जब भी हमें अपने शरीर में कोई गांठ महसूस होती है, या पता चलता है कि गांठ है. तब दिमाग सबसे पहले कैंसर पर जाता है. पर हर गांठ कैंसर की गांठ नहीं होती. महिलाओं में कई बार गर्भाशय में गांठ बन जाती है. इसको कहते हैं यूटेरिन फाइब्रॉएड. ये कैंसर की गांठ नहीं है. पर अक्सर पीरियड्स के दौरान बहुत ज़्यादा ब्लीडिंग होने लगती है और बहुत ज़्यादा दर्द होता है. चेकअप करवाने पर पता चलता है कि उनके गर्भाशय में गांठ हैं. डॉक्टर से जानिए क्या है यूटेरिन फाइब्रॉएड, ये क्यों होती हैं, इनके लक्षण क्या हैं, बचाव और इलाज कैसे किया जाता है.
बच्चेदानी में गांठें होना कैंसर की निशानी?
कई बार बच्चेदानी में गांठें बन जाती हैं. जिससे पीरियड्स के दौरान बहुत ज़्यादा ब्लीडिंग होने लगती है और बहुत ज़्यादा दर्द होता है. डॉक्टर से जानिए क्या है यूटेरिन फाइब्रॉएड, इनके लक्षण क्या हैं, बचाव और इलाज कैसे किया जाता है.

जानिए डॉ गिरीश वारावडेकर से.

(डॉ. गिरीश वारावडेकर, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट, लीलावती हॉस्पिटल, मुंबई)
फाइब्रॉएड कैंसर की गांठ होती है. कैंसर की गांठ दो तरह की होती है, बिनाइन (Benign) और मैलिग्नेंट (malignant). बिनाइन गांठ लोकल रहती है, फैलती नहीं है. इससे ज़िंदगी को खतरा नहीं होता है. मैलिग्नेंट गांठ शरीर में फैलती है और इससे जान को खतरा होता है. यूटेरिन फाइब्रॉएड एक बिनाइन गांठ है और इसके फैलने का चांस बहुत कम होता है.
ये क्यों होता है इसकी वजह अभी तक नहीं मिली है. पर ये 20 से 40 साल की औरतों में हो सकता है.
लक्षणतीन तरीके के लक्षण होते हैं. पहला पीरियड्स के टाइम पर ज्यादा ब्लीडिंग होती है. इस समस्या को मेडिकल भाषा में मेनोरेजिया (Menorrhagia) कहते हैं. इस कारण खून में RBC की कमी से एनीमिया हो जाता है. पीरियड्स के दौरान ज्यादा दर्द होना इसका एक और लक्षण है. मेडिकल भाषा में इसे डिसमेनोरिया कहते हैं. अगर गांठ ज्यादा बड़ी हो जाती है तो पेशाब के रास्ते पर दबाव पड़ता है. इससे पेशाब करने में तकलीफ होती है. इन सब वजहों से किडनी ख़राब हो सकती है. गांठ ज्यादा बड़ी हो तो हर आधे घंटे में पेशाब करने जाना पड़ता है.
बचाव और इलाजयूटेरिन फाइब्रॉएड से बचाव नहीं हो सकता है, क्योंकि इसकी वजह का पता नहीं है. लेकिन इसका इलाज संभव है. ऑपरेशन के ज़रिए भी इलाज किया जा सकता है. दो ऑपरेशन किए जा सकते हैं. एक है लेप्रोस्कोपी जिसमें दूरबीन डाल के फाइब्रॉएड निकालते हैं. दूसरा तरीका है पेट को चीरकर यूटेरस से फाइब्रॉएड निकाले जा सकते हैं. इसके अलावा यूटेराइन फाइब्रॉएड एम्बोलिज़ेशन भी एक तरीका है. इसमें उन खून की नसों को ब्लॉक कर देते हैं, जिनसे फाइब्रॉएड को खून मिलता है. खून की सप्लाई रोकने से गांठ को खून नहीं मिलेगा, जिससे वो गांठ मरकर सिकुड़ जाएगी. 3 से 4 महीने में गांठ सिकुड़ जाती है. इससे पीरियड्स के समय पर ब्लीडिंग और दर्द कम हो जाता है. इसके साथ ही पेशाब के रास्ते पर दबाव कम हो जाता है
यूटेरिन फाइब्रॉएड के कैंसर में बदलने के चांसेस न के बराबर होते हैं. पर अगर आपको बताए गए लक्षण महसूस हो रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाकर जांच ज़रूर करवाएं.