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कैंसर की सर्जरी से बिगड़ गए चेहरे को कैसे ठीक किया जा सकता है?

और इस प्रोसीजर में कितना खर्च आता है?

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कई बार जबड़ा भी हटाना पड़ता है साथ में उसका मांस और स्किन भी हटानी पड़ती है
यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.

ओरल कैंसर. यानी मुंह में होने वाला कैंसर. हिंदुस्तान में आदमियों को होने वाला सबसे आम कैंसर. जितने भी कैंसर के केसेज़ इंडिया में पाए जाते हैं, उनमें 30 प्रतिशत मुंह के कैंसर के केसेज़ होते हैं. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिया में हर साल 10 लाख लोग ओरल कैंसर से मरते हैं. अब ओरल कैंसर का इलाज है सर्जरी. ऑपरेशन की मदद से कैंसर को निकाला जाता है. लेकिन ऑपरेशन के बाद मुंह का शेप बिगड़ जाता है. उसे वापस नॉर्मल बनाने के लिए की जाती है रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी फॉर ओरल कैंसर. आज हम इसी सर्जरी के बारे में बात करेंगे.
क्या है रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी फॉर ओरल कैंसर?
ये हमें बताया डॉक्टर सौरभ ने.
डॉक्टर सौरभ राय, प्लास्टिक सर्जन, मेडोक्स हॉस्पिटल, लखनऊ
डॉक्टर सौरभ राय, प्लास्टिक सर्जन, मेडोक्स हॉस्पिटल, लखनऊ


-ओरल कैंसर को हटाने के बाद ओरल कैविटी में जो डिफेक्ट बनता है उसको कवर करने के लिए जो सर्जरी की जाती है उसे रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी फॉर ओरल कैंसर कहते हैं
-ओरल कैविटी के कई सारे पार्ट्स होते हैं जैसे होंठ, जबड़ा, जीभ, तालू. इन सबके अलग-अलग फंक्शन होते हैं. सर्जरी के दौरान इन्हें निकाला जाता है. ऐसे में चेहरे का शेप बिगड़ जाता है. उसे सुधारने के लिए ये सर्जरी करनी पड़ती है.
कैसे की जाती है ये सर्जरी
-ये निर्भर करता है कि मुंह का कितना हिस्सा निकाला गया है सर्जरी के दौरान ट्यूमर को हटाने के लिए, अगर बहुत छोटा हिस्सा है तो फ़ेस के ही किसी और हिस्से से टिश्यू (ऊतक) लेकर भरा जा सकता है
-कई बार जबड़ा भी हटाना पड़ता है साथ में उसका मांस और स्किन भी हटानी पड़ती है, इस केस में कॉम्प्लेक्स माइक्रोवैस्कुलर प्रोसीजर करने पड़ते हैं. ताकि पेशेंट नॉर्मल तरीके से काम कर पाए.
Functional Mandibular Reconstruction With Double-Barrel Fibular Flap and Primary Osseointegrated Dental Implants Improve Facial Esthetic Outcome - Journal of Oral and Maxillofacial Surgery ओरल कैंसर की सर्जरी के बाद सबसे ज़रूरी स्टेप होता है कि आपकी बायोप्सी में बीमारी का स्टेज क्या आया है


आप ने अभी जाना है कि ये सर्जरी क्या होती है, क्यों होती है और कैसे की जाती है. अब बात करते हैं इसके साइड इफ़ेक्ट की, कुछ टिप्स जो डॉक्टर्स पेशेंट को देना चाहते हैं, और ख़र्चे के बारे में.
साइड इफ़ेक्ट
-कई बार ये सर्जरी काफ़ी लंबी चलती है इसलिए मरीज़ को ICU में रखने की ज़रूरत पड़ती है
-जनरल साइड इफ़ेक्ट जैसे इन्फेक्शन या एनेस्थीसिया से जुड़े साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं
-प्रोसीजर के हिसाब से स्पेसिफिक साइड इफ़ेक्ट भी हो सकते हैं
-जहां से टिश्यू लिया गया है वहां भी प्रॉब्लम हो सकती है, पर उसे ठीक करने की पूरी कोशिश की जाती है
टिप्स
-ओरल कैंसर की सर्जरी के बाद सबसे ज़रूरी स्टेप होता है कि आपकी बायोप्सी में बीमारी का स्टेज क्या आया है,ज़रूरी है कि अपनी रिपोर्ट्स कैंसर सर्जन को दिखाएं
-उसके लिए आगे रेडियोथेरैपी, कीमोथेरैपी, कंबाइंड थैरेपी की ज़रूरत पड़े तो उसे फॉलो करें
-कई बर ओरल कैंसर के केस में केवल सर्जरी ही इलाज का एकमात्र माध्यम नहीं होता है. उसके अलावा और थैरेपी लेनी पड़ती है
Cigarettes have a significant impact on the environment, not just health | Imperial News | Imperial College London जितने भी कैंसर के केसेज़ इंडिया में आपये जाते हैं, उनमें 30 प्रतिशत मुंह के कैंसर के केसेज़ होते हैं.


-कई बार मुंह के कुछ ऐसे हिस्से हटाने पड़ते हैं जिसके बाद फ़ीज़ियोथैरेपी की ज़रूरत पड़ती है
ख़र्चा
-कॉस्ट इस बात पर निर्भर करती है कि कितना बड़ा डिफेक्ट है और शरीर के किस हिस्से में है,अगर छोटे-मोटे डिफेक्ट हैं तो इसमें लोकल टिश्यू से काम चल जाता है, ऐसे में खर्चा कम आता है.
-पर अगर जबड़ा बनाने की ज़रूरत पड़ती है तो उसमें एक-डेढ़ लाख का ख़र्च होता है
अगर आपको तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट से प्यार है तो डॉक्टर साहब की बातें सुनकर थोड़ा डर जाइए. ओरल कैंसर बहुत ख़तरनाक है. इसलिए अपनी सेहत का ध्यान रखिए.


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