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कॉमनवेल्थ का सिर्फ ये मेडल आ गया तो सिंधु की अलमारी भर जाएगी!

सिंधु के कैबिनेट में बस ये मेडल गायब है.

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पी.वी सिंधु (फोटो - PTI)

'अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा.. अब राजा वहीं बनेगा जो हकदार होगा.'

सुपर 30 मूवी में ऋतिक रोशन की एकदम फिल्मी लाइन. फिल्मी इसलिए, क्योंकि असल जीवन में ऐसा कहां होता है? हमने असल जीवन में तो यही देखा है कि डॉक्टर का बच्चा डॉक्टर, एक्टर का बच्चा एक्टर और टीचर का बेटा ही टीचर बनता है. और लगभग ऐसा ही केस स्पोर्ट्सपर्सन के साथ भी है. रोहन गावस्कर से लेकर किसी भी एक्टर तक. हजारों ऐसे उदाहरण रहे हैं.

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और इन्हीं उदाहरणों में आप पांच बार की वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडलिस्ट पीवी सिंधु को भी जोड़ सकते हैं. बचपन में सिंधु डॉक्टर बनना चाहती थीं. लेकिन माता–पिता स्पोर्ट्सपर्सन रह चुके थे, इसलिए वो चाहते थे कि सिंधु भी किसी खेल में ही करियर बनाएं. और इस चाह की आग में घी बने पुलेला गोपीचंद. साल 2001 में पुलेला गोपीचंद ने ऑल इंग्लैंड बैंडमिंटन ओपन जीता और इस जीत ने हमें तमाम खुशियों के साथ आज की सिंधु भी दे दी.

स्पोर्ट्सपर्सन्स का खून और पुलेला गोपीचंद के हाथ में ट्रॉफी देख सिंधु ने भी रैकेट उठा लिया. शुरू में लोकल अकैडमी में ट्रेनिंग के बाद उन्होंने पुलेला गोपीचंद की अकैडमी जॉइन की. और यहां से फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. अब लगभग हर साल सिंधु अपने नाम कुछ मेडल्स/ट्रॉफी करती ही हैं.

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और हम भारतीयों को उनसे ऐसी ही कुछ उम्मीद बर्मिंघम में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में भी है. वर्ल्ड चैम्पियन रह चुकीं सिंधु यहां बैडमिंटन में गोल्ड जीतने की इंडिया की सबसे बड़ी दावेदार हैं.

# कौन हैं पी.वी सिंधु?

पी.वी सिंधु. इंडियन बैडमिंटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली इस प्लेयर के बारे में ये पूछना थोड़ा अजीब लगता है. अभी आप लोग ही मुझे इनकी उपलब्धियां गिनवा दोगे. इन्होंने अभी कुछ दिन पहले ही सिंगापुर ओपन जीता था. और उससे थोड़ा ही पहले ओलंपिक्स में ब्रॉन्ज़ मेडल भी जीता था. Tokyo 2020 में आया ये मेडल सिंधु का दूसरा ओलंपिक्स मेडल था. इसके साथ ही वो दो ओलंपिक्स मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी बनी थीं.

सिंधु के बैकग्राउंड की बात करें तो उन्होंने गोपीचंद को देखकर बैडमिंटन खेलना शुरू किया था. और जब साल 2008 में गोपीचंद ने अपनी अकैडमी खोली, तो सिंधु वहां भी पहुंच गई. यहां से सिंधु ने नेशनल लेवल के टूर्नामेंट्स में हिस्सा लेना और उनको जीतना शुरू किया. जूनियर लेवल पर सिंधु ने ऑल इंडिया रैंकिंग चैम्पियनशिप, सब जूनियर नेशनल्स में जीत हासिल की. और उसके बाद इंटरनेशनल टूर्नामेंट में खुद को उतार दिया. साल 2009 में उन्होंने सब जूनियर एशियन बैडमिंटन चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज़ मेडल जीता.

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उसके बाद ईरान में हुए इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज में सिल्वर मेडल जीता. और फिर साल 2012 में हुई एशियन जूनियर चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता. साल 2013 में सिंधु ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भी शिरकत की. यहां उन्होंने ब्रॉन्ज़ मेडल जीता. और इंटरनेशनल सर्किट में खुद के आने का ऐलान कर दिया.

# खास क्यों हैं सिंधु?

सिंधु एक फाइटर है. उनको बड़े मैच का खिलाड़ी माना जाता है. जब बड़े मैच होते हैं, तब इंडिया को सिंधु से सबसे ज्यादा उम्मीदें होती हैं. और वो हमेशा भी परफॉर्म करती हैं. इंडिया के लिए मेडल पक्के करती हैं. वह वर्ल्ड चैम्पियनशिप में पांच मेडल हासिल करने वाली पहली इंडियन हैं. साल 2013 के बाद सिंधु ने साल 2014 में भी वर्ल्ड चैंपियनशिप का ब्रॉन्ज़ मेडल जीता था. फिर साल 2017 में सिंधु थोड़ा आगे पहुंची. हालांकि इस बार उन्हें फाइनल में नोज़ोमी ओकुहारा से हार मिली.

साल 2018 में वो फिर फाइनल तक गईं. और इस बार उनको स्पेन की कैरोलिना मारीन ने हराया. सिंधु को एक बार फिर सिल्वर से खुश होना पड़ा. अब साल 2019 में सिंधु फिर फाइनल पहुंची और इस बार उन्होंने इतिहास लिख दिया. इस बार फाइनल मैच में नोज़ोमी ओकुहारा को हराकर सिंधु वर्ल्ड चैम्पियन बन गईं.

ऐसा करने वाली वो पहली इंडियन बैडमिंटन प्लेयर हैं. इस बीच सिंधु और भी कई टूर्नामेंट्स अपनी धाक जमा रही थी. पहले ओलंपिक्स की बात करें, तो साल 2016 रियो ओलंपिक्स में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था. कॉमनवेल्थ की बात करें, तो साल 2014 में उन्होंने पहली बार इन गेम्स में हिस्सा लिया था. और पहले ही प्रयास में ब्रॉन्ज़ मेडल जीत लिया.

इसके बाद साल 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी हमवतन साइना नेहवाल से हारकर उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम किया था. और अब 2022 बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में सिंधु अपने कैबिनेट से मिसिंग गोल्ड मेडल लाने की कोशिश करेंगी.

# सिंधु से उम्मीद क्यों? 

जैसा कि हमने ऊपर कहा, सिंधु वापसी करना जानती हैं. उन्होंने अभी सिंगापुर ओपन जीता है, इसलिए वो कमाल के टच में हैं. और उससे बड़ी बात ये कि सिंधु कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने की इंडिया की सबसे बड़ी उम्मीद हैं. बर्मिंघम के लिए रवाना होने से पहले सिंधु ने कहा था,

‘मुझे हमेशा से खुद पर विश्वास रहा है. ये सिर्फ समय की बात थी कि मैं कब अपना विनिंग टच वापस लाती हूं. मैं खुश हूं कि मैं ऐसा हाल में हुए सिंगापुर ओपन में कर पाई. हां, ऐसी जीत जरूरी होती है. खास तौर पर CWG जैसे बड़े इवेंट से पहले. ये मेरे लिए बहुत मायने रखता है, आत्मविश्वास बढ़ाने वाला.’

गोल्ड मेडल की बात करते हुए सिंधु ने कहा,

‘हां, उम्मीद है, कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतना चाहती हूं. मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगी.’

सिंधु के साथ हमें भी उम्मीद है कि सिंधु CWG में अपना सर्वश्रेष्ठ देंगी. और अपने कैबिनेट में मिसिंग CWG गोल्ड के साथ इंडिया की मेडल टैली को और बढ़ाएंगी.

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