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बांग्लादेश में हिंसा के बीच फंस गए थे भारतीय तीरंदाज, खुद बताई आपबीती

जैसे ही टीम हवाई अड्डे से बाहर निकली, उनकी परेशानी बढ़ गई. दिग्गज कम्पाउंड पुरुष आर्चर वर्मा ने आरोप लगाया कि तमाम हिंसा के बीच उन लोगों को ऐसी बस में बैठाया गया जिसमें खिड़की तक नहीं थी.

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भारतीय तीरंदाजों को मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ा. (Photo-PTI)

ढाका में एशियन चैंपियनशिप (Asian Championship) खेलने गए भारतीय तीरंदाज वहां भड़की हिंसा के कारण 10 घंटे एयरपोर्ट पर फंसे रहे. साथ ही उन्हें इस हिंसा के बीच उन्हें ऐसी जगह रुकना पड़ा जो इस लायक नहीं थी. भारत का 23 सदस्यीय दल दिल्ली रवाना होने के लिए ढाका पहुंचा था. खबरों के मुताबिक उनमें से 11 सदस्य उड़ान में बार-बार हो रही देरी के कारण काफी परेशान रहे.

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एयरपोर्ट में फंसे खिलाड़ियों में दिग्गज अभिषेक वर्मा (Abhishek Verma), ज्योति सुरेखा और ओलंपियन धीरज बोम्मादेवरा भी शामिल थे. सभी खिलाड़ी 15 नवंबर को दिल्ली की फ्लाइट के लिए रात 9.30 बजे ढाका एयरपोर्ट पहुंच गए थे. लेकिन उन्हें बताया गया कि फ्लाइट में तकनीकी खराबी आ गई है और वह उड़ान नहीं भर पाएगा.

एयरपोर्ट पर फंसे भारतीय खिलाड़ी

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस समय तक शहर की सड़कों पर हिंसा शुरू हो गई थी. लोग शेख हसीना को सजा सुनाए जाने का इंतजार कर रहे थे. एयरपोर्ट पर मौजूद भारतीय दल को फ्लाइट को लेकर साफ जानकारी नहीं दी जा रही थी. कुछ देर बात घोषणा की हुई कि नई दिल्ली की फ्लाइट रद्द हो गई है. यह भी बताया गया कि उस रात कोई ऑप्शनल फ्लाइट का इंतजाम नहीं किया जाएगा.

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जैसे ही टीम हवाई अड्डे से बाहर निकली, उनकी परेशानी बढ़ गई. दिग्गज कम्पाउंड पुरुष आर्चर वर्मा ने आरोप लगाया कि तमाम हिंसा के बीच उन लोगों को ऐसी बस में बैठाया गया जिसमें खिड़की तक नहीं थी. उन्होंने एक न्यूज एजेंसी को बताया,

गेस्ट हाउस के नाम पर हमें जिस धर्मशाला में ठहराया गया उसकी हालत बेहद खराब थी. एक कमरे में छह बिस्तर लगाए गए थे. जो शौचालय था उसकी हालत बहुत खराब थी. मुझे नहीं लगता कि उसमें कोई नहा सकता था. निजी तौर पर, हम कुछ भी मैनेज नहीं कर पाए क्योंकि वहां कोई भी अंतरराष्ट्रीय कार्ड स्वीकार नहीं किया जाता था. हम उबर नहीं ले पाए क्योंकि ट्रांजैक्शन नहीं हो पा रहा था. हमें फ्लाइट का कंफर्मेशन भी नहीं मिला. 

अभिषेक वर्मा ने एयरलाइंस पर जाहिर की नाराजगी

ढाका में उस समय इंटरनेट न होने के कारण कोई भी ट्रांजैक्शन करने का ऑप्शन नहीं था. ऐसे में खिलाड़ी खुद के लिए कोई और इंतजाम भी नहीं कर पाए. वर्मा ने कहा,

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अगर हमें पता होता कि हमें सुबह 11 बजे तक टिकट मिल जाएगा, तो भी हम हवाई अड्डे पर ही रुक जाते. क्योंकि उन्होंने (एयरलाइन ने) कुछ भी पुष्टि नहीं की थी. आपका विमान ख़राब हो गया और आपको पता है कि बाहर दंगे हो रहे हैं तो उन्होंने हमें लोकल बस में कैसे बिठाया? 

वर्मा ने पूछा कि अगर उनके और बाकी खिलाड़ियों के साथ कुछ हो जाता तो उसका जिम्मेदार कौन होता.

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