साल 2005. 25 साल पहले. दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल की सबसे रोमांचक जीत की गाथा लिखी गई. 'द मिरेकल ऑफ इस्तांबुल'. ये क्लब फुटबॉल इतिहास की सबसे रोमांचक यूएफा चैंपियंस लीग (UCL) के फाइनल की कहानी है. जब एक टीम पहले हाफ में 3 गोल से पिछड़ने के बावजूद चैंपियन बन गई. ये कहानी हमें अब क्यों याद आई वो आपको विस्तार से बताते हैं.
Real Madrid को मिल सकता है वो धाकड़ कोच जिसका लोहा मानता है पूरा यूरोप
Real Madrid के वर्तमान कोच कार्लो एंचेलोटी 26 मई से ब्राजील की नेशनल टीम के हेड कोच होंगे. उनकी जगह रीयल मैड्रिड की कमान अब जो कोच संभाल सकता है उसका जलवा पूरे यूरोप ने देखा है.

तारीख थी 25 मई 2005. तुर्किये के इस्तांबुल शहर में इटालियन क्लब एसी मिलान (AC Milan) और इंग्लिश फुटबॉल क्लब लिवरपूल (Liverpool) के बीच मुकाबला चल रहा था. एसी मिलान के तत्कालीन कोच कार्लो एंचेलोटी (Carlo Ancelotti) पहले हाफ में अपनी टीम के जबरदस्त प्रदर्शन से बहुत खुश थे. उनके अनुसार, टीम ने अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाया था. क्योंकि एसी मिलान ने 3 गोल की बढ़त जो हासिल कर ली थी. पर उन्हें क्या पता था कि दूसरे हाफ के शुरुआती 15 मिनट ही उनकी टीम के होश उड़ा देंगे. लिवरपूल ने 60वें मिनट में ही 23 साल के एक स्पेनिश मिडफील्डर जाबी ऑलोंसो (Xabi Alonso) के पेनाल्टी पर आए गोल के दम पर बराबरी हासिल कर ली. यानी ये लिवरपूल (Liverpool) का 15 मिनट के भीतर तीसरा गोल था. लिवरपूल यही नहीं रुकी, पेनाल्टी शूटआउट को 3-2 से जीतकर यूरोप की चैंपियन भी बन गई. ये कहानी हमें अब क्यों याद आई है. अब इसे भी समझ लेते हैं.
एसी मिलान के तत्कालीन कोच कार्लो एंचेलोटी (Carlo Ancelotti) वर्तमान में स्पेनिश टॉप क्लब रीयल मैड्रिड (Real Madrid) के कोच हैं. या यूं कहें 25 मई तक अपना कार्यकाल पूरा करने का इंतजार कर रहे हैं. यानी स्पेनिश क्लब को एक नया कोच मिलने वाला है. और वो कोई और नहीं है. वही 23 साल का मिडफील्डर है. जिसने 2005 में लिवरपूल को UCL के फाइनल में चैंपियन बनाने वाले मैच में बराबरी वाला गोल दागा था. जाबी ऑलोंसो.
Sky Sports Germany की रिपोर्ट के अनुसार, जाबी क्लब वर्ल्ड कप से पहले टीम की कमान संभाल लेंगे. वर्तमान में जाबी जर्मन क्लब बायर लेवरकुसेन (Bayer Leverkusen) के कोच हैं. 9 मई को उन्होंने घोषणा कर दी थी कि इस सीजन के बाद वह क्लब को अलविदा कह देंगे. साथ ही एंचेलोटी ने भी घोषणा कर दी है कि 26 मई से वह ब्राजील की नेशनल टीम की कमान संभालेंगे. मतलब जाबी ऑलोंसो 1 जून से रीयल मैड्रिड की कमान संभाल सकते हैं. स्पेन के सबसे सफल मिडफील्डर से यूरोप की सबसे सफल टीम के कोच. जाबी ऑलोंसो के इस सफर की कहानी भी बहुत रोचक है.

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बतौर प्लेयर जाबी का करियरजाबी ऑलोंसो को फुटबॉल विरासत में मिली है. पिता पेरिको स्पेन के इंटरनेशनल फुटबॉलर थे. तो बचपन से ही जाबी का लगाव भी इस खेल से हो गया. साल 1998 में 17 साल के जाबी सैन सेबेस्टियन के सबसे बड़े क्लब रीयल सोसिएदाद में शामिल हो गए. ये वही क्लब था, जहां उनके पिता ने पहली लीग जीती थी. जाबी को इस क्लब में अपनी अलग पहचान बनाने में ज्यादा समय नहीं लगा. 5 साल के भीतर पूरे यूरोप में स्पेन के इस मिडफील्डर की चर्चा होने लगी. कारण था 2003 में रीयल सोसिएदाद का प्रदर्शन. स्पेनिश टॉप लीग ला लीगा में क्लब रनर-अप रहा.
2004 में इंग्लिश क्लब लिवरपूल ने उन पर ध्यान दिया और उन्हें इंग्लैंड ले आया. जहां वे कोच राफेल बेनिटेज की अगुआई में और निखर गए. और जल्द ही वो लिवरपूल फैन्स के भी फेवरेट हो गए. पहले ही सीजन में टीम चैंपियंस लीग जीत गई. ये वही फाइनल मैच था जिसे 'द मिरेकल ऑफ इस्तांबुल' के नाम से जाना जाता है.
लिवरपूल में 5 साल बिताने के बाद ऑलोंसो वापस स्पेन पहुंच गए. वहां की सबसे सफल टीम रीयल मैड्रिड में शामिल होने. मिडफील्ड में ऑलोंसो की उपस्थिति ने सितारों से सजे क्लब में चार चांद लगा दी. 2014 में रीयल मैड्रिड को UCL चैंपियन बनाने के बाद जाबी ने जर्मनी का रुख किया.
बुंडेसलीगा की सबसे सफल टीम बायर्न म्यूनिख का हिस्सा बन गए. यहां उनका करियर नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया. कारण थे स्पेनिश कोच पेप गार्डियोला. पेप के साथ जाबी ने फुटबॉल को बिल्कुल नए नजरिये से देखा. जाबी का ट्रेडमार्क उनके सटीक पास थे. उन्होंने सितंबर 2014 में एक मैच में कुल 214 टच के साथ बुंडेसलीगा रिकॉर्ड बना दिया. यहां वह कन्वेंशनल मिडफील्डर की बजाय क्वार्टरबैक खेल रहे थे. जाबी ने बायर्न के साथ लगातार तीन बार बुंडेसलीगा और 2016 में जर्मन कप जीता.
जाबी का करियर सिर्फ क्लब स्तर पर शानदार नहीं रहा. ऑलोंसो स्पेन की 'गोल्डन पीरियड' का भी एक अहम हिस्सा थे. उन्होंने नेशनल टीम के साथ दो यूरोपीय चैंपियनशिप (Euro Cup) और 2010 में फीफा वर्ल्ड कप भी जीता है. जाबी को अपने जेनरेशन के बेस्ट रणनीतिकारों में से एक के रूप में पहचाना जाता था. यही कारण है कि 2017 में पेशेवर फुटबॉल को अलविदा कहने के बाद जाबी ने कोचिंग में करियर शुरू करने में देरी नहीं की.

साल 2019 में जाबी फुटबॉल कोचिंग में उतर गए. 38 साल के जाबी ने एक बार फिर अपने इस करियर की शुरुआत भी उसी क्लब के साथ की. जहां से उन्होंने अपनी पहचान बनाई थी. सेन सेबेस्टियन का सबसे बड़ा क्लब रीयल सोसिएदाद. हालांकि, इस बार रोल अलग था. उन्हें अपनी पूरी रणनीति ग्राउंड के बाहर बनानी और लागू करनी थी. और टीम भी उन्हें 'बी' मिली थी. लेकिन, बतौर कोच भी जाबी को अपनी पहचान बनाने में ज्यादा समय नहीं लगा. टियर 3 से रीयल सोसिएदाद 'बी' को उन्होंने दो साल में टियर 2 में पहुंचा दिया. उनकी इस उपलब्धि ने एक बार फिर उन्हें पूरे यूरोप में चर्चित कर दिया.
2022 में जर्मनी के क्लब बायर लेवरकुसेन ने जाबी से संपर्क किया. उन्हें एक ऐसे ही मैनेजर की तलाश थी. जो उनका इतिहास बदल दे. क्लब के 120 साल के करियर में बायर लेवरकुसेन कभी बुंडेसलीगा नहीं जीत सका था. इसके कारण उन्हें एक उपाधि भी दी गई थी. 'नेवरकुसेन'. यानी तुमसे न हो पाएगा. ये जाबी के लिए एक शानदार अवसर था. जाबी एक बार फिर जर्मनी पहुंच गए. दो साल उन्होंने खूब मेहनत की. टीम बनाई. प्लेयर्स खरीदे. कई प्लेयर्स टीम से हटाए. और फिर आया साल 2024. बायर लेवरकुसेन ने न सिर्फ बुंडेसलीगा जीता. बल्कि इस क्लब ने यूरोपीयन फुटबॉल में पुर्तगाल के क्लब बेनफिका के 48 मैच तक अजेय रहने के रिकॉर्ड को भी ध्वस्त कर दिया.
बायर लेवरकुसेन 51 मैच तक अजेय रहा. क्लब की इस उपलब्धि ने दर्शा दिया कि जाबी यूरोप के सबसे सफल कोच बनने के दावेदारों में से एक हैं. 1 जून को जब वह यूरोप की सबसे सफल टीम रीयल मैड्रिड की कमान संभालेंगे तो देखना अहम होगा कि वह इस टीम किन ऊंचाइयों तक पहुंचाते हैं. पिछला एक साल रीयल मैड्रिड के लिए बहुत साधारण रहा है. कई स्टार प्लेयर्स होने के बावजूद टीम बहुत असंतुलित दिख रही है.
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