जब कभी कान में खुजली होती है तो हम लोग क्या करते हैं? एक ईयरबड (earbuds) निकालते हैं और कान में डाल लेते हैं. कान को साफ करने के लिए. कसम से, बड़ा अच्छा लगता है. खुजली एकदम शांत हो जाती है. कुछ लोग थोड़े खतरों के खिलाड़ी टाइप होते हैं. वो टूथपिक (toothpick) का इस्तेमाल करते हैं. बहुत सारे लोग कान में ईयर ड्रॉप डालते हैं.
ईयरबड, ड्रॉप या तेल... बारिश के मौसम में कान खुजलाए तो कौन सा हथकंडा अपनाएं?
आप बोलेंगे, ईयर ड्रॉप डालने में क्या दिक्कत है? हमें कोई दिक्कत नहीं है. डॉक्टर्स को है, क्योंकि बारिश के मौसम में डॉक्टर्स ईयर ड्रॉप्स का इस्तेमाल करने से परहेज़ करने के लिए कहते हैं. यही नहीं, इस मौसम में डॉक्टर्स ज़्यादा हेडफोन लगाने से भी मना करते हैं.
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अब आप बोलेंगे, ईयर ड्रॉप डालने में क्या दिक्कत है? हमें कोई दिक्कत नहीं है. डॉक्टर्स को है, क्योंकि बारिश के मौसम में डॉक्टर्स ईयर ड्रॉप्स का इस्तेमाल करने से परहेज़ करने के लिए कहते हैं. यही नहीं, इस मौसम में डॉक्टर्स ज़्यादा हेडफोन लगाने से भी मना करते हैं.
अब अगर आप सोच रहे कि इन चीज़ों और बारिश के मौसम का क्या कनेक्शन है तो सब बताते हैं. साथ ही, डॉक्टर से जानते हैं कि बारिश के मौसम में कानों में इंफेक्शन क्यों होता है और कानों की हेल्थ बनाए रखने के लिए डॉक्टर क्या टिप्स देते हैं.
बारिश के मौसम में क्यों होता है कानों में इंफेक्शन?
ये हमें बताया डॉ. विजय वर्मा ने.

बारिश के मौसम में नमी बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है इसलिए कान में इंफेक्शन होने का चांस भी बढ़ जाता है. इस मौसम में फंगल इंफेक्शन खूब देखने को मिलता है. लोगों को कान में खुजली भी बहुत होती है. फिर खुजली दूर करने के लिए लोग ईयरबड्स का इस्तेमाल करते हैं. इससे कान में इंफेक्शन हो सकता है. कुछ लोगों को ईयरवैक्स यानी कान में मैल जमने की दिक्कत होती है.
अब क्योंकि नमी ज़्यादा है, पसीना भी खूब आता है तो मैल फूल जाता है. इससे कान में ब्लॉकेज हो सकता है. वहीं, कई बार जब महिलाएं अपने बाल धोती हैं तो थोड़ा-सा पानी कान के अंदर चला जाता है. इसकी वजह से भी इंफेक्शन हो सकता है. अगर किसी व्यक्ति के कान के पर्दे में छेद है तो उसके कान में इंफेक्शन होने का चांस और भी ज़्यादा बढ़ जाता है. कान से पस आ सकता है. फंगल इंफेक्शन हो सकता है. कान में दर्द भी होने लगता है.

इस मौसम में डॉक्टर ईयर ड्रॉप डालने से क्यों मना करते हैं?
कान में दिक्कत महसूस होने पर कई लोग केमिस्ट के पास जाते हैं. कोई ड्रॉप खरीदते हैं और उसे सीधे कान में डाल लेते हैं. ये सोचकर कि दिक्कत दूर हो जाएगी, मैल निकल जाएगा या अगर हल्का-फुल्का इंफेक्शन हुआ तो वो ठीक हो जाएगा. ये गलती बिल्कुल न करें क्योंकि ड्रॉप की वजह से कभी-कभी इंफेक्शन और ज़्यादा बढ़ जाता है.
दरअसल कई बार कुछ ड्रॉप्स हमें सूट नहीं करते. इनसे हमें एलर्जी हो सकती है. कुछ लोगों को, खासकर जिन्हें फंगल इंफेक्शन है, उन्हें कुछ ड्रॉप डालते ही कान में बहुत तेज़ दर्द होने लगता है. परेशानी इतनी बढ़ जाती है कि लोग सो नहीं पाते हैं. इसलिए, कभी भी खुद से ड्रॉप खरीद कर कान में न डालें.
कई लोग कान में दर्द होने पर गर्म तेल डाल लेते हैं. ये और भी ज़्यादा हानिकारक है. इससे कान का फंगल इंफेक्शन बढ़ सकता है यानी दिक्कत ठीक होने के बजाय बढ़ने लगती है. इसलिए, हमेशा किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाएं. अपना चेकअप कराएं कि कान में कहीं इंफेक्शन तो नहीं है. गंदगी जमा हो तो उसे साफ कराएं, दवाई लगाएं. कान के पर्दे में छेद हो तो उस हिसाब से दवाइयां लें. अगर आपको साइनस है और उस वजह से कान में दिक्कत आ रही है तो उसका भी इलाज किया जाएगा.

कानों की हेल्थ बनाए रखने के लिए डॉक्टर क्या टिप्स देते हैं?
- कान के अंदर कभी भी ईयरबड्स, पेन, पेंसिल या उंगली न डालें.
- इनसे कान की खुजली दूर करने की कोशिश न करें वरना आपका इंफेक्शन बढ़ जाएगा.
- वहीं महिलाएं जब भी अपने बाल धोएं तो थोड़ी रुई में वैसलीन लगाकर कान में डाल लें.
- इससे रुई पानी नहीं सोखेगी और कान के अंदर भी पानी नहीं जाएगा.
- साथ ही, इस मौसम में ईयरफोन और हेडफोन का कम से कम इस्तेमाल करें.
- जितना आप इन्हें अपने कान में डालेंगे, वहां उतना ही पसीना इकट्ठा होगा और फिर इंफेक्शन बढ़ने लगेगा.
- लिहाज़ा अगर आपको कान में कोई दिक्कत महसूस होती है तो खुद डॉक्टर न बनें.
- किसी ईएनटी स्पेशलिस्ट के पास जाएं और अपना इलाज कराएं.
बारिश के मौसम में सिर्फ़ स्किन इंफेक्शन नहीं होता. कानों में भी इंफेक्शन हो जाता है. इसलिए ख्याल रखें. और, अगर आपको कान में कोई दिक्कत महसूस होती है, तो डॉक्टर से मिलें. खुद डॉक्टर बनकर अपना इलाज न करें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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