पंत की फ़ोटो जरा पुरानी है, लेकिन क़िस्सा भी तो पुराना ही है ना... (एपी फ़ाइल)
क्या आप विराट कोहली के बिना अगले दो टेस्ट मैच में इस भारतीय बैटिंग लाइन-अप की कल्पना कर सकते हैं? ये भाई लोग बड़ी मुश्किल में हैं.- माइकल क्लार्क
कोहली के ना रहने पर इनकी सफेद पुताई यानी सीरीज़ के सारे टेस्ट मैच हारने की प्रबल संभावना है. ऐसी हार के बाद इन्हें उठाने वाला कोई नहीं है.- रिकी पॉन्टिंग
मैं इन्हें एडिलेड में मिली हार के बाद वापसी करता नहीं देख पा रहा हूं. ऑस्ट्रेलिया चार-शून्य से जीतेगी.- मार्क वॉ
पहले ही कहा था... भारत टेस्ट सीरीज़ में बुरी तरह से हारने वाला है. ऑस्ट्रेलिया 4-0 से जीतेगा.- माइकल वॉन
मैंने सोचा था कि भारत की टेस्ट जीतने की सबसे सही संभावना एडिलेड में थी... मैं नहीं सोचता कि वो वापसी कर पाएंगे.- ब्रैड हैडिन
पांच दिग्गज-पांच बयान. दिग्गज भी ऐसे, जिन्होंने सालों तक टेस्ट क्रिकेट में कमाल किया था. ऐसे में इनके बयानों में वजन तो अपने आप आ जाता है. लेकिन आप ये वजन तब महसूस करते हैं, जब आपने जीवन में किसी चीज को गंभीरता से लिया हो.
अगर आपकी सोच ये है कि मैटर नहीं करता लास्ट बॉल पर क्या हुआ. या आपको पता ही नहीं कि अपनी खास वाली गेंद फेंकते वक्त आप क्या अलग करते हैं. या आपने अनाज के एक-एक दाने के लिए अपने ऑटो-ड्राइवर पिता को स्ट्रगल करते देखा हो. और ये कहने की बातें तो अब रहीं नहीं. क्योंकि इन बातों को, इन फ़सानों को सच में बदला जा चुका है. 19 जनवरी 2021 के दिन. और आज चलिए, उसी कमाल को फिर से याद कर लेते हैं.
साल 2020 जा रहा था. भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया में थी. एडिलेड में पहला टेस्ट होना था. पिंक बॉल के इस टेस्ट के बाद कप्तान विराट कोहली को वापस आना था. लोगों ने सोचा कि ये टेस्ट में वो टीम इंडिया को कुछ ऐसा देकर जाएंगे, कि उस पर टीम आगे की सीरीज़ बिल्ड कर लेगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. कोविड से मारी दुनिया ने टीम इंडिया को 36 रन पर सिमटते देखा.
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भारत पिंक बॉल टेस्ट बुरी तरह से हारा. विराट घर लौट आए. टीम की कप्तानी मिली अज्जू भाई यानी अजिंक्य रहाणे को. मेलबर्न इत्यादि खत्म हुए. बारी आई गाबा की. सीरीज़ 1-1 से बराबर थी. आखिरी टेस्ट जीतने वाली टीम सीरीज़ लेकर जाती. 2021 की जनवरी. गाबा का मैदान.
आपको याद है, स्कूल में जब लड़ाई होती थी. तो अक्सर, पिटने वाले कहते थे- तू बाहर मिल. ऐसे ही ऑस्ट्रेलिया वालों का एक रटा डायलॉग था- गाबा में मिलना. पूरी दुनिया से चीख-चीखकर बोलते थे- गाबा आओ तब बताएंगे. लेकिन 19 जनवरी को गाबा में कुछ ऐसा हुआ, कि ऑस्ट्रेलियंस अब ये बात किसी से बोल नहीं पाते.
लेकिन ये संभव कैसे हुआ? वो कहते हैं ना, बड़ा काम करने के लिए बड़ा पागलपन चाहिए.और उस पागलपन के साथ उस रोज एक बंदा अड़ गया था. 10 ओवर्स में भारत को जीत के लिए 53 रन बनाने थे. ऋषभ पंत के साथ क्रीज़ पर वॉशिंगटन सुंदर.
पैट कमिंस ने सुंदर के सामने मेडेन ओवर डाल दिया. अगला ओवर लॉयन लेकर आए. रन दिए बस तीन. यानी अब आठ ओवर्स में 48 रन का लक्ष्य. सुंदर ने अगले ओवर में कमिंस को छक्का और फिर चौका मार दिया. अब 42 गेंदों पर 39 रन की जरूरत.
लॉयन आए. पंत से लगातार दो चौके खाए. पहला वाला तो कमाल था. तेजी से फेंकी हुई लेंथ बॉल. पंत अपने पिछले घुटने पर गिरते-पड़ते गेंद को स्कूप कर गए. कीपर के पीछे से मिले चार रन. अगली गेंद ऑफ़ स्टंप के बाहर आमंत्रित करती हुई. पंत ने तगड़ा स्वीप मारा, चार रन और.
चार बाई के रन मिलाकर इस ओवर में 15 रन आ गए. मैच सेट था. लेकिन एक विकेट और कुछ भी हो सकता था. अगले ओवर में नौ रन आए. अब मैच पूरी तरह से भारत के कब्जे में था. तभी तो जब लॉयन ने सुंदर को बोल्ड मारा, तो ऑस्ट्रेलियंस ने सेलिब्रेट करने की जहमत भी नहीं उठाई.
अगले ओवर में शार्दुल ठाकुर आउट हो गए. लेकिन अब जीत के लिए बस तीन रन चाहिए थे. पंत ने हेज़लवुड की गेंद को लॉन्ग ऑफ़ बाउंड्री के बाहर लुढ़काया और भागते हुए जश्न शुरू कर दिया. भारत सीरीज़ जीत चुका था. गाबा का घमंड टूट चुका था. टीम इंडिया जश्न में डूब गई थी.
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