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फर्जी पहचान के साथ जीते कई ओलंपिक्स मेडल, अब मोहम्मद फराह ने असली नाम बताया

ओलंपिक मेडलिस्ट मोहम्मद फ़राह ने खुद पर किया बड़ा खुलासा.

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मो. फ़राह (फोटो - सोशल)

मोहम्मद फ़राह. ब्रिटेन के लॉन्ग डिस्टेंस रनर. फ़राह ने कई ओलंपिक मेडल जीते हैं. इन मेडल्स के साथ उन्होंने कई रिकॉर्ड भी अपने नाम किए हैं. सालों तक फराह ब्रिटेन के सबसे दिग्गज एथलीट्स में से एक रहे. पूरी दुनिया उन्हें सर मोहम्मद फराह के नाम से जानती है. लेकिन अब खुद फराह ने कुछ ऐसे खुलासे किए हैं जिनसे पूरी दुनिया ही हिल गई है. फराह ने बताया है कि उनका असली नाम हुसैन अब्दी कहिन है. उनको गैर कानूनी तरीके से इंग्लैंड में लाया गया था. और यहां लाकर घरेलू नौकर के तौर पर काम करने के लिए मजबूर किया गया था.

BBC को दिए इंटरव्यू में अपने बचपन के बारे में बताते हुए फ़राह ने कहा कि जब वो नौ साल के थे, तो एक अनजान महिला उन्हें ज़िबोती से ले आई थी. और फिर उनको ब्रिटेन आकर दूसरों के बच्चों की देखभाल करने को कहा गया. उन्होंने बताया,

‘सालों तक मैं इसे छिपाता रहा. लेकिन आप इसे इतने लंबे समय के लिए ही छिपा सकते हैं.’

ये बातें फ़राह ने BBC और रेड बुल्स स्टूडियो की डॉक्यूमेंट्री में कही हैं. इसी डॉक्यूमेंट्री में उन्होंने इस दावे को भी खारिज़ किया, कि वो अपने माता-पिता के साथ सोमालिया से शरणार्थी बनकर आए थे. उन्होंने बताया कि उनके माता–पिता कभी यूके आए ही नहीं है. उनकी माता और दो भाई सोमालीलैंड में फैमिली फॉर्म में रहते हैं.

#कैसे पहुंचे ब्रिटेन?

ब्रिटेन आने वाली बात को आगे बढ़ाते हुए फ़राह ने बताया कि जब वो आठ या नौ साल के थे. तो उनको घर से ज़िबोती में एक फैमिली के साथ रहने के लिए ले जाया गया. फिर वहां से एक महिला, जिसको ना वो जानते थे और ना ही उनकी रिश्तेदार थी, उन्हें हवाई जहाज से यूके लेकर आ गई.

इस महिला ने फ़राह को बताया था कि अब वह उसके रिश्तेदारों के साथ यूरोप में रहेंगे. इस बात से फराह काफी उत्साहित हुए. क्योंकि वो प्लेन में पहले कभी नहीं बैठे थे. इसी यात्रा से पहले फराह का नाम भी बदला गया. ट्रैवल डॉक्यूमेंट में ‘मोहम्मद फ़राह’ के नाम के आगे उनकी फोटो भी लगा दी थी.

यूके पहुंचने के बाद ये महिला फराह को अपने फ्लैट पर ले गई. और उनके पेपर्स फाड़ने के बाद फराह को चेतावनी देते हुए कहा,

‘अगर तुम अपनी फैमिली को फिर कभी देखना चाहते हो तो कुछ मत कहना.’

फराह ने यहां पर अपनी हालत के बारे में कहा,

‘अक्सर मैं खुद को बाथरूम में बंद कर कर लेता था और रोता था.’

#एथलेटिक्स में घुसे फ़राह! 

यूके आने के कुछ साल बाद तक फ़राह का स्कूल में एडमिशन नहीं हुआ. जब वो 12 साल के हुए, तब कहीं जाकर उन्होंने स्कूल देखा. और स्कूल पहुंचने के बाद उन्होंने एथलेटिक्स ट्रैक पर दौड़ना शुरू किया. फ़राह बताते हैं,

‘इकलौती चीज़ जो मैं इस परिस्थिति से बचने के लिए कर सकता था, वो ये था कि मैं बाहर जाऊं और दौडूं.’

इसके बाद फरहा की फिजिकल एजुकेशन टीचर ने सोशल सर्विस से कॉटैक्ट कर उनके लिए दूसरा सोमाली परिवार ढूंढ़ा था.

#अपनी फैमिली से कैसे मिले फ़राह? 

जब सोमाली कम्यूनिटी में फ़राह का नाम हुआ. तो एक दिन लंदन के रैस्ट्रां में एक महिला उनको टेप देकर गई. इस टेप में फ़राह की मां आयशा ने उनके लिए एक मैसेज भेजा था. जिसमें उन्होंने कहा था,

‘अगर ये तुम्हारे लिए दिक्कतें पैदा करती है, तो इसको छोड़ देना. तुमको मुझसे कांटैक्ट करने की जरूरत नहीं है.’

फ़राह ने इस मैसेज के लिए कहा,

‘ये सिर्फ एक टेप नहीं है. ये एक आवाज़ है और फिर ये मेरे लिए दुख वाले गाने गा रही है, कविता की तरह या फिर परंपरागत गानों की तरह. और मैं इसको कई दिनों और हफ्तों तक सुनूंगा. मैं जा रहा हूं, बिल्कुल मैं तुमसे मिलूंगा.’ 

इस डॉक्यूमेंट्री में फ़राह द्वारा किए गए खुलासों के बाद लोग आशंका जता रहे थे कि शायद उनके खिलाफ़ कानूनी एक्शन लिया जाए. लेकिन ब्रिटिश सरकार ने क्लियर कर दिया कि फराह पर कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा.

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