(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
आपके मुंह में बनने वाली लार का कैंसर से क्या नाता है?
सैलिवरी ग्लैंड यानी लार की ग्रंथी में कई प्रकार के ट्यूमर या रसौलियां उग सकती हैं.

टेस्टी खाना देखकर अक्सर हमारे मुंह से लार टपकने लगती है. यही लार या थूक खाने को अच्छे से हज़म होने में भी मदद करती है. कैसे? जब आप खाना चबाते हैं तो ये लार खाने में मिल जाती है, ऐसे में शरीर को वो खाना हज़म करने में आसानी होती है. अब ये लार आती कहां से है? यानी आपके मुंह में थूक बनता कैसे है? ये बनता है सैलिवरी ग्लैंड यानी लार की ग्रंथि में. लार की ग्रंथियां आपके मुंह में पाई जाती हैं और साथ ही इनमें पाया जाता है कैंसर. सैलिवरी ग्लैंड या लार की ग्रंथि का कैंसर बहुत आम तो नहीं है पर ये किसी को भी हो सकता है. अब आप सोचेंगे हमें इससे क्या मतलब.
मतलब होना चाहिए. क्योंकि कैंसर के मामलों में हिंदुस्तान दुनिया में तीसरे नंबर पर हैं. यानी इंडिया में कैंसर के थर्ड हाईएस्ट नंबर ऑफ़ केसेज पाए जाते हैं. यही नहीं. ICMR यानी इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च ने कहा है कि आने वाले पांच सालों में कैंसर के केसेज में 12 प्रतिशत तक की उछाल आने वाली है.
लार की ग्रंथि के कैंसर की बात करें तो डॉक्टर्स का कहना है कि इस तरह के कैंसर में इलाज पूरी तरह तभी हो पाता है जब ये जल्दी पकड़ में आ जाए. इसके लिए ज़रूरी है कि इस कैंसर के लक्षणों के बारे में लोगों को सही जानकारी हो. क्या हैं इसके लक्षण, बताते हैं पर पहले थोड़े बेसिक्स क्लियर कर लेते हैं. जानते हैं सैलिवरी ग्लैंड्स कहां होते हैं और इनका क्या काम होता है?
सैलिवरी ग्लैंड यानी लार की ग्रंथि का क्या काम होता है?ये हमें बताया डॉक्टर दीपक सरीन ने.

-शरीर में कई सारे सैलिवरी ग्लैंड यानी लार की ग्रंथियां होती हैं.
-ये दो तरह की होती हैं, मेजर और माइनर.
-मेजर यानी बड़े ग्लैंड या ग्रंथि.
-इनकी तीन जोड़ियां होती हैं.
-ये गालों के साइड, गालों के नीचे और जीभ के नीचे पाई जाती हैं.
-ज़्यादातर लार इन ग्रंथियों से बनता है.
-इसके अलावा माइनर यानी छोटे ग्लैंड या ग्रंथियां भी होती हैं.
-जो मुंह की स्किन पर पाई जाती हैं.
-ये 100 से अधिक होती हैं.
-चीनी के दानो के बराबर होती हैं.
-ये तालू और गाल के अंदरूनी हिस्से में पाई जाती हैं.
-इनका काम है लार बनाना.
-जो थूक मुंह में आता है, वो ये ग्लैंड बनाते हैं.
सैलिवरी ग्लैंड यानी लार की ग्रंथि का कैंसर क्या होता है?-सैलिवरी ग्लैंड यानी लार की ग्रंथि में कई प्रकार के ट्यूमर या रसौलियां उग सकती हैं.
-ज़्यादातर रसौलियां बेनाइन होती हैं यानी ये कैंसर नहीं होतीं.
-70-80 प्रतिशत रसौलियां इन ग्रंथियों में होती हैं.
-लेकिन 20-30 प्रतिशत रसौलियां कैंसर हो सकती हैं.
-इसमें कई प्रकार के कैंसर होते हैं.
-WHO के मुताबिक 20 से अधिक तरह के कैंसर इन ग्रंथियों में पाए जाते हैं.
-ये कैंसर बहुत हल्के, जेंटल और धीमी गति से बढ़ने वाले भी हो सकते हैं.
-या बहुत तेज़ बढ़ने या फैलने वाले हो सकते हैं.
-हर कैंसर एक अलग इंसान की तरह होता है.
-उसका बर्ताव, नेचर और अग्रेशन अलग होता है.
-इसलिए इलाज भी अलग-अलग तरह होता है.
कारण-सैलिवरी ग्लैंड के कैंसर का कोई जाना-माना कारण नहीं है.
-आज तक एक्सपर्ट्स पता नहीं कर पाए हैं कि ये क्यों बनता है.
-इनका लाइफस्टाइल, खानपान, चलने-फिरने, उठने-बैठने से कोई संपर्क नहीं है.
-हो सकता है आगे साइंस समझ पाए.
लक्षण-सबका बड़ा लक्षण है गांठ या रसौली बनना.
-कान के सामने या कान के नीचे एक गांठ पैदा हो जाती है.
-जबड़े के नीचे भी गांठ महसूस हो सकती है.
-जब कैंसर बढ़ जाता है या फैलने लगता है तो और लक्षण आने लगते हैं.
-जैसे दर्द.
-कैंसर स्किन को पकड़ लेता है.
-इन ग्रंथियों के अंदर कई नसें दौड़ती हैं, उसमें से एक नस है जो चेहरे को हिलाने में मदद करती है.
-चेहरे की जितनी मांसपेशियां हैं, उनको हिलाने में ये नस मदद करती है.
-इसको फेशिअल नर्व कहते हैं.
-कैंसर इस नस को पकड़ सकता है.
-अगर कैंसर इस नस तक पहुंच गया तो चेहरे के एक हिस्से में लकवा पड़ जाएगा.

-इसके अलावा एक ग्रंथि जो कई साल से पड़ी हुई है.
-5-8 साल से एक गांठ महसूस हो रही है.
-लेकिन उसमें हाल ही में परिवर्तन आ जाए.
-वो तेज़ी से बढ़ने लगे.
-कई बार ये भी कैंसर बनने की पहचान होती है.
बचाव और इलाज-इस कैंसर का बचाव अभी तक पता नहीं लग पाया है.
-वो इसलिए क्योंकि इस कैंसर का कारण अभी तक पता नहीं लग पाया है.
-आज की डेट में इसका सबसे अच्छा इलाज है कि ये कैंसर जल्दी पकड़ में आ जाए.
-अर्ली स्टेज यानी शुरुआत में ही इलाज करवा लें.
-इस कैंसर का मूल इलाज ऑपरेशन है.
-जिसमें कैंसर और जिस ग्रंथि से ये उगा है, उसको निकाल दिया जाता है.
-कुछ कैंसर जो बड़े हैं या बहुत अग्रेसिव हैं.
-उनमें आगे रेडिएशन की ज़रुरत भी पड़ती है.
एक बात तो डॉक्टर साहब ने ठीक कही. आज तक पता नहीं लग पाया है कि किसी को कैंसर असल में क्यों होता है. और जब तक कारण नहीं पता चल जाता, तब तक इसका बचाव बताना भी मुश्किल है. इसलिए एक हेल्दी लाइफस्टाइल रखिए. स्मोकिंग, शराब से परहेज़ करिए. नियमित रूप से एक्सरसाइज करिए. पर हां, लक्षणों के बारे में जानकारी ज़रूर रखें ताकि अगर कभी भी ऐसे लक्षण महसूस हों तो देर न करें. तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
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