब भी मुझे पता था कि टेनिस मुझे दुनिया दिखा सकती है... लेकिन टेनिस कभी पूरी दुनिया नहीं बन सकती." 

रॉजर फेडरर ने कहा कि यहां तक कि जब वो टॉप पांच टेनिस खिलाड़ियों में से एक थे, तभी उनके लिए एक भरपूर जीवन जीना अहम था.  

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