आज शिव कुमार बटालवी (23 जुलाई 1936 - 06 मई 1973) का जन्मदिन है. इन्हें आज भी पंजाब में सुपरस्टार का दर्जा मिला हुआ है. पहला और शायद एकमात्र सुपर स्टार शायर. जैसे बॉलीवुड के राजेश खन्ना.उस शायर के लिखे हुए गीत - अज्ज दिन चढ्या, इक कुड़ी जिद्दा नां मुहब्बत, मधानियां, लट्ठे दी चादर, अंख काशनी आदि आज भी न केवल लोगों की जुबां पर हैं बल्कि बॉलीवुड भी इन्हें समय समय पर अपनी फिल्मों को हिट करने के लिए यूज़ करता आ रहा है. नुसरत फतेह अली, महेंद्र कपूर, जगजीत सिंह, नेहा भसीन, गुरुदास मान, आबिदा, हंस राज हंस.... ...पंजाब और पाकिस्तान से जुड़ा ऐसा कोई गायक कोई कलाकार नहीं जिसने शिव के गीतों को अपनी आवाज़ न दी हो. शिव कुमार बटालवी के BBC को दिए इस इन्टरव्यू को देखते हुए आपको इस बिरह के सुल्तान से प्रेम न हो जाए तो कहिएगा. एक जगह वो बड़े ही मासूम ढ़ंग से पूछ रहे हैं,”तो मैं क़ताब(किताब) उठा लूं?”:
मुझको तेरा शबाब ले बैठा, रंग गोरा, गुलाब ले बैठा. कितनी पी ली, कितनी बाकी है, मुझको यही हिसाब ले बैठा. अच्छा होता सवाल न करता, मुझको तेरा जवाब ले बैठा. फुर्सत जब भी मिली है कामों से, तेरे मुख की किताब ले बैठा. मुझे जब भी तुम हो याद आए, दिन दहाड़े शराब ले बैठा.ये रही जगजीत की मखमली आवाज़ में यही ग़ज़ल:
विडियो- एक कविता रोज: जब वहां नहीं रहता