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नागरकोटी: अंडर 19 वर्ल्ड कप ने हमें ये भयानक टैलेंटेड फ़ास्ट बॉलर दिया है

18 साल के इस पेसर ने 149 kmph स्पीड पा ली है.

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कमलेश नागरकोटी.
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से आती नित नई तेज़ गेंदबाज़ों की फ़ौज को हसद से देखने वाले भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए अच्छी ख़बर है. एक नया ख़ून तेज़ गेंदबाज़ी की फील्ड में जलवा-अफरोज़ हुआ है. इतना टैलेंटेड है कि शाहरुख की आईपीएल टीम ने ख़रीद भी डाला. वो भी 3 करोड़ 20 लाख की शानदार रकम देकर. कहना न होगा कि कमलेश नागरकोटी नाम के इस युवा गेंदबाज़ से सबको बेशुमार उम्मीदें हो गई हैं. उम्मीदों पर खरा उतरते हुए अंडर-19 वर्ल्ड कप में नागरकोटी ने 2 विकेट लिए. उम्मीद है जल्द ही वो सीनियर टीम में आकर कहर ढाएंगे.
साल 1999 के वर्ल्ड कप में जवागल श्रीनाथ ने 154.5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी थी. हम इंडियन्स ने उस मौके को आंखे फाड़ के देखा था. फिर ईशांत शर्मा ने 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 152.6 kmph की रफ्तार ने गेंद फेंकी तो ईशांत कंगारुओं की टक्कर का गेंदबाज बताया गया. फिर वरुण एरॉन ने भी 2014 में श्रीलंका के खिलाफ 152.5 kmph की गति वाली गेंद फेंक चौंकाया था. मगर ये गेंदबाज लगातार ये करिश्मा नहीं दिखा सके.
मगर जब एक 18 साल का इंडियन गेंदबाज न्यूजीलैंड की पिचों पर 147 की गति से गेंद दागे तो ये आंखे उम्मीदों से चमक पड़ती हैं. कमलेश नागरकोटी नाम का ये बॉलर औसतन 145 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गेंद फेंकता है. इंडिया की अंडर-19 टीम का अहम हिस्सा है जो न्यूजीलैंड में वर्ल्ड कप खेलने गई है.
अपने पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया को 100 रनों से हराने वाली इस टीम में कमलेश ने अपने 7 ओवर के स्पेल में 3 विकेट लिए और एक मेडन फेंका. इनमें 20 गेंदे 145 kmph की स्पीड से ऊपर की थीं. उस मैच में कमेंट्री कर रहे पूर्व वेस्टइंडीज कप्तान इयान बिशप ने कहा कि कमलेश की ये स्पीड देखकर लगता है कि इंडिया में का तेज गेंदबाजी में अच्छा भविष्य है.
कमलेश की तीन विकेटों में स्टीव वॉ के बेटे ऑस्टिन वॉ को आउट करना भी शामिल है. तो फिर लल्लनटॉप ने भी तय किया कि इस उभरते गेंदबाज के बारे में पता किया जाए. ये कौन है, कहां से है और कैसे यहां तक पहुंचा-
क्या है इसकी खास बात?
कमलेश नागरकोटी राइट आर्म पेस बॉलर है. राइट आर्म बैट्समेन है. और गजब का फील्डर भी. इसी एक कॉम्बिनेशन के चलते देश की अंडर-19 टीम में अपनी जगह बनाई है. राजस्थान की जिला स्तर की टीमों में पहले बाड़मेर और फिर जयपुर के लिए खेलते हुए अपने करियर यहां तक लाया है ये टैलेंटेड खिलाड़ी. दी लल्लनटॉप ने कमलेश के कोच सुरेंद्र सिंह शेखावत से बात की तो पता चला कि 10 साल पहले जब वो 7 साल का था, तब से जयपुर की संस्कार क्रिकेट अकेडमी में ट्रेनिंग ले रहा है. बॉल को स्विंग करने और यॉर्कर फेंकने में महारत हासिल कर ली है. साथ ही मिडल ऑर्डर बैट्समेन भी है और फील्डिंग के मामले में भी काफी एथलेटिक है जिससे वो टीम के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है. कोच सुरेंद्र सिंह शेखावत ने उन्हें कैंट एरिया में फील्डिंग करते हुए देखा था तो वो रूक कर देखते ही रह गए थे. फिर घर तक पहुंचे और कहा इसे क्रिकेट अकेडमी में भेजो. तब से लेकर अब तक वो कमलेश की गेम पर काम कर रहे हैं.
क्या है स्पीड का राज?
कमलेश
नागरकोटी की तारीफ करने वालों में सौरव गांगुली और वीरेंद्र सहवाग भी हैं.


कोच सुरेंद्र ने बताया कि कमलेश नागरकोटी की औसत स्पीड 143 किलोमीटर प्रति घंटे की है. अच्छी बॉलिंग कंडीशन्स में वो 148 kmphतक भी जा सकता है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तो 149 kmph की स्पीड भी मापी गई. सुरेंद्र ने बताया, " इसके रनअप पर काफी काम किया है. उसका बॉलिंग एक्शन बेहद क्विक है. 2016 में मुंबई इंडियन्स की प्रैक्टिस सेशन के दौरान जब कमलेश ने रोहित शर्मा को बॉल डाली थी, तो वो इसकी स्पीड देख काफी चौंके थे. खुद रोहित ने कुछ और टिप्स दिए थे और अपना फोन नंबर भी शेयर किया था." साथ ही ये किस्सा भी बताया कि वेंकटेश प्रसाद खास तौर पर जयपुर कमलेश की बॉलिंग देखने आए थे. मगर उस मैच में वो एक हल्की इंजरी के चलते नहीं खेल पाया था. इस पर जब प्रसाद ने कमलेश को कहा कि एक बॉलर को अपनी बॉलिंग के साथ खुद को इंजरी से दूर रखने का बहुत ध्यान रखना होता है. तब से इस बॉलर ने ये बात गांठ बांध ली और अच्छा करने के लिए खूब मेहनत की.
जयपुर की गलियों से यहां तक

कमलेश नागरकोटी के पिता लच्छम सिंह नागरकोटी आर्मी में कैप्टन के पद से रिटायर हुए हैं. परिवार मूलत: उत्तराखंड के बागेश्वर जिले से है. मगर अब जयपुर में बस गया है. कमलेश का जन्म जयपुर के कैंटोनमेंट एरिया में ही हुआ था. पिता ने बताया कि कमलेश का घर का नाम बिट्टू है और वो बचपन से क्रिकेट खेलने में इतना डूब जाता था कि खाना पीना भी भूल जाता था. शुरू में तो मां-बाप को भी लगा कि कहीं क्रिकेट के चक्कर में पढ़ाई से भी जाए और क्रिकेट से भी. इसलिए ध्यान रखते थे. मगर जब से क्रिकेट अकेडमी जॉइन कर ली, कभी भी निराश नहीं किया. कमलेश के बड़े भाई विनोद ने भी ड्रिस्ट्रिक्ट लेवल की क्रिकेट खेली है और उसी के चलते कमलेश यहां तक पहुंच पाया है. वैसे घर में रिटायर्ड पिता और हाउसवाइस मां, बड़ा भाई और बहन है. सबको अब भरोसा है कि कमलेश इतना टैलेंटेड है कि वो टीम इंडिया में जगह बना लेगा.
अंडर-19 टीम में कैसे मिली जगह?
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पृथ्वी शॉ की कप्तानी में टीम से वर्ल्ड कप जीतने की उम्मीद है.


ड्रिस्टिक्ट लेवल पर अच्छा खेलते हुए कमलेश नागरकोटी को बाड़मेर से खिलाया गया. कारण ये कि जयपुर में काफी कंपीटिशन था. अंडर-14, 15 और 16 बाड़मेर से खेलने के बाद जयपुर जिला क्रिकेट चलाने वाले को लगा कि लड़का तो हमारा है और खेल बाड़मेर से रहा है. तो क्यों न बड़े लेवल पर जयपुर से ही खेले. तो फिर अंडर-19 से पहले वीनू मांकड़ ट्रॉफी और विजय मर्चेंट ट्रॉफी में कमलेश को जयपुर से खेलने का मौका मिला. यहां बल्ले, बॉल और फील्डिंग में अव्वल रहने के साथ ही इस होनहार खिलाड़ी को 2016 में श्रीलंका में होने वाले यूथ एशिया कप में भेजा गया जहां मलेशिया के खिलाफ 5 विकेट लिए. 28 फरवरी 2017 को चेन्नई के चेपुक स्टेडियम में 17 साल के नागरकोटी ने राजस्थान के लिए रणजी वनडे में खेलते हुए हैट्रिक ली. गुजरात के खिलाफ उस हैट्रिक की खास बात ये थी कि वो तीनों विकेट क्लीन बोल्ड करके मिले थे. इस मैच में नाबाद 54 रन भी मारे थे. इस तरह कमलेश अंडर-19 टीम में राजस्थान से इकलौते खिलाड़ी हैं.
कुछ और बातें-
# कमलेश ने इसी साल जयपुर में सुबोध कॉलेज में दाखिला लिया है.
#  अभी-अभी 18 साल के हुए हैं तो रिलायंस की तरफ से नौकरी भी तैयार है. वो उनकी कॉरपोरेट टीम में खेलेंगे.
#  पिछले सीजन यानी 2017 में कमलेश का नाम आईपीएल प्येयर्स बिडिंग में शामिल था, मगर उस समय किसी ने ज्यादा तरजीह नहीं दी थी.
#  अंडर-19 टीम के कोच राहुल द्रविड़ भी कमलेश के खेल से काफी प्रभावित रहे हैं और यही कारण है कि उसे लगातार ग्रूम कर कर रहे हैं.


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