पेरिस ओलंपिक्स में भारत के बॉक्सर तो आपको रिंग में दिखेंगे ही, रेफरी भी नजर आएंगे. काबिलन साई अशोक. सेप्शल फोर्स के साथ पैरा कमांडो के तौर पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों का शिकार कर चुके हैं. फिलहाल सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक पर सर्व कर रहे हैं (Lt. Colonel Kabilan Sai Ashok). 42 साल के काबिलन साई अशोक पेरिस ओलंपिक में सबसे कम उम्र के भारतीय रेफरी बनकर पहुंचे हैं.
PoK में सर्जिकल स्ट्राइक करने वाला कमांडो ओलंपिक्स में, ले. कर्नल अशोक की कहानी सुन गर्व होगा!
Paris Olympics: खबर है कि Lt. Colonel Kabilan Sai Ashok 2016 में PoK में सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन में शामिल थे. वो अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज रह चुके हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स ने सेना के अधिकारियों के हवाले से बताया कि लेफ्टिनेंट कर्नल साई अशोक 2016 में PoK में सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन में भी शामिल थे. साई अशोक अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज रह चुके हैं. जानकारी के मुताबिक कि आर्मी फिजिकल ट्रेनिंग कोर में शामिल होने से पहले 2000 के दशक के उन्होंने 9 पैरा के साथ काम करते हुए जम्मू-कश्मीर में कई आतंकवाद विरोधी अभियानों में हिस्सा लिया था.
अधिकारी के मुताबिक, साई अशोक एक सैनिक के तौर पर सेना में शामिल हुए और अपनी मेहनत के दम पर ऑफिसर रैंक तक पहुंचे. एक दूसरे अधिकारी ने बताया,
साई अशोक चेन्नई से हैं. उन्होंने सेना के ओलंपिक कोच के तहत मुक्केबाजी में ट्रेनिंग ली है. वैश्विक स्तर पर कड़ी स्क्रीनिंग प्रक्रिया के बाद उन्हें पेरिस ओलंपिक में रेफरी और जज नियुक्त किया गया.
अशोक पास 2 स्टार से 3 स्टार स्टेटस तक सबसे तेजी से पहुंचने वाले एकमात्र भारतीय रेफरी होने का रिकॉर्ड भी है. जान लें, International Boxing Association (IBA) प्रतियोगिताएं तीन लेवल पर आयोजित की जाती हैं जो भाग लेने वाले मुक्केबाजों और देशों की संख्या और प्रतिभागियों के लेवल पर डिपेंड करती हैं.
बता दें, पेरिस ओलंपिक्स पहुंचे 117 भारतीय एथलीटों में 24 सैन्यकर्मी शामिल हैं. लेफ्टिनेंट कर्नल साई अशोक देश का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच सैन्य अधिकारियों में से एक हैं. बाकियों में दो कोच, एक तकनीकी अधिकारी और एक फिजियो शामिल हैं.
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