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'आज की रात मैं लिख सकता हूं अपने सबसे उदास गीत'

'एक कविता रोज' में आज पढ़िए पाब्लो नेरूदा को.

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नेरूदा वो कवि हैं जिन्हें महान उपन्यासकार मार्केज़ ने खुद '20वीं सदी का सबसे महान कवि' बताया था. चिली देश से आने वाले पाब्लो नेरूदा 10 साल की उम्र में कवि कहलाने लगे थे. और 20 साल की उम्र तक स्टार बन चुके थे. पूरी जिंदगी ये चिली की कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े रहे. एक समय ऐसा आया कि कम्युनिस्टों का जीना मुश्किल हो गया. नेरूदा कई दिन छिपे रहे. जब वापस आए तो तो 70 हजार लोगों की सभा में कविताएं पढ़ीं. कुछ सालों बाद जब चिली में तानाशाह पिनोशे आया, उसी समय नेरूदा को बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया. हालांकि रिपोर्ट्स के मुताबिक़ नेरूदा कैंसर से मरे. पर कई लोग मानते हैं कि पिनोशे सरकार ने इनका मर्डर करवाया. पढ़िए दुनिया के सबसे बड़े जनकवियों में से एक पाब्लो नेरूदा की कविता 'आज की रात मैं लिख सकता हूँ अपने सबसे उदास गीत'.
 
आज की रात मैं लिख सकता हूँ अपने सबसे उदास गीत. लिख सकता हूँ, मसलन, रात है तारों-भरी और दूर, फासले पर, काँपते हैं नीले सितारे. रात की हवा आकाश में नाचती और गाती है. आज की रात में लिख सकता हूँ अपने सबसे उदास गीत. मैं उसे प्यार करता था, और कभी-कभी वह भी करती थी मुझसे प्यार. ऐसी रातों को मैं बाँध लेता था अपनी बाँहों में उसे, अन्तहीन आकाश के नीचे उसे चूमता था बार-बार. वह मुझे प्यार करती थी, कभी-कभी मैं भी उसे करता था प्यार. कैसे कोई उसकी विशाल अविचल आँखों से प्यार न करता. आज की रात में लिख सकता हूँ अपने सबसे उदास गीत. यह सोचना कि वह मेरे पास नहीं है, यह महसूस करना कि मैं उसे खो चुका हूँ बेकिनार रात को सुनना, उसके बिना और भी बेकिनार. और आत्मा पर झरते हैं छन्द, जैसे ओस चारागाह पर. क्या फ़र्क पड़ता है कि उसे बाँध न सका मेरा प्यार. रात तारों-भरी है और वह मेरे पास नहीं है. बस इतनी ही है बात. दूर कोई गा रहा है. फ़ासले पर. मेरी आत्मा अतृप्त है उसे खो कर मेरी नज़रें खोजती हैं उसे मानो उसे पास खींच लाने के लिए. मेरा हृदय उसे ढूँढता है और वह मेरे पास नहीं है. वही रात, उन्हीं वृक्षों को रुपहला बनाती हुई. हम, उसी समय के, अब वैसे नहीं रह गये हैं. मैं अब उसे प्यार नहीं करता, यह तय है, लेकिन मैं उसे कितना प्यार करता था. मेरी आवाज़ हवा को हेरती थी ताकि पहुँच सके उसके कानों तक. किसी और की, अब वह होगी किसी और की. जैसे वह थी मेरे चुम्बनों से पहले. उसकी आवाज़, उसकी शफ़्फ़ाफ़ देह. उसकी निस्सीम आँखें. मैं अब उसे प्यार नहीं करता, यह तय है, लेकिन मैं उसे कितना प्यार करता था. प्यार कितना क्षणिक है और भूलना कितना दीर्घ. चूँकि ऐसी रातों में बाँध लेता था मैं अपनी बाँहों में उसे, मेरी आत्मा अतृप्त है उसे खो कर भले ही यह आखिरी पीड़ा हो जो मैं उससे पाऊँ और यह आख़िरी गीत मैं रचूँ उसके लिए! (कविता का हिंदी अनुवाद कविता कोश से साभार) 
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