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भारत की 'चार देशों' को एक वर्ल्डकप मैच में हराने वाली जीत की कहानी!

कहानी इंडिया की पहला वनडे मैच जीतने की.

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इंडियन टीम (Courtesy: Getty Images)

1975 का साल. वियतनाम का युद्ध खत़्म हुआ ही था. 1967 में छह दिन चले युद्ध के बाद पहली बार सुएज कैनाल खोला गया था. ब्रिटेन के इन्फ्लेशन ने भी 25 प्रतिशत की छलांग लगाई थी. अमेरिका में बेरोजगारी की दर 9.2 प्रतिशत तक चढ़ गई थी. कहने का मतलब ये कि पूरी दुनिया में बहुत कुछ घट रहा था. लेकिन क्रिकेट बदस्तूर जारी था. 1971 में नए-नए वनडे क्रिकेट का जन्म हुआ था और 1975 में पहला क्रिकेट वर्ल्ड कप होने जा रहा था.  

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इस टूर्नामेंट को इंग्लैंड में सजाया गया. लाज़मी था, क्योंकि क्रिकेट का जन्म इंग्लैंड में ही हुआ था. लेकिन उस दौर में दुनिया की सबसे खतरनाक टीम वेस्ट इंडीज को माना जाता था. इस वर्ल्ड कप का पहला मैच इंडिया और इंग्लैंड के बीच हुआ. उस मैच में इंडिया को 202 रन की करारी शिकस्त मिली. इसके बाद इंडिया का अगला मैच ईस्ट अफ्रीका से था. तारीख थी 11 जून की. यानि आज ही का दिन. उस दौर में साउथ अफ्रीका की क्रिकेट टीम पर ICC ने रंगभेद की वजह से बैन लगाया हुआ था. ईस्ट अफ्रीका की टीम चार देशों का समूह थी. जिसमें केन्या, युगांडा, तंज़ानिया और ज़ांबिया आते थे. 

#India's first ODI win

चलिए मैच पर चलते हैं. आखिर उस मैच में हुआ क्या था. पहला मुकाबला बुरी तरह से हारने के बाद भारत इस मैच में उतरा. इंग्लैंड से हार के बाद अगले मैच में इंडिया इतिहास बदलने और नया इतिहास लिखने उतरी. ईस्ट अफ्रीका ने लीड्स के मैदान पर टॉस जीता और बैटिंग चुनी. सैय्यद आबिद अली और मदन लाल ने पहले ही ईस्ट अफ्रीका का चक्का जाम कर दिया. लेकिन मैच की असली कहानी इंडियन टीम के स्पिनर्स ने लिखी. 

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स्लो लेफ्ट आर्म स्पिनर लेजेंड्री बिशन सिंह बेदी और राइट आर्म ऑफब्रेक करने वाले श्रीनिवास वेंकटराघवन ने ऐसा जाल बुना कि क्रिकेट फ़ैन्स को जिम लेकर और टोनी लॉक जैसे स्पिनर्स की याद आ गई.

बेदी ने अपने 12 ओवर के स्पेल में आठ मेडन डाले और सिर्फ छह रन दिए. बेदी ने एक विकेट भी निकाला. वेंकटराघवन भी पूरी लय में थे. 12 ओवर बोलिंग कर वेंकी ने कुल 29 रन दिए. यानि दोनों स्पिनर्स ने 24 ओवर डाले और उनकी बोलिंग पर ईस्ट अफ्रीका के बल्लेबाज़ फंसे रहे और सिर्फ 35 रन ही बना सके. मदन लाल ने भारत के लिए मैच में सबसे ज़्यादा तीन विकेट निकाले. आबिद अली के खाते में दो विकेट गए. 

जिसकी मदद से 55.3 ओवर में ही ईस्ट अफ्रीका की टीम महज़ 120 रन बनाकर ऑल-आउट हो गई. बाकि का बचा हुआ काम इंडिया के ओपनर्स सुनिल गावस्कर और फारुख इंजीनियर ने कर दिया. बिना एक भी विकेट गंवाए टीम इंडिया ने 30 ओवर में 123 रन बनाकर मुकाबला अपने नाम किया. गावस्कर ने 86 बॉल पर 65 रन बनाए. वहीं इंजीनियर ने भी पूरा साथ दिया और 54 रन की पारी खेली. इस मैच में एक खास चीज़ और हुई. बेहतर स्ट्राइक रेट और ज़्यादा रन बनाने के बावजूद भी इंग्लैंड के पैनल ने सुनील गावस्कर को प्लेऑफ द मैच नहीं चुना. उनकी जगह फारुख इंजीनियर को प्लेऑफ द मैच चुना गया था. 

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इस तरह से टीम इंडिया ने विश्वकप में अपनी पहली वनडे जीत दर्ज की. हालांकि इसके बाद अपना अगला मैच न्यूजीलैंड से हारकर इंडिया 1975 वर्ल्ड कप से बाहर हो गया. क्योंकि इस मैच को खेलने से पहले भारत के पास सिर्फ तीन वनडे मैच का अनुभव था. इंडिया ने अपना पहला वनडे मैच 13 जुलाई, 1974 को इंग्लैंड से ही खेला था. दो मैच की इस सीरीज में मेन इन ब्लु ने दोनों मैच हारे थे. 

हालांकि इसके ठीक आठ साल बाद 1983 में इंडिया ने पहली वर्ल्ड कप ट्रॉफी जीत सभी आलोचकों को करारा जवाब दिया था.

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