ट्रॉफ़ीज की क्या अहमियत है? उनसे पूछिए जो एक भी नहीं जीत पाए. लेकिन क्या ट्रॉफ़ी जीतना ही सबकुछ है? ये एक बड़ा सवाल है. स्पोर्ट्स की दुनिया में इस पर लंबे वक्त से बहस है. जिनका प्रिय खिलाड़ी कुछ नहीं जीत पाता, वो तमाम स्टैट्स के साथ ट्रॉफ़ीज को फिलर बता देते हैं. लेकिन कई प्लेयर्स ऐसे भी हैं, जिनके आलोचक भी उनकी बात करते वक्त ट्रॉफ़ीज़ को दरकिनार कर देते हैं. क्यों कर देते हैं, क्योंकि उनके कारनामे ही ऐसे हैं.
गौतम गंभीर के बयान से ऐसा लग रहा है, विराट, द्रविड़, एबीडी कोई नहीं है महान!
इसका मतलब द्रविड़, कुंबले, गांगुली दिग्गज नहीं हैं.

'एबी डी विलियर्स अगर 8-10 साल चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेलेंगे, वह इतना छोटा मैदान है. किसी को भी अगर वहां खिलाएंगे, तो उनका स्ट्राइक रेट और एबिलिटी उतनी ही होगी. सुरेश रैना के पास चार IPL टाइटल हैं, लेकिन एबीडी के पास सिर्फ निजी रिकॉर्ड्स हैं.'
दो बार के IPL चैम्पियन कैप्टन और दो बार ICC विश्वकप ट्रॉफी जीतने वाले गौतम गंभीर के इस बयान पर सोशल मीडिया पर ढेर सारी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. RCB के फ़ैन्स तो गौतम गंभीर को चिन्नास्वामी में उनके आंकड़े दिखाकर बता रहे हैं, कि अगर चिन्नास्वामी में बैटिंग इतनी आसान है तो उन्होंने क्यों वहां रन्स नहीं बनाए.
ख़ैर, गौती भइया पर चल रही इस बहस में नहीं पड़ेंगे. और इसमें पड़े बिना देखेंगे कि उनके इस बयान पर चले, तो कौन-कौन दिग्गज नहीं रह जाएगा. चलिए देखते हैं,
द्रविड़, गांगुली, कुंबले नहीं हैं दिग्गज!
राहुल द्रविड़:टेस्ट के आंकड़े छोड़ दें, तो भी दी वॉल ने भारत के लिए 344 वनडे में 10889 रन्स बनाए हैं. जिनमें 12 शतक और 83 अर्धशतक हैं. राहुल द्रविड़ 1999, 2003 और 2007 विश्वकप में टीम इंडिया का हिस्सा रहे. जिनमें से 1999 में वो टूर्नामेंट के हाइएस्ट रन स्कोरर भी रहे. 2003 विश्वकप में उन्होंने मुश्किल वक्त में विकेटकीपिंग की और कई ज़रूरी मौकों पर रन्स बनाए. 2007 विश्वकप में टीम हारकर बाहर हो गई. द्रविड़ इस टूर्नामेंट में टीम के कप्तान थे. राहुल द्रविड़ वनडे क्रिकेट में संन्यास के 12 साल बाद भी टॉप-10 वनडे रन बनाने वालों में शामिल हैं. लेकिन वो लेजेंड नहीं हो सकते, क्योंकि उन्होंने वर्ल्ड कप नहीं जीता.
सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट के सफलतम कप्तानों में गिने जाते हैं. लेकिन बड़ी वाली ट्रॉफ़ी तो गांगुली को भी नहीं मिली. साल 1983 के बाद पहली बार 2003 विश्वकप में जो टीम फाइनल तक पहुंची, उसे सौरव गांगुली ही लेकर गए. 1999, 2003 और 2007 विश्वकप में वो टीम का हिस्सा रहे. सौरव गांगुली ने वनडे क्रिकेट में 311 मुकाबलों में 11363 रन बनाए हैं. जिसमें उन्होंने 22 शतक और 72 अर्धशतक लगाए हैं. सौरव गांगुली वनडे क्रिकेट के टॉप-10 बल्लेबाज़ों में नंबर नौ पर हैं. लेकिन वो लेजेंड नहीं हो सकते.
अनिल कुंबले:गौती भइया के स्टेटमेंट के हिसाब से तो कुंबले भी दिग्गज नहीं हो सकते. क्योंकि भले ही वो 1990 से 2007 तक खेले हों. लेकिन ट्रॉफ़ी तो उन्होंने भी नहीं जीती. टेस्ट के अलावा कुंबले ने भारत के लिए 271 वनडे में 337 विकेट्स चटकाए हैं. कुंबले ने भारत के लिए चार विश्वकप भी खेले हैं. वो 1996 से 2007 तक हर विश्वकप में भारतीय टीम का हिस्सा रहे.
और हां, ये ऊपर-ऊपर से छांटकर लाए गए क्रिकेटर्स हैं. अगर टीम इंडिया के झोले में नीचे तक हाथ घुमाया जाए, तो ना जाने कितने ही ऐसे स्टार्स मिलेंगे. जिनके नाम के साथ विश्वकप ट्रॉफी नहीं है. लेकिन उन्हें हम सब लेजेंड मानते हैं.
टीम इंडिया की बात छोड़ दें, तो बाकी दुनिया में भी ऐसे कई नाम हैं. जिन्हें दुनिया दिग्गज मानती है लेकिन शायद गौतम गंभीर की नज़र में वो भी दिग्गज नहीं हो सकते, क्योंकि ट्रॉफ़ी तो उन्होंने भी नहीं जीती.
इयान बॉथम:शुरुआत बॉथम से ही करते हैं. क्रिकेट को जानने समझने वाले इयान बॉथम को 1980 के दशक का टॉप-क्लास स्पोर्ट्सस्टार मानते हैं. क्योंकि 1977 में डेब्यू के बाद अगले तीन साल में वो टॉप-3 ऑल-राउंडर्स में आ गए. और चार सालों में इंग्लैंड के कप्तान बन गए. बॉथम ने भी डेब्यू के बाद चार-चार विश्वकप खेले. लेकिन उनसे बस यही गलती हो गई वो कभी भी बड़ी ट्रॉफी नहीं जीत सके.
बॉथम ने इंग्लैंड के लिए 116 वनडे में 2113 रन बनाने के साथ और 145 विकेट भी चटकाए हैं.
ग्राहम गूच:ऐसे ही एक खिलाड़ी और हैं. ग्राहम गूच. 1976 से 1995 तक इंग्लैंड के स्टार बल्लेबाज़ रहे. 125 मुकाबलों में 4290 रन बनाए. आठ शतक और 23 अर्धशतक भी बनाए. लेकिन गूच भी लाख कोशिश के बावजूद एक ICC ट्रॉफी नहीं जीत पाए. 1979 में फाइनल में खेले, 1987 में फाइनल खेले और 1992 में तो कप्तानी भी की. लेकिन ICC ट्रॉफी हाथ नहीं आ सकी. अब गूच दिग्गज कैसे कहलाएंगे?
जैक कैलिस:साउथ अफ्रीकी ऑल-राउंडर. 1996 से 2014 तक साउथ अफ्रीका के लिए खेले. इस दौरान उन्होंने 328 मैच में 11579 रन बनाने के साथ 273 विकेट्स भी चटकाए. इस दौरान कैलिस ने पांच विश्वकप खेले. लेकिन कभी भी साउथ अफ्रीका के लिए ट्रॉफी नहीं ला सके. ऐसा नहीं है कि कैलिस के ये आंकड़े सिर्फ वनडे में रहे. उन्हें टेस्ट क्रिकेट में भी सचिन और लारा जैसे महानतम बल्लेबाज़ों में रखा जाता है. लेकिन कैलिस दिग्गज हैं या नहीं, नो आइडिया!
ब्रायन लारा:वेस्ट इंडीज़ क्रिकेट के ग्रेट्स का जब भी नाम आता है, लोग उसमें ब्रायन लारा का भी ज़िक्र करते हैं. लेकिन ICC ट्रॉफी तो लारा के हाथ भी नहीं लगी. लारा 1990 से 2007 तक वेस्टइंडीज़ टीम का अहम हिस्सा रहे और कप्तान भी रहे. उन्होंने टीम के लिए 299 वनडे में 10405 रन बनाए हैं. जिसमें 19 शतक और 63 अर्धशतक आए हैं. लारा जब 10,000 वनडे रन्स तक पहुंचे, उस वक्त वर्ल्ड क्रिकेट में उंगली पर गिने जाने भर क्रिकेटर्स ही ये कारनामा कर पाए थे. सचिन तेंडुलकर, इंज़माम उल हक, सनत जयसूर्या और सौरव गांगुली ही उनसे पहले 10,000 वनडे रन्स बना पाए थे.
कुमार संगकारा:कुमार संगकारा का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है.लेकिन साल 2000 से 2015 के बीच चार विश्वकप खेले संगकारा के घर के शो केस में भी कोई ICC ट्रॉफी नहीं है. 404 वनडे, 14234 रन, 25 शतक और 93 अर्धशतक. वनडे क्रिकेट से संन्यास के बाद आज तक वनडे में संगकारा से ज्यादा रन सिर्फ सचिन तेंडुलकर के नाम है. लेकिन लाख कोशिश के बावजूद वो श्रीलंका को ट्रॉफ़ी नहीं जिता सके.
वर्ल्ड क्रिकेट के इन खिलाड़ियों के बारे में हमने जान लिया. गौतम गंभीर साहब के बयान पर और प्रकाश डाला जाए तो ऐसे तो IPL में भी कितने ही नाम हैं जो ट्रॉफी नहीं जीत सके.
विराट कोहली:बात RCB से शुरू हुई है तो विराट कोहली का ज़िक्र सबसे पहले कर लेते हैं. विराट 2008 से IPL खेल रहे हैं. लेकिन उनकी टीम RCB कभी भी IPL चैम्पियन नहीं बन पाई. भले ही विराट ने 216 मुकाबलों में 6411 रन्स बनाए हों, भले ही उनके नाम पांच शतक और 42 अर्धशतक हों. लेकिन IPL हिस्ट्री के सबसे बड़े रन स्कोरर की टीम IPL ट्रॉफी तो नहीं ही जीत पाई. ऐसे में क्या विराट भी दिग्गज नहीं हैं?
क्रिस गेल:ऐसा ही एक नाम और है, क्रिस गेल का. गेल IPL में भी कभी चैम्पियन नहीं बने. हालांकि उनके आंकड़े बहुत अच्छे दिखते हैं. गेल 2009 से 2021 तक IPL खेले. इन सालों में उन्होंने 142 मुकाबलों में 4965 रन्स बनाए. जिनमें छह शतक, 31 अर्धशतक हैं. IPL हिस्ट्री में महज़ 66 गेंदों में 175 रन बनाने का रिकॉर्ड आज भी क्रिस गेल के नाम है. अब वो दिग्गज हैं या नहीं, कहा नहीं जा सकता!
विरेंदर सहवाग:दिल्ली, इंडिया से लेकर IPL तक गौतम गंभीर के साथी रहे वीरू पाजी इंडिया और IPL दोनों में टीम्स के कप्तान रहे. लेकिन IPL ट्रॉफी तो उनके नाम भी नहीं आई. वो 2008 से 2015 तक IPL खेले. इस दौरान सहवाग ने 104 मुकाबलों में 2728 रन बनाए. जिनमें दो शतक और 16 अर्धशतक शामिल हैं. लेकिन ना तो दिल्ली के लिए और ना ही उस वक्त की किंग्स इलेवन पंजाब के लिए कभी कोई ट्रॉफी जीत पाए.
अगर खुदाई की जाएगी तो IPL और इंटरनेशनल क्रिकेटर्स में ऐसे कितने ही क्रिकेटर्स निकल आएंगे. जिन्होंने अपनी-अपनी टीम्स के लिए रन और विकेट्स का अंबार लगाया. लेकिन ट्रॉफी नहीं आई. ऐसे में आप ही बताइए कि इन सभी क्रिकेटर्स को लेजेंड माना जाएगा, या फिर ट्रॉफ़ीज़ के अभाव में इनका दिग्गज होने का सर्टिफिकेट कैंसल कर दिया जाए?
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