हमें सेहत पर मेल आया वैभव का. गुरुग्राम के रहने वाले हैं. उनके पिता को पार्किंसन बीमारी है. उनकी उम्र 67 साल है. वैभव बताते हैं कि उनको इस बीमारी के लक्षण बहुत साल पहले से महसूस होना शुरू हो गए थे. पर वो इतने कम थे कि किसी को शक ही नहीं हुआ. ये लक्षण बहुत धीरे-धीरे सामने आए. जैसे बहुत साल पहले वैभव के पिता को उंगलियों में कंपन शुरू हुई. धीरे-धीरे ये कंपन पूरे हाथ में होने लगी. फिर उनके शरीर के एक साइड में अकड़न महसूस होना शुरू हुई. दिक्कत बढ़ने पर डॉक्टर्स को दिखाया. तब पता चला उन्हें पार्किंसन बीमारी है.
डॉक्टर्स ने वैभव को बताया कि उनके पिता को अब पूरी ज़िंदगी दवाइयां खानी पड़ेंगी. ये भी कि पार्किंसन बीमारी का कोई पक्का इलाज भी नहीं है. वैभव चाहते हैं कि हम पार्किंसन बीमारी पर एक एपिसोड बनाएं. ये क्या होता है, क्यों होता है, क्या इसका कोई पक्का इलाज है, ये जानकारी लोगों तक पहुंचाएं.
हेल्थकेयर रेडियस में छपी एक ख़बर के मुताबिक, भारत में लगभग 70 लाख बुज़ुर्गों को पार्किंसन है. तो सबसे पहले ये समझ लेते हैं कि ये बीमारी होती क्या है. पार्किंसन बीमारी क्या होती है? ये हमें बताया डॉक्टर रोहित गुप्ता ने.

-पार्किंसन एक बहुत ही कॉमन बीमारी है.
-ये ब्रेन की एक क्रॉनिक बीमारी है.
-जो समय के साथ बढ़ती है.
-ये बीमारी धीरे-धीरे शरीर के मूवमेंट पर असर डालती है.
-ब्रेन में कुछ सेल्स होते हैं, जो धीरे-धीरे मरने लगते हैं.
-इन सेल्स का काम डोपामाइन (न्यूरोट्रांसमिटर) रिलीज़ करना होता है.
-इन सेल्स के मरने के कारण डोपामाइन सही मात्रा में रिलीज़ नहीं होता.
-शरीर को ब्रेन से डोपामाइन कम मात्रा में मिलता है.
-जिसके कारण शरीर के मूवमेंट पर असर पड़ने लगता है और पार्किंसन बीमारी हो जाती है. लक्षण -पार्किंसन बीमारी के 3 आम लक्षण होते हैं
-शरीर में कंपन.
-शरीर में अकड़न.
-शरीर के मूवमेंट बहुत धीरे-धीरे होते हैं.
-पार्किंसन में लक्षण बहुत धीरे-धीरे सामने आते हैं.
-शुरू में पार्किंसन के लक्षण इतने कम होते हैं कि पेशेंट को एहसास ही नहीं होता कि उसे कोई बीमारी है.
-लक्षण उम्र के साथ होने वाले नॉर्मल बदलाव लगते हैं.
-पार्किंसन के लक्षण आमतौर पर शरीर की एक साइड से शुरू होते हैं.
-कंपन की बात करें तो एक हाथ से कंपन शुरू होती है.

-ये रेस्टिंग ट्रेमर होते हैं.
-यानी जब पेशेंट कुछ नहीं कर रहा होता तब ये कंपन शुरू होती है.
-जैसे ही पेशेंट कुछ करने लगता है, खाना खाना, चम्मच पकड़ना, वैसे-वैसे ये कंपन खत्म हो जाती है.
-इन्हें पिन रोलिंग ट्रेमर भी बोलते हैं.
-दूसरा आम लक्षण है शरीर में अकड़न.
-इस बीमारी में धीरे-धीरे शरीर में अकड़न आने लगती है.
-वो भी शरीर के एक साइड से शुरू होती है.
-फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर में आ जाती है.
-अकड़न आने की वजह से पेशेंट का पॉस्चर बदल जाता है.
-इंसान झुक के चलने लगता है.
-पैर घिसकर-घिसकर चलता है.
-धीरे-धीरे चलता है.
-तीसरा लक्षण है शरीर का स्लो हो जाना.
-रोज़ की एक्टिविटी जैसे खाना-खाना, कपड़े पहनना, चलना-फिरना.
-इन सारी चीज़ों में उसे ज़्यादा समय लगता है.
-धीरे-धीरे शरीर स्लो हो जाता है.

-जैसे-जैसे बीमारी आगे बढ़ती है, पेशेंट के चेहरे पर भाव आना बंद हो जाते हैं.
-चलते समय आमतौर पर हमारे हाथ भी हिलते हैं, ये खत्म हो जाता है.
-आवाज़ में फ़र्क आ जाता है.
-निगलने में दिक्कत होती है.
-लेट स्टेज में पेशेंट बिस्तर से नहीं उठ पाता.
-याददाश्त कमज़ोर हो जाती है.
-बर्ताव में बदलाव आ जाता है. कारण -पार्किंसन बीमारी क्यों होती है, इसके बारे में अभी भी पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है.
-पर दो आम वजहें होती हैं.
-पहला. जेनेटिक फैक्टर.
-दूसरा. एनवायरनमेन्टल फैक्टर्स.
-जेनेटिक फैक्टर बहुत कम देखा जाता है.
-इसमें परिवारों में पार्किंसन बीमारी देखी जाती है.
-जैसे पिता को थी फिर बच्चों को हो गई.
-ऐसे में बच्चों के अंदर कुछ जींस होते हैं, जिसकी वजह से परिवार में पार्किंसन बीमारी शुरू हो जाती है.
-पर ये बहुत कम देखा जाता है.
-आमतौर पर पार्किंसन बीमारी परिवारों में एक साथ नहीं पाई जाती.

-जिन परिवारों में पार्किंसन बीमारी होती है, उनमें ऐसा यंग ऐज में देखा जाता है.
-40 साल से कम उम्र में पार्किंसन बीमारी हो जाती है.
-जिसको यंग ऑनसेट पार्किंसन कहा जाता है.
-दूसरा कारण है एनवायरनमेन्टल फैक्टर्स, जैसे बहुत सारे टॉक्सिन्स (विषैले पदार्थ) शरीर में जाना.
-पेस्टीसाइड (कीटनाशक) शरीर में जाना.
-हर्बीसाइड (शाकनाशक) शरीर में जाना.
-इनसे पार्किंसन हो सकता है.
-60 की उम्र के बाद पार्किंसन होने का चांस बढ़ जाता है.
-औरतों के मुकाबले पुरुषों में पार्किंसन ज़्यादा होता है.
-कई बार कुछ दवाइयां ऐसी होती हैं जिनसे पार्किंसन हो जाता है.
-पैरालिसिस का अटैक आने के बाद कुछ लोगों को पार्किंसन हो जाता है.
-ब्रेन में खून के थक्के जाने की वजह से पार्किंसन के लक्षण आने लगते हैं.
-सिर में चोट लगने से भी पार्किंसन होता है.
-ये आम कारण हैं लेकिन सबसे आम कारण है इडियोपैथिक पार्किंसन बीमारी.
-जिसका कोई कारण आज तक नहीं पता चल पाया है. बचाव -बचाव के लिए बहुत कुछ नहीं कर सकते.
-पर एक हेल्दी लाइफस्टाइल रखें.
-रोज़ एरोबिक एक्सरसाइज करें.

-योग करें.
-विटामिन डी, ओमेगा 3 फैटी एसिड, कोएंजाइम क्यू और हर्बल टी पार्किंसन होने से बचा सकते हैं.
-बचाव के तरीकों पर और ट्रायल चल रहे हैं. इलाज -पार्किंसन बीमारी का कोई पक्का इलाज नहीं है.
-इडियोपैथिक पार्किंसन बीमारी है, जिसमें डोपामाइन कम हो जाता है और उसका कोई इलाज नहीं है.
-पर अच्छी बात ये है कि दवाइयों का पार्किंसन बीमारी पर बहुत अच्छा असर होता है.
-पर हां, ये दवाइयां जिंदगीभर खानी पड़ती हैं.
-ऐसे बहुत पेशेंट हैं जिनकी दवाइयां सालों-साल चलती रहती हैं.
-वो अपनी दवाइयां खाते रहते हैं और नॉर्मल रूटीन फॉलो करते रहते हैं.
-पार्किंसन बीमारी के लिए बहुत सारी दवाइयां उपलब्ध हैं.
-आप अपने न्यूरोलॉजिस्ट से बात करके इन्हें ले सकते हैं.
-ये देखा जाता है कि किस स्टेज में पार्किंसन बीमारी है.
-कितनी दवाई देनी चाहिए.
-कौन सी दवाई देनी चाहिए.
-अगर पार्किंसन बीमारी एडवांस्ड स्टेज में है या दवाइयों के बहुत सारे साइड इफ़ेक्ट हो रहे हैं तो सर्जरी भी एक विकल्प है.
-जो सबसे आम और असरदार सर्जरी है वो है DBS.
-डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी.
-इसमें ब्रेन के अंदर पेसमेकर जैसी मशीन डाली जाती है.
-जिससे धीरे-धीरे पार्किंसन की दवाइयां कम हो जाती हैं.
-दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट एकदम खत्म हो जाते हैं.
जैसे डॉक्टर साहब ने बताया, पार्किंसन के लक्षण बहुत धीरे-धीरे शुरू होते हैं, इसलिए लोग इन पर ध्यान नहीं देते. समय के साथ होने बदलावों में से एक समझकर इग्नोर कर देते हैं. पर ऐसा हरगिज़ न करें. अगर बताए गए लक्षण महसूस हो रहे हैं, ख़ासतौर पर अगर उम्र 60 साल से ज़्यादा है तो सतर्क हो जाएं. डॉक्टर से मिलें जांच करवाएं. एक बार पार्किंसन हो जाए तो ये पूरी तरह से ठीक नहीं होता, पर हां दवाइयों की मदद से इसे कंट्रोल किया जा सकता है. पर इसके लिए ज़रूरी है कि सही स्टेज पर इसका पता चल सके. तो ध्यान रखें.