विश्व चैंपियन डोम्माराजू गुकेश (D Gukesh) ने नॉर्वे चेस (Norway Chess) 2025 के छठे दौर में विश्व चैंपियन रहे मैग्नस कार्लसन (Magnus Carlsen) को अपने करियर में पहली बार क्लासिकल टाइम कंट्रोल में हराकर जीत हासिल की. सफेद मोहरों से खेल रहे गुकेश ने दबाव में भी अपनी पकड़ बनाए रखी. नॉर्वे के ग्रैंडमास्टर की एक गलती का फायदा उठाते हुए गुकेश ने इस मौके को एक यादगार जीत में बदल दिया.
गुकेश की 'शह और मात' से तिलमिलाए कार्लसन, गुस्से में दे मारी टेबल पर चोट
Gukesh vs Carlsen: घरेलू दर्शकों के सामने खेल रहे Carlsen, अधिकांश समय में बेहतर स्थिति में रहे. गेम के दौरान कई बार उन्होंने Gukesh पर दबाव भी बनाया. लेकिन गुकेश ने अनुशासन और धैर्य दिखाते हुए एक चाल ऐसी चली जिससे पूरा गेम पलट गया.

स्टावेंजर में घरेलू दर्शकों के सामने खेल रहे कार्लसन अधिकांश समय में बेहतर स्थिति में रहे. गेम के दौरान कई बार उन्होंने गुकेश पर दबाव भी बनाया. लेकिन गुकेश ने अनुशासन और धैर्य दिखाते हुए एक चाल ऐसी चली जिससे उन्होंने पूरा गेम पलट दिया. कार्लसन पूरे टूर्नामेंट में इंक्रीमेंट टाइम कंट्रोल की वजह से संघर्ष करते दिखे. जबकि इस गेम को तेजी से खेलने के लिए डिजाइन किया गया था.
इस बीच, गुकेश पूरे गेम के दौरान उत्साहित दिखे. खेल के मैदान की लॉबी में, उन्होंने अपने लंबे समय के कोच ग्रेज़गोरज़ गजेवस्की (Grzegorz Gajewski) का मुट्ठी बांधकर अभिवादन किया. यह गुकेश के लिए एक तरह से कमबैक वाली जीत थी. इससे पहले वो नॉर्वे चेस के पहले दौर में काली मोहरों से खेलते हुए हार गए थे. यह छह खिलाड़ियों की एक राउंड-रॉबिन प्रतियोगिता है जिसमें खेलने के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया था.
नॉर्वे चेस बीते कई सालों में दूसरी बार किसी भारतीय टीनएजर ने क्लासिकल फॉर्मेट में कार्लसन को हराया है. साल 2024 में आर प्रज्ञानंदा ने ऐसा किया था. इस साल डी गुकेश उनके साथ शामिल हो गए. कार्लसन खेल के अधिकांश समय खुद को कंट्रोल करने में ही लगे रहे. लेकिन पलक झपकते ही सब कुछ बदल गया.
हार के बाद एक तरफ जहां कार्लसन आपा खोते दिखे वहीं जीत के बाद भी गुकेश ने बिल्कुल शांत भाव बनाए रखा, उन्होंने कहा
खैर, मैं ज़्यादा कुछ नहीं कर सकता था. यह स्पष्ट मैच था इसलिए मैं ऐसे कदम उठाने की कोशिश कर रहा था जो उनके (कार्लसन) लिए मुश्किल थे. किस्मत से वह समय के साथ होड़ में शामिल हो गया. हां, इस टूर्नामेंट से मैंने जो एक बात सीखी है वह यह है कि समय की दौड़ अक्सर बाहर हो सकती है.
दिग्गज चेस खिलाड़ी रहे सुज़ैन पोल्गर ने गुकेश से कार्लसन की हार पर एक पोस्ट करते हुए लिखा
कार्लसन क्लासिकल शतरंज में शायद ही कभी हारते हैं. शायद ही वे कभी बड़ी गलतियां करते हैं. नॉर्वे में गुकेश के खिलाफ वो राउंड 6 में बहुत अच्छा खेल रहे थे. ज़्यादा समय होने के कारण वे जीतने की स्थिति में थे. लेकिन गुकेश ने हार नहीं मानी. उन्होंने खेल जारी रखा और कार्लसन का लाभ धीरे-धीरे खत्म हो गया. फिर जब दोनों पर समय का दबाव था तो उन्होंने एक बड़ी गलती की जिसकी वजह से उन्हें खेल से हाथ धोना पड़ा. यह गेम उनके शानदार करियर की सबसे दर्दनाक हार में से एक है. मुझे यकीन है कि वे खुद से बहुत नाराज़ हैं.
कार्लसन हार से काफी हताश नजर आ रहे थे. पहले तो वो विश्व नंबर 1 खिलाड़ी अक्सर गुकेश के क्लासिकल गेम और टाइम कंट्रोल के दौरान संयम बनाए रखने की उनकी क्षमता की आलोचना करते रहे. हताशा में बोर्ड पटकने के बाद, कार्लसन को जल्दबाजी में टूर्नामेंट वाली जगह से बाहर निकलते और अपनी कार में भागते हुए देखा गया. कार्लसन के लिए यह एक करारी हार थी, और ये हार प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के राउंड 1 में सफेद मोहरों से गुकेश को हराने के कुछ ही दिनों बाद आई है.
पिछली जीत के बाद, कार्लसन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा था
आप राजा के पास आते हैं, आपको चूकना नहीं चाहिए.
चेस के प्रशंसकों ने इस पोस्ट को इस तरह से समझा कि कार्लसन खुद को क्लासिकल चेस का 'राजा' कह रहे हैं. कार्लसन ने 2025 में अपना पांचवां खिताब जीतने के बाद अपने विश्व चैम्पियनशिप का बचाव नहीं किया था. उन्होंने कुछ समय के लिए क्लासिकल चेस से दूरी बना ली थी.
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