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एक कविता रोज: पुष्प की अभिलाषा

पढ़िए माखनलाल चतुर्वेदी की ये देशप्रेमी कविता. आज बरसी है.

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फोटो - thelallantop
कहते हैं कि कोई देश जब अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा होता है, उस समय वहां सबसे ज्यादा साहित्य रचा जा रहा होता है. ऐसे ही मुश्किल समय में लिखने वाले एक कवि हैं, माखनलाल चतुर्वेदी. देशभक्त और ओजपूर्ण. इनकी कलम ही इसका हथियार थी. अंग्रेजों के खिलाफ खूब लिखते थे.1921 के असहयोग आंदोलन में देश के लिए जेल भी गए. आज इनकी बरसी है. इस मौके पर हम लाए हैं इनकी सबसे पॉपुलर कविता, सीधे आपके बचपन से.
 

पुष्प की अभिलाषा

- चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ, चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ, चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ, मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक! मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने, जिस पथ पर जावें वीर अनेक! ***