ज़्यादातर लोग जब वज़न घटाने की ठानते हैं तो सबसे पहले खाना कम कर देते हैं. कोई रात का खाना छोड़ देता है. कोई दिन में सिर्फ़ एक बार खाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि हमें लगता है कि ये वज़न घटाने का सबसे आसान तरीका है. पर ये तरीका फ़ायदा कम और नुकसान ज़्यादा पहुंचाता है. क्यों और कैसे? ये हमें बताया डाइटिशियन अनु अग्रवाल ने.
वज़न घटाने के चक्कर में कम खा रहे हैं तो इसका कड़वा सच इग्नोर मत करिए
जब आप कम खाते हैं तब शरीर को कम कैलोरी तो मिलती है. लेकिन, इससे कई बार शरीर में ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी भी हो जाती है.
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अनु कहती हैं कि जब आप कम खाते हैं तो शरीर को कैलोरी भी कम मिलती है. साथ ही कई बार शरीर में ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. जैसे प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, ज़िंक और कुछ विटामिन. इससे शरीर को काम करने के लिए जितनी एनर्जी चाहिए, वो नहीं मिल पाती. लिहाज़ा शरीर के काम करने की क्षमता घट जाती है. ऐसे में खुद को बचाने के लिए शरीर ‘सर्वाइवल मोड' में चला जाता है. यानी शरीर में जो फैट है, उसे बचाए रखने के लिए मेटाबॉलिज़्म को धीमा कर देता है ताकि जब भी एनर्जी की ज़रूरत हो, वो हमें फैट से मिल जाए.
मेटाबॉलिज़्म समझते हैं न आप? मेटाबॉलिज़्म यानी हम जो खाना खाते हैं, उसे एनर्जी में बदलने, नई कोशिकाएं बनाने और पुरानी को बचाए रखने का काम. अब जिनका मेटाबॉलिज़्म धीमा होता है, उनका वज़न भी बहुत धीरे-धीरे घटता है. वो इसलिए क्योंकि, कैलोरीज़ बर्न नहीं होतीं, वो फैट के रूप में जमा हो जाती हैं. वहीं जिनका मेटाबॉलिज़्म फास्ट होता है, उनका वजन तेज़ी से घटता है.
आपने सुना होगा, कई बार रोज़ जिम जाने, डाइट करने के बाद भी लोगों का वेट कम नहीं होता. कई बार लोगों के कम खाने के बावजूद उनका वज़न घटने के बजाय बढ़ने लगता है. इन सबके पीछे ज़िम्मेदार है उनका स्लो मेटाबॉलिज़्म. बहुत कम खाने से मांसपेशियों की ताकत भी घटने लगती है. इससे मेटाबॉलिज़्म धीमा हो जाता है. यानी फिर कैलोरी बहुत धीरे-धीरे बर्न होती हैं. जिससे वेट लॉस (weight loss) नहीं हो पाता और उल्टा वज़न बढ़ने लगता है.

एक बात और. कम खाने से हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ने लगता है. जिससे क्रेविंग्स बढ़ने लगती हैं, यानी कुछ खाने का बहुत तेज़ मन करता है. हमारी इम्यूनिटी भी कमज़ोर हो जाती है. जिससे हम बार-बार बीमार पड़ने लगते हैं और इन्फेक्शंस का खतरा बढ़ जाता है. कई लोगों को कब्ज़ (constipation) की शिकायत हो जाती है.
इसके अलावा, जिन्हें खूब खाने की आदत होती है, जब वो अचानक खाना कम कर देते हैं तो इसका असर उनके मूड पर भी पड़ता है. स्ट्रेस बढ़ जाता है. इस वजह से स्ट्रेस हार्मोन ‘कोर्टिसोल’ (Cortisol) खून में ज़्यादा बनता है. फिर कोर्टिसोल का लेवल बढ़ने से वज़न भी बढ़ने लगता है. खासकर पेट और कमर वाले एरिया में.
इसलिए अगर आप वज़न घटाना चाहते हैं तो खाना स्किप करने से बेहतर है एक बैलेंस्ड मील लीजिए. यानी हेल्दी खाइए ताकि शरीर में पोषक तत्वों की कमी न हो. फ्राइड खाना, जंक फ़ूड और देर रात खाना एकदम बंद कर दीजिए. साथ ही, एक्सरसाइज ज़रूर करिए ताकि आप हेल्दी तरीके से वज़न घटा सकें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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