संकेत 32 साल के हैं. नोएडा स्थित एक कंपनी में काम करते हैं. उनको नौकरी करते लगभग 7 साल हो गए हैं. उनका काम ही कुछ ऐसा है कि उन्हें अपने बॉस, क्लाइंट्स और बाकी लोगों के सामने आए-दिन प्रेजेंटेशंस देनी पड़ती हैं. कई लोगों से बात करनी पड़ती है. मिलना पड़ता है. संकेत की जो जॉब प्रोफाइल है यानी जो काम वो करते हैं, वो आपको बहुत ही नॉर्मल लग रहा होगा. पर ये उनके लिए बहुत ज़्यादा मुश्किल है. और समय के साथ और भी ज़्यादा मुश्किल होता जा रहा है. इसलिए नहीं क्योंकि उनको अपना काम अच्छे से नहीं आता, बल्कि इसलिए क्योंकि उन्हें सोशल एंग्टीज़ायटी डिसऑर्डर है. उन्हें लोगों के सामने बात करने में, लोगों से मिलने में बहुत ज़्यादा घबराहट होती है. इतनी कि जितना हो सके वो लोगों से मिलना, कहीं जाना सब अवॉयड करते हैं. कोई प्रेजेंटेशन देते समय उनकी सांस फूलने लगती है, पसीना आने लगता है, घबराहट होती है, दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है. कुल मिलाकर वो बिलकुल भी सहज महसूस नहीं करते. इसका असर उनके काम पर भी पड़ता है.
काफी समय से संकेत वर्क फ्रॉम होम कर रहे थे, पर अब ऑफिस वापस खुल गए हैं. उन्हें लोगों से मिलना पड़ रहा है और ये उनके लिए बहुत मुश्किल हो रहा है. संकेत चाहते हैं हम उनकी मदद करें. उन्हें बताएं कि वो अपनी सोशल एंग्टीज़ायटी से कैसे निपटें. एक्सपर्ट्स से पता करें कि उनको इतनी घबराहट क्यों होती है.
आपको बतादें, सोशल एंग्टीज़ायटी डिसऑर्डर एक बहुत ही आम डिसऑर्डर है. कई लोगों को ये होता है. पर ज़्यादातर लोग इसे महज़ डर समझकर सिचुएशन से ही भागने की कोशिश करते हैं. वो उसका सामना नहीं करते. सही इलाज नहीं लेते. ये डर उनकी ज़िंदगी पर हावी रहता है और वो इससे निपट नहीं पाते. सोशल एंग्टीज़ायटी डिसऑर्डर का इलाज होना बेहद ज़रूरी है. पर ज़रूरी है कि आप अपने लक्षणों पर ध्यान दें और एक्सपर्ट की मदद लें. तो आज डॉक्टर्स से जानते हैं सोशल एंग्टीज़ायटी डिसऑर्डर से जुड़ी कुछ ज़रूरी चीज़ों के बारे में. सबसे पहले ये समझ लीजिए सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर क्या होता है? सोशल एंग्टीज़ायटी डिसऑर्डर क्या होता है? ये हमें बताया डॉक्टर समीर पारिख ने.

-सोशल एंग्टीज़ायटी में इंसान को लोगों के सामने बात करने में हिचकिचाहट होती है
-जब सोशल एंग्टीज़ायटी से ग्रसित इंसान लोगों के सामने बात करता है तो उसे बहुत घबराहट और बेचैनी होती है
-एक पैनिक अटैक सा पड़ता है
-हो सकता है ऐसा किसी वाइवा (ओरल) एग्जाम के दौरान हो
-या ऐसा स्टेज पर परफॉर्म करने के दौरान हो
-या ऑफिस में कोई प्रेजेंटेशन देने के समय हो
-किसी मीटिंग में बोलना हो
-किसी ग्रुप में अपनी बात कहनी हो
-ये सारी सोशल सिचुएशन हैं
-ऐसे में जिन लोगों को सोशल एंग्टीज़ायटी है, उनके दिमाग में इवैल्यूएशन अप्रीहेन्शन चलता है
-इवैल्यूएशन अप्रीहेन्शन यानी कुछ बोलने पर ये चिंता होना कि बाकी लोग ग़लत समझेंगे
-लोग मज़ाक बनाएंगे
-जिन लोगों की राय मायने रखती है, उन लोगों के सामने बोलने पर डर ज़्यादा लगने लगता है
-पैनिक की फीलिंग आती है
-इसे सोशल एंग्टीज़ायटी कहते हैं
-सोशल एंग्टीज़ायटी डिसऑर्डर टॉप 3 मानसिक बीमारियों में शामिल है
-दुनियाभर में 7 प्रतिशत लोगों को सोशल एंग्टीज़ायटी डिसऑर्डर है कारण -सोशल एंग्टीज़ायटी डिसऑर्डर होने के कई मिले-जुले कारण होते हैं
-कुछ जेनेटिक (अनुवांशिक) कारण होते हैं
-बायोलॉजिकल कारण भी होते हैं
-जैसे न्यूरोकेमिकल और न्यूरोहॉर्मोन्स के बैलेंस बिगड़ने से भी सोशल एंग्टीज़ायटी डिसऑर्डर होता है
-ब्रेन में एक हिस्सा होता है जिसे एमिग्डेला कहा जाता है
-वो कुछ लोगों में ज़्यादा एंग्टीज़ायटी का कारण बनता है
-इसके अलावा साइकोलॉजिकल या सोशल कारण भी हो सकते हैं
लक्षण -सोशल सिचुएशन में बहुत ज़्यादा असहज महसूस होना
-कोई प्रेजेंटेशन देते समय बहुत ज़्यादा असहज रहना
-बहुत शर्म आना
-लोगों से बात करते समय झिझक महसूस होना
-लोग जज करेंगे, इस बात का डर लगना
-लोगों से आंखों से आंखें मिलाकर बात नहीं कर पाना
-सोशल एंग्टीज़ायटी में शरीर के अंदर भी कुछ लक्षण महसूस होते हैं
-जैसे पसीना आना
-दिल की धड़कन बढ़ जाना
-मुंह सूखना
-हाथ-पैरों में कंपन महसूस होना
-पेट खराब हो जाना
-उल्टी महसूस होना
-लूज़ मोशन महसूस होना
-हाथ-पैरों में अकड़न महसूस होना
-सांस लेने में दिक्कत महसूस होना
-चक्कर आने लगना
-ये लक्षण अगर आपको महसूस हो रहे हैं तो हो आपको सोशल एंग्टीज़ायटी डिसऑर्डर हो सकता है

इलाज -सोशल एंग्टीज़ायटी डिसऑर्डर को ठीक करने के लिए कुछ लोगों को दवाइयां दी जाती हैं
-जो ब्रेन में होने वाले केमिकल इमबैलेंस को ठीक करती हैं
-कॉग्निटिव बिहेव्यरल थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है
-यानी हमारी सोच, डर का कारण, विचार आने की वजह को ठीक किया जाता है
-इसमें काउंसलर, साइकोलॉजिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट मदद करते हैं
-अगर हम किसी चीज़ को अवॉइड कर रहे हैं तो उसका सामना करने की ट्रेनिंग दी जाती है ताकि एंग्टीज़ायटी कम हो
-परिवार, दोस्तों का सहयोग भी ज़रूरी है
-इन तीन पहलुओं से इलाज किया जाता है अपनी मदद कैसे करें? -ये ज़रूरी है कि एक एक्सपर्ट की राय लें
-अगर आपको किसी चीज़ के बारे में बोलना है तो पहले अपने परिवार में जिनके सबसे करीब हैं, उनके सामने बोलें
-फिर थोड़ी बड़ी फैमिली के आगे बोलें
-उसके बाद दोस्तों के आगे बोलें
-फिर पूरे क्लासरूम के आगे बोलें
-धीरे-धीरे अगर आप खुद को एक्सपोज़ करेंगे यानी अपने डर का सामना करेंगे तो आपकी एंग्टीज़ायटी कम होगी
-रिलैक्सेशन एक्सरसाइज करें
-मेडिटेशन करें
-योग करें
-आर्ट, म्यूज़िक में खुद को लगाएं
-पूरी और सही नींद लें

-कॉफ़ी, शराब से दूरी बनाएं
-सोशल एंग्टीज़ायटी एक बीमारी है
-इसलिए इसमें एक्सपर्ट की राय और मदद लेनी चाहिए
-लेकिन साथ-साथ में अपनी स्किल्स पर भी काम करना चाहिए
-इसलिए स्कूलिंग बच्चों के लिए बहुत ज़रूरी है
-ताकि वो क्लासरूम में बात करें
-टीचर से सवाल पूछें
-अगर हिचकिचाहट है तो धीरे-धीरे खुद को एक्सपोज़ करें
-अगर काम करते हैं तो किसी बड़ी प्रेजेंटेशन से पहले अपनों के सामने वही प्रेजेंटेशन दें
-धीरे-धीरे आपको इससे बहुत मदद मिलेगी
सोशल एंग्जायटी क्या होती है, उम्मीद है एक्सपर्ट्स की बातें सुनकर आपको समझ में आ गया होगा. अगर बताए गए लक्षण आपको भी महसूस होते हैं तो देरी न करें. किसी एक्सपर्ट से मिलें. और सही मदद लें. सोशल एंग्जायटी आपके काम, आपकी लाइफ, आपके फैसलों सबको प्रभावित करती है. इसलिए इससे निपटने की ज़रुरत है. जो सही इलाज से एकदम मुमकिन है. तो डरे नहीं.