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वैज्ञानिकों को मिला घोस्ट पार्टिकल, जानिए ये क्या है?

Ghost particle मुख्य रूप से तीन चीजों से मिलकर बना होता है- इलेक्टॉन, न्यूटॉन और प्रोटॉन. लेकिन समय के साथ वैज्ञानिकों ने कुछ और भी पार्टिकल खोजे. जिनमें से एक न्यूट्रिनो है. इसकी मदद से ब्रह्मांड में होने वाली घटनाओं का पता लगाया जाता है.

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वैज्ञानिकों ने खोजा नया 'घोस्ट पार्टिकल'.(तस्वीर : इंडिया टुडे)

वैज्ञानिकों ने अब तक के सबसे ताकतवर ‘घोस्ट पार्टिकल’ का पता लगाया है. इन्हें ‘न्यूट्रिनो’ कहते हैं. इसे ऐसे समझिए कि दुनिया की सारी चीजें आपके फोन से लेकर इंसान तक, सबकुछ एक छोटे कण से मिलकर बना है. ये कण मुख्य रूप से तीन चीजों से मिलकर बना होता है- इलेक्टॉन, न्यूटॉन और प्रोटॉन. लेकिन समय के साथ वैज्ञानिकों ने कुछ और भी पार्टिकल खोजे. जिनमें से एक न्यूट्रिनो है. इसकी मदद से ब्रह्मांड में होने वाली घटनाओं का पता लगाया जाता है. कैसे? इसे आगे समझते हैं.

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इन्हें घोस्ट पार्टिकल क्यों कहते हैं?

स्पेस डॉट काम की खबर के मुताबिक एक सेंकंड में अरबों की संख्या में न्यूट्रिनो पार्टिकल आपके शरीर के आर-पार जा सकते हैं, लेकिन इसके बाद भी आपको इनका पता नहीं लगेगा. इसलिए घोस्ट के तर्ज पर इन्हें "घोस्ट पार्टिकल" कहा जाता है. साइंटिफिक नजरिए से देखें तो इनमें कोई इलेक्ट्रिकल चार्ज नहीं होता. न ही कोई द्रव्यमान. अनुमान है कि पूरी दुनिया में प्रकाश के कणों के बाद सबसे ज्यादा न्यूट्रिनो ही पाए जाते हैं. तो आखिर वैज्ञानिक इनका पता कैसे लगाते हैं?  

कैसे पता चलता है इनका?

इंडिया टुडे में छपी खबर के मुताबिक न्यूट्रिनो का पता लगाना आसान नहीं होता. रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक भी इसे सीधे तौर पर नहीं देख सकते हैं. इसलिए वो न्यूट्रिनो को किसी पदार्थ से टकराते हैं और उस समय जो बदलाव होते हैं, उसके आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं. इसके लिए बड़ी ऑब्जर्वेटरी और डिटेक्टर की जरुरत होती है, और ये पूरी प्रक्रिया समुद्र की गहराईयों में होती है. इससे ये पृथ्वी की सतह पर मौजूद विकिरण से सुरक्षित रहते हैं. एक तरह से समुद्र के भीतर बेहतर रिजल्ट मिलते हैं.

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इस आर्टिकल में हम जिस न्यूट्रिनो की बात कर रहे हैं, उसे दो साल पहले फरवरी 2023 में खोजा गया था. इसका निष्कर्ष बुधवार, 12 फरवरी के दिन ‘नेचर जर्नल’ में प्रकाशित हुआ. इसके मुताबिक, फरवरी 2023 में एक न्यूट्रिनो डिटेक्टर में मौजूद पदार्थ से टकराया. स्पेस डॉट काम की खबर के मुताबिक, इस पार्टिकल की स्पीड प्रकाश की स्पीड के बराबर थी. इस टक्कर से एक छोटा कण ‘म्यूऑन’ बना. इसने नीले रंग की रोशनी पैदा की. इसी रोशनी के आधार पर शोधकर्ताओं ने न्यूट्रिनो की ऊर्जा का पता लगाया. 

इसे खोजने वाला डिटेक्टर गहरे समुद्र में एक ऑब्जर्वेटरी में स्थित है. इस ऑब्जर्वेटरी का नाम KM3NeT (क्यूबिक किलोमीटर न्यूट्रिनो टेलीस्कोप) है. इस ऑब्जर्वेटरी का पहला हिस्सा - ARCA - इटली के सिसिली (Sicily) में स्थित है, वहीं दूसरा हिस्सा - ORCA - फ्रांस में है. ये अभी भी निर्माणाधीन है.

क्यों खास है?

अभी खोजे गए न्यूट्रिनो की एनर्जी सबसे अधिक है. लगभग 120 क्वाड्रिलियन इलेक्ट्रॉन वोल्ट (eV). ये अभी तक के सभी न्यूट्रिनो की तुलना में 30 गुना अधिक है. वैज्ञानिकों ने बताया कि ये हमारी आकाश गंगा ‘मिल्कीवे’ के बाहर से आया है. इसके 12 संभावित स्त्रोत बताए गए हैं.

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न्यूट्रिनो क्यों खास है?

न्यूट्रिनो चुंबकीय क्षेत्रों से प्रभावित नहीं होते, न ही किसी पदार्थ के साथ बहुत क्रिया करते हैं. न्यूट्रिनो अंतरिक्ष में बिना टकराए तारों, ग्रहों या किसी भी अन्य पदार्थ से गुजर जाते हैं. इनके सोर्स का पता लगाया जा सकता है इसलिए इन्हें 'ब्रह्मांड का संदेशवाहक' भी माना जाता है. इन सभी कारणों के चलते न्यूट्रिनो वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड का अध्ययन करने का एक अलग तरीका देते हैं.

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