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प्रेक्टिस के लिए 30 KM तक साइकिल पर बैठाकर शमी को ले जाते थे पिता

200 विकेट पूरे करते ही शमी ने सुनाया किस्सा.

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मोहम्मद शमी. फोटो: AP/Shami Insta
भारत और साउथ अफ्रीका के बीच सेंचुरियन टेस्ट में भारतीय गेंदबाज़ों ने पहली पारी में ऐसी कमाल की गेंदबाज़ी की कि मैच को भारत की तरफ मोड़ दिया है. अब ज़िम्मेदारी बल्लेबाज़ों पर है कि वो किस तरह से टीम इंडिया को सेंचुरियन में जीत की राह पर आगे ले जाते हैं. तीसरे दिन के खेल में जिस भारतीय गेंदबाज़ ने पांच विकेट चटकाए उसने अपने इस प्रदर्शन का श्रेय अपने पिता को दिया है. टीम इंडिया के तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी ने तीसरे दिन के खेल में 200 विकेट पूरे करते ही अपने पिता का शुक्रिया अदा किया. साथ ही अपने पुराने दिनों को भी याद किया. शमी ने इस शानदार प्रदर्शन के बाद कहा कि अपने करियर में आज वो जो भी कुछ हैं वो अपने पिता की कुर्बानियों की वजह से हैं. मोहम्मद शमी ने तीसरे दिन के खेल के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा,
''मैं आज जो कुछ भी हूं वो अपने पिता की वजह से हूं. मैं एक ऐसे गांव से आता हूं जहां सुविधाएं नहीं थीं, यहां तक की आज भी वहां बहुत सी सुविधाएं नहीं हैं. लेकिन तब भी मेरे अब्बा मुझे साईकिल पर 30 किलोमीटर दूर कोचिंग कैम्प लेकर जाया करते थे. उनका वो स्ट्रग्ल मुझे आज भी याद है. उन दिनों के मुश्किल हालात में भी उन्होंने मेरे लिए ये सब किया, जिसके लिए मैं हमेशा शुक्रगुज़ार रहूंगा.''
मोहम्मद शमी भारतीय टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में कपिल देव और जवागल श्रीनाथ के बाद तीसरे सबसे तेज़ी से 200 विकेट पूरे करने वाले पेसर बन गए हैं. शमी ने अपने 200 विकेट वाले माइलस्टोन पर भी बात की है. उन्होंने कहा,
''जब भी आप कुछ हासिल करना चाहते हो और किसी ऊंचाई तक पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे होते हो. तो किसी को ये नहीं पता होता कि वो क्या हासिल कर सकता है.''
शमी ने कहा,
''आपका ये सपना होता है कि आप उन भारतीय खिलाड़ियों के साथ खेलें जिन्हें आपने TV पर देखा है. ऐसे में आप सिर्फ कड़ी मेहनत कर सकते हैं, और अगर आप कड़ी मेहनत करते हैं तो आपको नतीजे ज़रूर मिलेंगे.''
2018 के बाद से मोहम्मद शमी के क्रिकेटिंग करियर में एक बड़ा बदलाव आया. वो भारतीय क्रिकेट के लिए बेहतर होते गए और तीनों फॉर्मेट के स्पेशलिस्ट गेंदबाज़ बन गए. शमी के पास नई और पुरानी गेंदों को इस्तेमाल करने की एक बेहतरीन कला है. टेस्ट क्रिकेट में गेंदबाज़ी पर मोहम्मद शमी ने कहा,
''टेस्ट मैच कोई रॉकेट साइंस नहीं है. अगर आप टेस्ट लेवल के गेंदबाज़ हैं तो आपको अपनी लेंथ पता होती है, साथ ही कंडीशंस का अंदाज़ा भी रहता है, जिसके हिसाब से आप उसे अपना लेते हैं.''
मोहम्मद शमी ने साल 2013 में सबसे पहले वनडे टीम के लिए पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू किया था. इसके बाद साल के आखिर में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ शमी का टेस्ट डेब्यू भी हुआ. 2014 की शुरुआत में वो भारत के लिए तीनों फॉर्मेट खेलने वाले खिलाड़ी बन गए. पिछले तीन सालों में इस बेमिसाल प्रदर्शन के चलते शमी भारतीय क्रिकेट में तीनों फॉर्मेट के कंसिस्टेंट मेंबर बन गए हैं.

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