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जडेजा को पाने के लिए राजस्थान को अभी और पापड़ बेलने होंगे, सिर्फ संजू को देकर नहीं पा सकेंगे दो प्लेयर्स!

CSK के ऑलराउंडर Ravindra Jadeja और RR के कप्तान Sanju Samson को लेकर चल रही ट्रेड डील में अड़ंगा डल गया है. इसके कारण अब राजस्थान रॉयल्स को डील पूरा करने के लिए पहले कुछ उपाय करने होंगे तभी बात बनेगी.

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रवींद्र जडेजा और संजू सैमसन के बीच डील में खड़ा हुआ अंड़ंगा. (फोटो-PTI)

रवींद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) और संजू सैमसन (Sanju Samson) के बीच ट्रेड डील अब भी पाइपलाइन में अटकी है. हालांकि, इसमें अड़ंगा दोनों ही प्लेयर्स की ओर से नहीं लगाया गया है. रुकावट की वजह इंग्लिश ऑलराउंडर सैम करन (Sam Curran) हैं. दरअसल, राजस्थान रॉयल्स (Rajasthan Royals) का ओवरसीज कोटा पहले से ही फुल है. ऐसे में जब तक उनकी ओर से पहले किसी प्लेयर को रिलीज नहीं किया जाएगा तब तक ये डील पूरी नहीं हो सकेगी.

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क्रिकबज की रिपोर्ट के अनुसार, चेन्नई सुपरकिंग्स (Chennai Super Kings) और राजस्थान रॉयल्स ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट स्वैप के लिए 48 घंटे पहले शुरू कर दिया है. लेकिन, बीसीसीआई को अब तक अप्रूवल का फॉर्मल रिक्वेस्ट नहीं मिला है. ट्रेड अब भी प्रोसेस में है, पूरा नहीं हुआ. क्योंकि इस ट्रेड को पूरा करने के लिए पहले प्रोसिजरल कॉम्पलिकेशन को दूर करना होगा.  

क्यों नहीं हो पा रही डील?

जडेजा और सैमसन के बीच स्वैप को लेकर अगर ये ट्रेड होता तो कोई मुश्किल नहीं होती. ये एक स्ट्रेट डील थी. एक इंडियन प्लेयर के बदले एक इंडियन प्लेयर. इससे कोई IPL रेगुलेशन का भी फेरा नहीं लगता.

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पूरी कॉम्पलिकेशन इसलिए हुई है क्योंकि डील में सैम करन भी शामिल हैं. राजस्थान रॉयल्स संजू के बदले जडेजा के साथ-साथ चेन्नई सुपरकिंग्स से सैम करन को भी चाहती है. करन एक ओवरसीज प्लेयर हैं और राजस्थान का विदेशी प्लेयर्स का कोटा पहले से ही फुल है. मौजूदा टीम की बात करें तो, राजस्थान में 8 ओवरसीज प्लेयर्स हैं. इनमें जोफ्रा आर्चर, श‍िमरॉन हिटमायर, वानिंदु हसरंगा, महीश तीक्ष्णा, फजल हक फारूकी, क्वेना मफाका, नांद्रे बर्गर और लुआन ड्री प्र‍िटोरियस शामिल हैं.  इनके अलावा 14 इंडियन प्लेयर्स भी हैं. IPL के रूल के कारण वो करन को टीम में शामिल नहीं कर सकते क्योंकि ऐसा करने के लिए इन 8 में से एक प्लेयर को रिलीज करना होगा.

साथ में पैसा भी एक इश्यू है. उनके प्लेयर पर्स में सिर्फ 30 लाख रुपये हैं. वहीं, करन की ऑक्शन वैल्यू 2.4 करोड़ रुपये है. हालांकि, राजस्थान की टीम में अभी 22 ही प्लेयर्स हैं. वो अभी भी 3 प्लेयर को और शामिल कर सकते हैं. लेकिन, करन को शा‍मिल करने के लिए राजस्थान को एक ओवरसीज स्लॉट और करन की मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू के बराबर पैसे दोनों चाहिए.

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डील पूरी करने का क्या है उपाय?

क्रिकबज की रिपोर्ट के अनुसार, एक तरीका ये है कि राजस्थान एक ओवरसीज प्लेयर को रिलीज कर दे जिसकी कीमत 2.4 करोड़ रुपये से ज्यादा है. माना ये जा रहा है कि फ्रेंचाइजी दोनों श्रीलंकन स्पिनर्स वानिंदु हसरंगा (5.25 करोड़ रुपये) और महीश तीक्ष्णा (4.40 करोड़ रुपये) का साथ छोड़ सकती है. इससे उन्हें ओवरसीज प्लेयर को शामिल करने के लिए स्पेस और थ्री वे स्वैप के लिए पैसे दोनों उपलब्ध हो जाएंगे.

हालांकि, ऐसे फैसले 15 नवंबर की रिटेंशन डेडलाइन के बाद ही लिए जा सकते हैं, जब सारी फ्रेंचाइजी अपने रिटेन्ड प्लेयर्स और रिलीज्ड प्लेयर्स की लिस्ट जारी कर देगी. ये ट्रेड हो सकता है बाद में हो जब ट्रेड विंडो दोबारा खुले. या हो सकता है रॉयल्स इस ट्रेड के लिए पहले ही अपनी रिटेंशन लिस्ट जारी कर दे. 
ऐसे में जब पेपरवर्क और स्क्वॉड को रिशेपिंग के लिए और टाइम की जरूरत होगी, तो एक ह्यूमन फैक्टर भी है जिसे ध्यान में रखा जाएगा. ऐसा भी संभव है कि यहां तक आने के बाद भी फ्रेंचाइजी या ट्रेड डील में जुड़े प्लेयर्स का बाद में मन बदल जाए. लेकिन, डील से जुड़े एक सोर्स से मिली जानकारी के अनुसार,  इसकी संभावना बहुत कम है.

यानी, अभी इक्वेशन बहुत सिंपल है. रॉयल्स तब तक आगे नहीं बढ़ सकते, जब तक वो कोई ओवरसीज स्लॉट न खाली करें. साथ ही उनके पर्स में डील के लिए उतने पैसे हों. यानी अब सब कुछ राजस्थान रॉयल्स मैनेजमेंट के हाथों में है कि वो रवींद्र जडेजा की सर्व‍िसेज को हासिल करने के लिए कितने सीरियस हैं. 

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