कार सेल चल रही हो, नई गाड़ी खरीदनी हो, तो हर बार आपको दिखा दी जाती हैं गाड़ियों की बड़ी-बड़ी खासियत. गाड़ी में ये है, वो है. इंजन इतने सीसी (CC) का, इतने सिलेंडर, इतनी ट्रांसमिशन स्पीड्स, टॉर्क इतना और ना जाने क्या-क्या… अब ये भारी भरकम शब्द इतना सुनने मिलते हैं. इसलिए हमें लगा कि आपको इन शब्दों के पीछे का असल मतलब बता देते हैं.
300cc, 400cc का इंजन, ये सब खूब सुना, इसका असली मतलब जानते हैं?
टॉर्क (Torque) वो बल या फोर्स है, जो किसी बॉडी को घुमाने में लगता है. बताया जाता है कि ये गाड़ियों में पहिये को घुमा सकने की क्षमता को बताता है. आम तौर पर डीजल इंजन वाली गाड़ियां, पेट्रोल इंजन वाली गाड़ियों से ज्यादा टॉर्क पैदा कर सकती हैं.

इस मामले में पहली चीज़ इंजन डिस्प्लेसमेंट की चर्चा से शुरू करते हैं.
इंजन डिस्प्लेसमेंटदरअसल, कार के इंजन में कुछ सिलेंडर होते हैं. इनमें पिस्टन ऊपर नीचे होकर - फ्यूल को जलाने में मदद करते हैं. ये जब ऊपर-नीचे होते हैं, तो कुछ हवा को भीतर भरते हैं. और ये इस बात पर निर्भर करता है कि पिस्टन कितने बड़े हैं. और ऊपर से नीचे जाने में ये कितनी दूर तक जाते हैं.
हाउ स्टफ वर्क्स की मानें तो इंजन डिस्प्लेसमेंट कुछ नहीं, बस इंजन के सिलेंडर्स का वॉल्यूम है. यानी ये भीतर कितनी जगह घेर रहे, इसका मेजरमेंट. इसको क्यूबिक सेंटीमीटर या फिर लीटर में मापा जाता है.
फर्ज करिए, आपकी कार में 4 इंच (10.16 सेंटीमीटर) व्यास, जिसे बोर भी कहते हैं, का पिस्टन है. और ये ऊपर से नीचे तक, 4 इंच दूरी तय करता है, जिसे स्ट्रोक भी कहते हैं.
अब एक सिलेंडर जितनी हवा भीतर भर सकता है, उसका वॉल्यूम अगर निकाला जाए. तो इस 4*4 इंच के सिलेंडर का वाल्यूम होगा - फार्मुला लगाएं, सिलेंडर की रेडियस और हाइट का पाई के साथ गुणा. यानी 2*4 π. अब अगर वैल्यू इंच में ना लेकर, सेंटीमीटर में रखी जाए. तो निकलकर आएगा कुछ 823.3 क्यूबिक सेंटीमीटर या CC.

हालांकि कई जगह, ये वैल्यू लीटर में भी इस्तेमाल की जाती है. क्योंकि जाहिर सी बात है, अगर क्यूबिक सेंटीमीटर वाली जगह में कोई लिक्विड भरे - तो वो लीटर में मापा जा सकता है.
जैसे, 1.3 लीटर फोर-सिलेंडर इंजन. बताया जाता है कि ज्यादातर मोटर साइकिल वगैरह में यह वैल्यू cc में इस्तेमाल की जाती है. वहीं लीटर कारों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
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इसके अलावा एक और शब्द जो सुनने मिलता है, वो है टॉर्क.
टॉर्कटॉर्क (Torque) वो बल या फोर्स है, जो किसी बॉडी को घुमाने में लगता है. बताया जाता है कि ये गाड़ियों में पहिये को घुमा सकने की क्षमता को बताता है. आम तौर पर डीजल इंजन वाली गाड़ियां, पेट्रोल इंजन वाली गाड़ियों से ज्यादा टॉर्क पैदा कर सकती हैं.
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ट्रांसमिशन स्पीड्सकार में गियर की मदद से हम इसकी स्पीड और टॉर्क को कंट्रोल कर सकते हैं. चढ़ाई चढ़ानी है तो पहला डाल लिया, ज्यादा रफ्तार चाहिए तो पांचवां. यानी, अगर आपकी गाड़ी में पांच-स्पीड ट्रांसमिशन हैं, इसका मतलब इसमें पांच ऐसे गियर हैं.
वहीं, आजकल CVT या ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन भी प्रचलित हैं. इनमें ऐसे गियर के बिना गाड़ी खुद ही स्पीड मैनेज कर लेती है.
अब आप इन शब्दों के असल मायने जान गए, तो फिर गाड़ी के रंग के बारे में सोच सकते हैं. मैं तो कहता हूं, पिंक कलर की ले लीजिए!
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